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Mohan government’s order: Now along with wheat, jowar, millet and ragi will also be available at ration shops.

  • मध्यप्रदेश में राशन दुकानों पर अब श्रीअन्न भी मिलेगा
  • सीएम के निर्देश, पीएम अन्न योजना के हितग्राहियों का सर्वे हो
  • इसकी गतिविधियों पर प्रस्तुतिकरण के साथ चर्चा भी हुई

भोपाल। मध्य प्रदेश में गरीबी रेखा के अंतर्गत आने वाले हितग्राहियों को राशन वितरण में अब श्रीअन्न के तहत राज्य में उत्पन्न होने वाले ज्वार, बाजरा और रागी भी दी जाएगी। इसके लिए स्थानीय किसानों से अनाज लेने और प्रक्रिया में स्व-सहायता समूहों को जोड़ने पर विचार किया जाएगा।

इसके साथ ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत जिन्हें पर्ची जारी की गई है, वह योजना के लिए पात्र हैं या नहीं इसका भी सर्वे कराया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को मंत्रालय में खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की समीक्षा बैठक में यह निर्देश दिए। बैठक में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, मुख्य सचिव वीरा राणा, अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा सहित अधिकारी उपस्थित थे।

बैठक में खाद्य सुरक्षा अधिनियम, फोर्टिफाईड चावल, शक्कर एवं नमक वितरण अनुसूचित जाति जनजाति विद्यार्थियों को रियायती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने, वन-नेशन-वन राशन कार्ड, प्रधानमंत्री राशन आपके ग्राम योजना, मुख्यमंत्री युवा अन्नदूत योजना, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, महिलाओं को 450 रुपये में गैस रिफिल उपलब्ध कराना, प्रधानमंत्री जनमन मिशन, गेहूं उपार्जन की स्थिति और लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के लिए जारी गतिविधियों पर प्रस्तुतिकरण के साथ चर्चा भी हुई।

राज्य स्तर पर गठित होगा गैस कारपोरेशन
मुख्यमंत्री ने कहा कि नापतौल विभाग के अमले की यूनिफार्म तय की जाए। अन्य राज्यों जैसे महाराष्ट्र, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना आदि में इस संबंध में जारी व्यवस्था के आधार पर प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाए। उन्होंने पाइप लाइन द्वारा रसोई गैस उपलब्ध कराने संबंधी गतिविधि के लिए राज्य स्तर पर गैस कारपोरेशन गठित करने की आवश्यकता बताई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र में भी गैस उपयोग की संभावना है, अत: इसकी आपूर्ति को ध्यान में रखते हुए कार्ययोजना बनाई जाए। अन्य राज्यों में इस संबंध में लागू व्यवस्था का भी अध्ययन किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में दलहन उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए नीति बनाई जाए।

साथ ही भू-जल भंडारण के संरक्षण और बिजली की बचत के दृष्टिगत बिना मौसम की धान व मूंग के उत्पादन को हतोत्साहित किया जाए। इसके लिए किसानों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से किसान सम्मेलन और कृषि विशेषज्ञों के साथ परिचर्चाएं भी की जाएं।