MY SECRET NEWS

 नई दिल्ली
    

लेटेस्ट लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट की ओर से एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि भारत का खाद्य उपभोग पैटर्न दुनिया के सभी जी 20 देशों में सबसे ज्यादा स्थाई और पर्यावरण के अनुकूल है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर 2050 तक कई देश भारत की ही तरह खाद्य उत्पादन और उपभोग का समर्थन करते हैं, तो यह पृथ्वी और पृथ्वी के जलवायु के लिए सबसे कम नुकसानदायक होगा. वहीं, इंडोनेशिया और चीन जी 20 अर्थव्यवस्थाओं में दूसरे स्थान पर हैं,  जिनका डाइट पैटर्न पर्यावरण के मुताबिक है.

रिपोर्ट में अमेरिका, अर्जेंटीना और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के डाइट पैटर्न को सबसे खराब रैंकिंग दी गई है.  इन देशों में अत्यधिक मात्रा में फैटी और शुगरी फूड्स का सेवन जरूरत से ज्यादा बढ़ने के कारण मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है. रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए बताया गया है कि तो इन देशों में लगभग ढाई अरब लोग ओवरवेट हैं. वहीं, 890 मिलियन लोग मोटापे के शिकार हैं.

इस रिपोर्ट में भारत में मिलेट्स के प्रति लोगों को जिस प्रकार से जागरुक किया जा रहा है, उसका भी जिक्र किया गया. मिलेट्स का सेवन भारत में लंबे समय से किया जाता रहा है. मिलेट्स का सेवन करने के लिए भारत में कई कैंपेन भी चलाए जा रहे हैं जिसमें लोगों को इसके फायदों के बारे में बताया जा रहा है. इन  कैंपेन को भारत में मिलेट्स की खपत बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है. यह सेहत के लिए फायदेमंद होने के साथ ही जलवायु के लिए भी अच्छे हैं.

भारत मिलेट्स का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है, जो वैश्विक उत्पादन का लगभग 41% हिस्सा है . मिलेट्स की खपत को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से कई पहल की गई हैं, जिनमें राष्ट्रीय मिलेट अभियान, मिलेट मिशन, और ड्राउट मिटिगेशन प्रोजेक्ट शामिल हैं .

भारतीय भोजन की बात करें तो यहां पर वेजिटेरियन और नॉन वेजिटेरियन खाने का मिक्सचर मिलता है. यहां पर नॉर्थ साइड पर दाल और गेहूं की रोटी के साथ ही मीट बेस्ड चीजें खाई जाती हैं. वहीं, अगर साउथ की बात करें तो यहां पर चावल और इससे संबंधित फर्मेंटेड फूड्स का सेवन ज्यादा किया जाता है जैसे इडली, डोसा और सांभर आदि. इसके अलावा यहां बहुत से लोग मछली और मीट का भी सेवन करते हैं.

देश के पश्चिमी, पूर्वी और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में मौसमी उपलब्ध मछली को चावल के साथ मुख्य भोजन के रूप में खाया जाता है. वहीं लोग यहां मिलेट्स जैसे जौ, बाजरा, रागी, सोरघम, पर्ल मिलेट, बकव्हीट, चौलाई और दलिया या टूटे हुए गेहूं का भी सेवन करते हैं.

इस रिपोर्ट में यह कहा गया है कि अगर 2050 तक दुनिया के सभी देश भारत की ही तरह डाइट पैटर्न को अपनाते हैं तो इससे जलवायु परिवर्तन में वृद्धि नहीं होगी, जैव विविधता की हानि नहीं होगी, प्राकृतिक संसाधनों में कमी नहीं आएगी और भोजन की सुरक्षा खतरे में नहीं पड़ेगी.

रिपोर्ट में मुख्य रूप से इस बात पर फोकस किया गया है कि स्थानीय और मौसमी खाद्य पदार्थों का सेवन किया जाए. प्रोसेस्ड फूड्स का कम से कम सेवन किया जाए, शाकाहारी और वीगन डाइट ली जाए और खाने की बर्बादी कम से कम की जाए.

Loading spinner
यूजफुल टूल्स
QR Code Generator

QR Code Generator

Age Calculator

Age Calculator

Word & Character Counter

Characters: 0

Words: 0

Paragraphs: 0