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भोपाल
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन द्वारा प्रस्तुत बजट किसानों के सशक्तीकरण का माध्यम बनेगा। एक ओर जहां खेती में लागत लगाने के लिए किसानों को राशि की व्यवस्था करने किसी का मुंह नहीं देखना पड़ेगा तो दलहन और कपास उत्पादक किसानों को उत्पादकता बढ़ाने के लिए मदद मिलेगी।

किसानों को ऐसे होगा फायदा
उच्च पैदावार वाले बीज तैयार करने के साथ उसका प्रसार किया जाएगा। नई किस्में आएंगी, जिससे उत्पादन बढ़ेगा और खेती लाभकारी बनेगी मध्य प्रदेश में 65 लाख 83 हजार 726 किसानों को क्रेडिट कार्ड बनाए गए हैं। अभी इन्हें तीन लाख रुपये तक ऋण मिलता है।
सहकारी बैंकों के माध्यम से सरकार बिना ब्याज का ऋण उपलब्ध कराती है। इसका उपयोग खाद-बीज खेत तैयार करने से लेकर अन्य कार्यों में किया जाता है।
अब ऋण की यह सीमा पांच लाख रुपये होगी यानी दो लाख रुपये अधिक मिलेंगे। निश्चित तौर पर इससे अधिक किसान सहकारिता की व्यवस्था से जुड़ेंगे। इससे खेती का लागत भी कम होगी। दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के लिए सरकार ने मिशन घोषित किया है।

दरअसल, प्रमुख दलहन उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में लगातार तुअर और उड़द का क्षेत्र घट रहा है। लागत अधिक होने और अन्य उपज कही तुलना में उचित मूल्य न मिलने के कारण किसान दलहन फसलों से दूर हो रहे हैं। आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, तुअर की बात करें तो वर्ष 2022-23 की तुलना में 2023-24 में 6.63 प्रतिशत की कमी देखने को मिली थी।
यही स्थिति उड़द की भी रही। इसका क्षेत्र 34 प्रतिशत घटा, जबकि, मसूर के क्षेत्र 5.80 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हालांकि, संतोष की बात यह है कि उत्पादन अधिक प्रभावित नहीं हुआ।
इस योजना में वर्तमान योजनाओं का अभिसरण के माध्यम से कम उत्पादकता, कम उपज और औसत से कम ऋण मानदंड वाले जिले शामिल किया जाएगा।
ग्रामीण समृद्धि और लचीला निर्माण नामक कार्यक्रम में कौशल, निवेश, प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर बनेंगे, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में गति आएगी।
इस योजना के पहले चरण में 100 विकासशील कृषि जिलों को शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश की प्रमुख वाणिज्यिक फसल में शामिल कपास का क्षेत्र मालवांचल है।
इसका क्षेत्र लगभग साढ़े छह लाख हजार हेक्टेयर और उत्पादन 9.17 लाख टन हो गया है। केंद्र सरकार द्वारा घोषित मिशन का लाभ मालवा और निमाड़ के किसानों को मिलेगा।

किसानों की आय बढ़ाने कृषि से जुड़े क्षेत्रों पर फोकस
किसानों की आय बढ़ाने के लिए बजट में कृषि से संबद्ध क्षेत्रों पर फोकस किया गया है। सब्जियों और फलों की खेती को बढ़ावा देने के साथ प्रसंस्करण, कोल्ड स्टोरेज और लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए कार्यक्रम चलाया जाएगा। प्रदेश में भी किसानों को परंपरागत खेती के साथ-साथ उद्यानिकी फसलों के लिए प्रेरित किया जा रहा है। सब्जियों का क्षेत्र 11.88 लाख से बढ़कर 12.19 लाख हेक्टेयर हो चुका है। उत्पादन भी 242.62 लाख टन पहुंच गया है। आलू, टमाटर और प्याज का उत्पादन बढ़ा है। इसी तरह फलों की खेती को देखा जाए तो यह साढ़े चार लाख हेक्टेयर है और उत्पादन लगभग सौ लाख टन हो गया है। प्रमुख फसलों में केला, आम और नारंगी है।

क्रियान्वयन पर ध्यान दे सरकार
बजट में कृषि क्षेत्र को लेकर किए गए प्रविधानों पर पूर्व कृषि संचालक जीएस कौशल का कहना है कि योजनाएं तो पहले से भी हैं लेकिन क्रियान्वयन नहीं हो पाता है।
दलहल का उत्पादन बढ़ाने के लिए कार्यक्रम पहले भी लागू किए जा चुके हैं पर इसका वैसा लाभ किसानों को नहीं मिली, जिस मंशा के साथ ये प्रारंभ किए गए थे।यही स्थिति कपास को लेकर भी है। उद्यानिकी फसलें निश्चित तौर पर लाभदायक होती हैं लेकिन यह तब जब उचित मूल्य मिले। अभी समस्या बाजार की है।
इसके अभाव में बिचौलिए लाभ उठाते हैं। किसान क्रेडिट कार्ड योजना में भले ही ऋण लेने की सीमा तीन से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दी गई है पर इससे किसानों पर कर्ज का बोझ बढ़ेगा।
इसके स्थान पर न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने की गारंटी, प्रसंस्करण और भंडारण की सुविधा का विस्तार किया जाना चाहिए ताकि किसान जब उसे उचित मूल्य तब उपज बेच सके।

 

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