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Madhya Pradesh government’s malaria eradication campaign: Success on paper, failure on ground

  • मप्र सरकार का मलेरिया उन्मूलन अभियान: कागजों की सफलता, धरातल पर चुनौती

भोपाल। मप्र में सभी शहरों नगरों, कस्बे तथा गांवों में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया के मरीज अस्पतालों में भरे पड़े हैं, अस्पतालों,नीजि क्लीनिक,से लेकर झोलाछाप डॉक्टरों के यहां मरीजों की भीड़ है, तो गंदे पानी से उल्टी दस्त तथा त्वचा रोग के मरीज भी बहुतायत में हैं, सरकारी बोरिंग, आदि के पानी भी दुषित है तो सवाल मप्र सरकार क्या इवेंट में व्यस्त हैं, अधिकारियों को मैदानी कार्यवाही करते हुए मच्छरों से छुटकारा दिलाने खातिर दवाईयों का छिड़काव,जल जमाव की रोकथाम तथा शुद्ध पानी पीने का मिले यह मुहिम चलानी चाहिए पर सरकार कागजों पर या जी हूजुरी आयोजन में व्यस्त हैं।

मप्र कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता एड्वोकेट प्रमोद कुमार व्दिवेदी ने सवाल उठाया कि मौसमी बिमारियों के लिए सरकार को दोषी नहीं ठहराया जा सकता परन्तु मच्छरों और गंदगी तथा गंदे पानी पीने से फैल रही बिमारियों की जिम्मेदारी तो मप्र सरकार की है।

मलेरिया उन्मूलन अभियान कागजों पर चल रहा है करोड़ों रुपए का बजट रहता है परंतु विभाग मृतप्राय सा हो चला है।

व्दिवेदी ने सवाल उठाया क्या कोरोना महामारी की तरह डेंगू, मलेरिया चिकनगुनिया बिमारी फैलती है कि मच्छरों से,, तो मच्छरों का उन्मूलन अभियान कागजों पर ही क्यों चल रहा,,,।

ना तो विभाग की गाड़ियां नजर आ रही ना दवाईयों का छिड़काव हो रहा,,,।

मप्र सरकार क्या इवेंट मैनेजमेंट से इसे विपक्षी दलों का खाली आरोप बतायेगी।

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