नई दिल्ली
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन और तुर्की ने किस तरह पाकिस्तान का साथ दिया, इसे पूरी दुनिया ने देख लिया है। तुर्की और चीन निर्मित ड्रोनों का भरपूर इस्तेमाल पाकिस्तान ने भारत पर हमले के लिए किया लेकिन भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने उन सभी ड्रोनों और मिसाइलों की हवा निकाल दी। अभी भी पाकिस्तान द्वारा दागी गईं चीनी और तुर्की के मिसाइलों और ड्रोनों के अवशेष भारत में मौजूद हैं। हालांकि, भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर हो गया है लेकिन चीन और तुर्की के अलावा एक और देश अजरबैजान का चेहरा बेनकाब हो गया है, जिसने भाईजान बनकर पाकिस्तान का समर्थन किया था।
बड़ी बात ये है कि इन देशों की अर्थव्यवस्था में भारत का बड़ा योगदान है। चीन जहां भारत में अपने सस्ते माल बेचकर बड़ी कमाई करता है, वहीं तुर्की और अजरबैजान भारतीय पर्यटकों से गाढ़ी कमाई करता है। यानी ये देश कमाई भारत से करते हैं लेकिन उसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ कर रहे हैं। ऐसे में भारतीयों ने अब इनका विरोध करना शुरू कर दिया है। सोशल मीडिया पर भी तुर्की और अजरबैजान के बहिष्कार का आह्वान किया जा रहा है। व्यापारियों के संगठन, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने भी भारतीय व्यापारियों और नागरिकों से मौजूदा शत्रुता के बीच पाकिस्तान का खुला समर्थन करने के जवाब में तुर्की और अजरबैजान की यात्रा का पूरी तरह से बहिष्कार करने का आह्वान किया है।
चीनी उत्पादों का बहिष्कार पहले से ही जारी
बता दें कि CAIT लंबे समय से चीनी उत्पादों के बहिष्कार के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान चला रहा है, जिसका काफी प्रभाव पड़ा है, और अब इसका इरादा इस आंदोलन को तुर्की और अजरबैजान तक बढ़ाने का है। संगठन इस अभियान को तेज करने के लिए ट्रैवल और टूर ऑपरेटरों और अन्य संबंधित हितधारकों के साथ सहयोग करेगा। CAIT के महासचिव और चांदनी चौक से सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने बुधवार को यह अपील की और इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान के भाईजान तुर्की और अजरबैजान की यात्रा का बहिष्कार करने से इन देशों की अर्थव्यवस्थाओं, खासकर उनके पर्यटन क्षेत्र पर काफी असर पड़ सकता है।
2024 में 300000 पर्यटक अकेले भारत से
2024 के आंकड़ों का हवाला देते हुए खंडेलवाल ने बताया कि तुर्की में करीब 62.2 मिलियन विदेशी पर्यटक आए, जिनमें से करीब 300,000 पर्यटक अकेले भारत से आए। यह 2023 की तुलना में भारतीय पर्यटकों में 20.7 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। व्यापारिक निकाय ने कहा कि तुर्की का कुल पर्यटन राजस्व 61.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जिसमें प्रत्येक भारतीय पर्यटक औसतन 972 अमेरिकी डॉलर खर्च करता है, जो कुल अनुमानित भारतीय व्यय 291.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर है।
तुर्की को 291.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान
उन्होंने कहा कि अगर भारतीय पर्यटक तुर्की का बहिष्कार करते हैं, तो देश को लगभग 291.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, भारतीय शादियों, कॉर्पोरेट कार्यक्रमों और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के रद्द होने से अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक नुकसान और भी अधिक होगा। तुर्की ने भारत के खिलाफ अपना रंग तब दिखाया है, जब दो साल पहले ही वहां विनाशकारी भूकंप के दौरान भारत ने दिल खोलकर उसकी मदद की थी। तुर्की की जीडीपी में पर्यटन का योगदान 12 फीसदी है। अज़रबैजान के बारे में खंडेलवाल ने कहा कि 2024 में देश में लगभग 2.6 मिलियन विदेशी पर्यटक आए, जिनमें से लगभग 250,000 भारतीय थे। एक भारतीय पर्यटक द्वारा औसत खर्च 2,170 AZN था, जो लगभग 1,276 अमेरिकी डॉलर है, जिससे कुल भारतीय योगदान लगभग 308.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। उन्होंने कहा कि इसलिए भारतीय पर्यटकों द्वारा बहिष्कार से इस परिमाण का सीधा नुकसान हो सकता है।
छुट्टियों, शादियों और मनोरंजन के लिए जाते हैं अज़रबैजान
उन्होंने बताया कि चूंकि भारतीय यात्री मुख्य रूप से छुट्टियों, शादियों, मनोरंजन और साहसिक गतिविधियों के लिए अज़रबैजान जाते हैं, इसलिए बड़े पैमाने पर गिरावट इन क्षेत्रों में उल्लेखनीय आर्थिक मंदी का कारण बन सकती है। खंडेलवाल ने कहा कि यह आर्थिक दबाव तुर्की और अज़रबैजान दोनों को भारत के प्रति अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर सकता है। इसके परिणामस्वरूप सांस्कृतिक आदान-प्रदान में कमी आएगी और दोनों देशों में स्थानीय व्यवसायों जैसे होटल, रेस्तरां, टूर ऑपरेटर और अन्य पर्यटन-संबंधी सेवाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। अज़रबैजान की जीडीपी में पर्यटन का योगदान 10 फीसदी है।

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