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जबलपुर

प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों में फर्जीवाड़े को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने नर्सिंग परीक्षाओं को घोषित समय सारिणी के अनुसार ही आयोजित करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी एवं न्यायमूर्ति ए.के. पालीवाल की युगलपीठ ने स्पष्ट किया कि परीक्षा तिथियों में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जाए।

याचिका लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की ओर से दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि प्रदेश में कई नर्सिंग कॉलेज नियमों को ताक पर रखकर संचालित हो रहे हैं। कोर्ट को बताया गया कि कॉलेजों की जांच प्रक्रिया के चलते पिछले कुछ वर्षों में परीक्षाएं लगातार टलती रही हैं और कई बार घोषित तारीखों को रद्द या संशोधित भी किया गया है, जिससे विद्यार्थियों को भारी असुविधा हुई है।

उल्लेखनीय है कि घोषित कार्यक्रम के अनुसार नर्सिंग परीक्षाएं 28 और 29 अप्रैल को आयोजित की जानी हैं। हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पात्र कॉलेजों के छात्रों के लिए विशेष परीक्षा आयोजन के मुद्दे पर न्यायालय आगे सुनवाई करेगा।

हाई लेवल कमेटी की भूमिका समाप्त
हाईकोर्ट ने पहले सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति राजेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित की थी, जिसका उद्देश्य सीबीआई जांच में दोषी पाए गए कॉलेजों की कमियों की सुनवाई कर उन्हें 'सूटेबल' अथवा 'अनसूटेबल' की श्रेणी में सूचीबद्ध करना था। अब कोर्ट ने इस कमेटी की भूमिका समाप्त कर दी है।

मध्यप्रदेश नर्सिंग काउंसिल ने नए सत्र की मान्यता प्रक्रिया शुरू कर दी है। सभी कॉलेजों को अब विधिवत आवेदन प्रस्तुत कर मान्यता के लिए पुनः प्रक्रिया से गुजरना होगा, जिस पर आवश्यक जांच के बाद निर्णय लिया जाएगा।

याचिका की सुनवाई के दौरान शासन की ओर से उप महाधिवक्ता अभिजीत अवस्थी, याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आलोक बागरेचा और विशाल बघेल ने पक्ष रखा। अगली सुनवाई 9 मई को निर्धारित की गई है।

 

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