आज के युग में सफल राजनीतिज्ञ वही होता है जो अपनी ओर जनता को आकर्षित कर चुनाव में अपने विरोधियों को हराकर जीत हासिल करे। जनता को आकर्षित करने एवं अच्छा भाषण देने के लिए बुध ग्रह का बलवान होना अतिआवश्यक है। बुध के प्रभाव से प्रत्याशी वाक्पटु एवं हाजिरजवाब रहता है, उसकी वाणी जनता का मन मोह लेती है इसलिए बुध बलवान वाला व्यक्ति अच्छा राजनीतिज्ञ एवं व्यापारी माना जाता है। बुध के द्वारा चुनावी प्रत्याशी सही समय पर अपनी बुद्धि-बल का प्रयोग कर सही निर्णय लेकर चुनावी संग्राम में विजय पाता है।
बुध की अद्भुत क्षमता है कि यह जिस ग्रह के साथ रहता है, उसके प्रभाव में रम जाता है, शुभ ग्रहों के साथ बुध शुभ कहलाता है और पाप ग्रहों के सानिध्य में बुध पाप प्रभाव में रहता है। नवग्रह में बुध युवराज हैं, बुध की दो राशियां मिथुन और कन्या द्विस्वभाव राशियां हैं, द्विस्वभाव राशि एवं लग्न वाले जातकों को राजनीति में विशेष सफलता मिलती है क्योंकि अपने स्वभाव के दोहरेपन के कारण ये कभी भी कुछ भी निर्णय ले सकते हैं, एक पार्टी से लेकर दूसरी पार्टी में परिवर्तित हो सकते हैं। द्विस्वभाव राशियों की प्रकृति से युक्त चुनावी प्रत्याशी बड़े ही सुनियोजित तरीके से अपनी बातों से जनता को संतुष्ट कर सकता है। इन्हीं सब विशेष गुण के कारण बुध प्रधान व्यक्ति और बुध ग्रह की दोनों राशियों से संबंधित प्रत्याशी चुनावी मैदान में विशेष सफलता प्राप्त करते हैं। बुध के प्रबल होने पर और जन्मकुण्डली के दशम भाव, जो राजनीति का कर्म भाव कहा जाता है, से संबंध रखने पर व्यक्ति अच्छा वक्ता होता है।
बुध निर्णय क्षमता, बुद्धि देता है और गुरु ज्ञान देता है, दोनों प्रबल होने पर वाणी में ओज व विद्वत्ता का समन्वय होता है, ऐसे नेताओं अथवा चुनावी प्रत्याशियों की भाषण कला जनता में विशेष लोकप्रिय होती है, उसी के बल पर वे जनमानस में अपना स्थान बनाते हैं। लाल किताब के अनुसार बुध मौकापरस्त ग्रह है, मौका देखकर ही परिस्थितियों के अनुसार कार्य करता है इसलिए बुध प्रधान चुनावी प्रत्याशी के पास चुनाव जीतने की असीमित योजनाऐं रहती हैं। सर्वोच्च राजयोग की श्रेणी में प्रसिद्ध राजनेताओं की जन्मपत्रिका में पंचमहापुरूष राजयोगों का योगदान रहा है, किसी भी चुनावी प्रत्याशी की कुण्डली में पंचमहापुरूष नामक राजयोग होने पर साधारण से साधारण परिवार में जन्मा व्यक्ति भी अद्वितीय सफलता प्राप्त कर महलों में निवास करता है और राजकाज सम्भालाता है।
बुध द्वारा पंचमहापुरूष राजयोग में भद्र नामक राजयोग आता है, बुध ग्रह जब किसी भी प्रत्याशी की कुण्डली में अपनी मिथुन अथवा कन्या राशि में स्थित होकर केन्द्र में विराजमान हो तो भद्र नामक पंचमहापुरूष राजयोग प्रत्याशी को सफल राजनेता की श्रेणी प्रदान करता है। चुनावी मैदान में प्रत्येक प्रत्याशी जी-जान से चुनाव जीतने के लिए मेहनत एवं कर्म करता है, लेकिन लाख प्रयास एवं कर्म करने के बाद सफलता या असफलता उसके सितारों पर निर्भर है। बुध के साथ सूर्य मिलकर प्रत्याशियों की कुण्डली में बुधादित्य योग का सृजन करता है। प्रत्याशी बुद्धि-बल के माध्यम से जनता का हितैषी बन जाते हैं। ज्योतिषीय योगों के प्रभाव से प्रत्याशी अपनी बुद्धि-बल के साथ-साथ सूर्य के समान तेजस्वी रहता है। बुधादित्य योग में सूर्य और बुध की युति किसी भी राशि में हो सकती है। प्रत्येक राशि में सूर्य और बुध का बुधादित्य योग एकसमान फल नहीं प्रदान करता, बुद्धि एवं चतुराई का अनुपात विभिन्न राशियों में भिन्न-भिन्न रहता है, अन्य ग्रह स्थिति भी इसे प्रभावित करती हैं।

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