भोपाल
कुटीर एवं ग्रामोद्योग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री दिलीप जायसवाल ने कहा है कि नर्मदापुरम, प्रदेश का पहला जिला है, जहां चारों प्रकार के रेशम का उत्पादन होता है। नर्मदापुरम में टसर रेशम, मलबरी रेशम, इरी रेशम और मूँगा रेशम (गोल्डन सिल्क) का उत्पादन किया जाता है। ये चारों प्रकार के रेशम जिले में तैयार किए जाते हैं और देशभर में प्रसिद्ध हैं।
रेशम उद्योग के विकास को मिलेगी गति
राज्यमंत्री श्री जायसवाल ने कहा कि नर्मदापुरम में रेशम केंद्र है, जहाँ रेशम के धागे और कपड़ों का उत्पादन किया जाता है। रेशम केंद्र में अब परंपरागत डिजाइनों से हटकर नए डिजाइनों को शामिल करने की तैयारी की जा रही है। जिले में मालाखेड़ी में मध्यप्रदेश की पहली ककून मंडी है, जहाँ रेशम के ककून का बाजार लगता है।
नर्मदापुरम जिले की महिलाएं रेशम उत्पादन से जुड़कर अपना सशक्तिकरण कर रही हैं। मढ़ई रेशम उत्पादन केंद्र को सिल्क टूरिज्म के लिए विकसित किया जा रहा है। रेशम के धागे का उपयोग करके दवाइयां भी बनाई जा रही हैं। जिले में रेशम उत्पादन के विस्तार के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। नर्मदापुरम रेशम उत्पादन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण केंद्र है और रेशम से संबंधित विभिन्न गतिविधियों और योजनाओं के साथ भी जुड़ा हुआ है।
राज्यमंत्री श्री जायसवाल ने कहा कि नर्मदापुरम में रेशम का उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। जिले के किसानों को रेशम उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो सके।
रेशम उत्पादन के लिए जिले में अनुकूल जलवायु और परिस्थितियाँ हैं। किसानों को रेशम के कीड़ों का पालन करने और रेशम उत्पादन के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। रेशम उत्पादन से किसानों को अतिरिक्त आय का साधन मिलेगा और जिले की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि सरकार रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को हरसंभव सहायता प्रदान कर रही है। नर्मदापुरम में रेशम उत्पादन के बढ़ने से जिले के किसानों को लाभ होगा।

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