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भारत में विभिन्न धार्मिक परंपराएं और रीति-रिवाज समय-समय पर श्रद्धालुओं को एक विशेष आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करते हैं। इन्हीं परंपराओं में से एक है नौतपा। यह ज्येष्ठ माह में आने वाला एक विशेष काल होता है, जिसमें सूर्य की स्थिति और तापमान का प्रभाव अधिक होता है। इसे ज्योतिषीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना गया है। नौतपा के नौ दिनों में विशेष उपाय और पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और भाग्य का साथ मिल सकता है। इस आर्टिकल में जानेंगे कि नौतपा के दौरान दीपक जलाने के क्या नियम हैं।

समय का ध्यान रखें:
दीपक जलाने का उचित समय संध्याकाल या प्रातःकाल सूर्योदय के समय होता है। इस समय वातावरण शुद्ध और शांत होता है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

तिल के तेल का प्रयोग करें:
नौतपा में दीपक के लिए तिल का तेल सबसे शुभ माना गया है। यह नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है और शनि के प्रभाव को शांत करता है।

घी का दीपक विशेष अवसरों पर:
यदि आप विशेष फल या पुण्य की कामना रखते हैं, तो गाय के घी का दीपक जलाना अत्यंत लाभकारी होता है। विशेष रूप से संडे के दिन ऐसा किया जा सकता है।

दीपक की दिशा:
पूर्व दिशा में दीपक जलाना सौभाग्य और सफलता को बढ़ाता है।

उत्तर दिशा में जलाया गया दीपक धन और समृद्धि लाता है।

दक्षिण दिशा की ओर जलाना पितरों के लिए समर्पित होता है और यह श्राद्ध भाव दर्शाता है।

पश्चिम दिशा में दीपक जलाना शत्रु नाश और आत्मरक्षा के लिए उपयोगी माना गया है।

दीपक के साथ इन मंत्रों का करें जाप

दीपज्योति परब्रह्म, दीपज्योति जनार्दन।
दीपो हरतु मे पापं, संध्यादीप नमोऽस्तुते॥

ॐ घृणि सूर्याय नमः।

दीपक जलाते समय अपने मन में शुद्ध विचार और किसी विशेष उद्देश्य का संकल्प लें।

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