Mohan government completes one year without work… who will congratulate? MP crippled by debt, everyone’s hands empty
- कर्ज से अपंग हुआ मप्र, सबके हाथ खाली
भोपाल ! मध्यप्रदेश में 13 दिसंबर 2023 को भाजपा ने डॉ. मोहन यादव को प्रदेश की कमान सौंपी। एक साल के कार्यकाल में मोहन यादव ने कई मायनों में यह साबित कर दिया कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का भाजपा का फैसला दूरदर्शी था। चुनौतियां कई थीं, पर उन्होंने काल के प्रवाह में इन फैसलों को मजबूती में बदलकर नेतृत्व के फैसले को सही साबित किया। शहर से ग्रामीण व्यवस्था तक हर मोर्चे पर सरकार ने अपना विजन बनाकर काम शुरू किया। जो काम प्रदेश में 20 साल में भी नहीं हुए थे उन पर सरकार ने सबसे ज्यादा फोकस किया।
चालू वित्तीय वर्ष में कब-कब लिया कर्ज
27 नवंबर
2500 करोड़ का कर्ज 20 साल के लिए
2055 करोड़ का कर्ज 14 साल के लिए
9 अक्टूबर
2500 करोड़ का कर्ज 11 साल के लिए
2500 करोड़ का कर्ज 19 साल के लिए
25 सितंबर
2500 करोड़ का कर्ज 12 साल के लिए
2500 करोड़ का कर्ज 19 साल के लिए
28 अगस्त
2500 करोड़ का कर्ज 14 साल के लिए
2500 करोड़ का कर्ज 21 साल के लिए
और 28 अगस्त को ही
2500 करोड़ का कर्ज 11 साल के लिए
2500 करोड़ का कर्ज 21 साल के लिए
फिलहाल ये है खजाने की स्थिति
- बाजार से कर्ज 234812.63 करोड़
- अन्य बॉण्ड 5888.44 करोड़
- 19195.00 की अन्य देनदारी
- 15246.01 करोड़ रुपए वित्तीय संस्थाओं से कर्ज
- 38421.73 करोड़ रुपए राष्ट्रीय बचत फंड
- 62012.72 करोड़ का कर्ज तथा केंद्र सरकार से ली गई एडवांस राशि
मोहन सरकार की बड़ी चुनौतियां
- नर्सिंग घोटाला
नर्सिंग घोटाले के बाद नर्सिंग शिक्षा पर लगा कलंक मिटाना। कॉलेज कम हुए। परीक्षाएं समय पर नहीं हो सकीं। हालांकि अब परीक्षाएं शुरू हुई हैं। परीक्षाएं न होने से नर्सिंग स्टाफ कम हुआ है। कोर्ट की निगरानी में जांच जारी है। कई कॉलेजों की मान्यता समाप्त हो चुकी है। घोटाले को लेकर छात्र संगठन भी मुखर हैं।
- नहीं निकला रास्ता
वर्ष 2016 से राज्य के अधिकारी और कर्मचारियों का प्रमोशन नहीं हो रहा। हाईकोर्ट ने पदोन्नति नियम निरस्त कर दिए हैं। सरकार के इस दिशा में प्रयास नाकाफी रहे। प्रमोशन का इंतजार करते-करते एक लाख से ज्यादा कर्मचारी रिटायर हो गए, लेकिन प्रमोशन का रास्ता नहीं निकला। इससे कर्मी नाराज हैं।
- नियुक्ति के द्वार कब?
मोहन सरकार ने एक लाख पदों पर नियुक्तियों का वादा किया है, प्रक्रिया दिसंबर तक शुरू होनी थी, लेकिन ज्यादातर विभागों में कागजी घोड़े ही दौड़ रहे हैं। खाली पदों की जानकारी भी नहीं भेज पाए हैं। विभागों में नियुक्तियां न होने से होने युवा ओवरएज हो रहे हैं। युवा आंदोलनरत भी हैं।
- बजट से ज्यादा कर्ज
आय से ज्यादा राज्य में खर्च है। कर्ज का बोझ बढ़ा है। लगातार कर्ज लेने का नतीजा यह है कि बजट से ज्यादा कर्ज हो गया है। कर्ज का बोझ कम करने के उपाय खोजे जा रहे हैं। सरकार में फिजूलखर्ची पर रोक लगाई गई है, लेकिन सकारात्मक परिणाम नहीं दिख रहे।
- अपराध ने बढ़ाई चिंता
राज्य में बढ़ते अपराध बड़ी चुनौती हैं। अपराधों के नए तरीके आने से लोग चिंतित हैं। साइबर क्राइम भी चुनौती है। इससे निपटने के लिए सरकार प्रयास कर रही है, लेकिन पुलता इंतजाम नहीं हो पाए हैं। लोगों को जागरूक किया जा रहा है। विपक्षी दल कांग्रेस इसको लेकर सरकार की लगातार घेराबंदी कर रही है।
- बढ़ता प्रदूषण
शहरों में बढ़ता प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी है। चिंता यह है कि यदि प्रदूषण इसी तरह बढ़ता रहा तो कहीं दिल्ली जैसी हालत न बन जाएं, उसे रोकना किसी चुनौती से कम नहीं। प्रदूषण रोकने के लिए बजट में लगातार प्रावधान किया जा रह है, लेकिन धरातल पर यह नजर नहीं आता।
अपने वादे पूरे नहीं कर रही सरकार
4000 वकीलों के सामने मुलयमंत्री ने वकीलों के हित के लिए घोषणा की थी। यह सरकार महज घोषणा करना जानती है, वादा पूरा नहीं करती। इसलिए सरकार के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं। एडवोकेट प्रोटेशन एट भी लागू नहीं किया है।
-पवन पाठक, अध्यक्ष, हाईकोर्ट बार एसो. ग्वालियर
निवेश प्रस्तावों के दिखेंगे बेहतर परिणाम
नया चेहरा होने के बावजूद सीएम डॉ. मोहन यादव ने शासन-प्रशासन पर मजबूत पकड़ बनाई है। औद्योगिक निवेशक लाने के लिए देश-विदेश में दौरों के भविष्य में अच्छे परिणाम दिखेंगे। शहरों में सड़क कनेक्टिविटी के लिए काम हो रहा है।
-संजय गोरानी, सचिव यशवंत क्लब इंदौर
मुख्यधारा से जुड़ रहे आदिवासी परिवार
सरकार ने आदिवासी बहुल क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करने एमएसएमई, स्टार्टअह्रश्वस और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने के प्रयास किए हैं। आदिवासी परिवारों को मुलयधारा से जोडऩे के लिए उठाए गए कदमों के परिणाम देखने को मिल रहे हैं। -संजीव कुमार बैगा, युवा, शहडोल
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✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र