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भोपाल
 मध्य प्रदेश में अब हिंदी और अंग्रेजी नहीं बल्कि तमिल और तेलुगू भाषाओं में भी पढ़ाई होगी. इसकी घोषणा मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने राजभवन में आयोजित 'कर्मयोगी बनें' कार्यशाला में की. इस कार्यशाला में सीएम के साथ राज्यपाल मंगूभाई पटेल और उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के साथ विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित रहे. इस अवसर पर सीएम मोहन यादव ने कहा कि "हमारे यहां विद्यार्थियों को केवल हिंदी ही नहीं तमिल-तेलुगू जैसी भाषा में भी पढ़ाने के लिए हम प्रेरित करेंगे. जो बच्चे इसमें जाएंगे उनको विशेष अंक देकर प्रोत्साहन देंगे. ये भाषाओं का गुलदस्ता हमारा है, हमें इस पर गर्व होना चाहिए."

'हर व्यक्ति अपने कर्मों से बंधा'

सीएम डॉ मोहन यादव ने कहा कि "भगवत गीता में कर्म, अकर्म और विकर्म को समझााने का प्रयास किया गया है. जिसने जन्म लिया है, उसे सांस लेना, सोना और खाना भी कर्म है. हर व्यक्ति अपने कर्मो से बंधा हुआ है. हम जो भी कार्य करें, उसका दोष भगवान को न दें. हमने मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की है. लेकिन वर्तमान में जिनको जैसी बातें करनी है, वो राजनीतिक दृष्टि से करते होंगे. हम तो राष्ट्रनीति के आधार पर सोचते हैं. हम अपने कर्मो के आधार पर जिस जगह भी पहुंचते हैं, वहां पूरी निष्ठा, उर्जा और आनंद के साथ काम करना चाहिए."

हम मिलकर एक विकसित भारत का निर्माण कर रहे

राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने कहा कि "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश इतिहास के ऐसे पड़ाव पर पहुंच गया है, जहां से साफ दिख रहा है कि 21वीं सदी भारत की होगी. इतिहास साक्षी है, जापान, जर्मनी, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया 4 से 5 दशक पहले ऐसे ही मोड़ पर थे. जहां से एकजुट होकर उन्होंने अपने राष्ट्र के विकास की नई इबारत लिखी. आज भारत भी उसी दौर से गुजर रहा है और हम मिलकर विकसित भारत का निर्माण कर सकते हैं." राज्यपाल ने कर्मयोगी की परिभाषा बताते हुए कहा कि "व्यक्तिगत लाभ, सफलता-असफलता की चिंता किए बगैर निरंतर कार्य करने वाला ही सच्चा कर्मयोगी है."

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