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इस्लामाबाद
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ अटैक और चीन समेत कई देशों से बढ़ते व्यापार युद्ध के बीच पाकिस्तान ने दो कट्टर दुश्मनों यानी अमेरिका और चीन को एक मंच पर ला खड़ा किया है। दरअसल, पाकिस्तान ने अपनी खानों और खनिज क्षेत्र में निवेश के लिए अमेरिका, चीन और सऊदी अरब के प्रतिनिधिमंडलों के साथ मंगलवार को इस्लामाबाद में एक शिखर सम्मेलन की शुरुआत की है, जिसमें अधिकारियों को अरबों डॉलर के निवेश की उम्मीद है। इस आयोजन का उद्देश्य पाकिस्तान के तांबा, सोना, लिथियम और अन्य खनिजों के विशाल भंडार को दुनिया के सामने लाना है। साथ ही लंबे समय से उपेक्षित इस क्षेत्र में निवेश के अवसरों को बढ़ावा देना है।

पाकिस्तान खनिज निवेश मंच का उद्घाटन उप प्रधान मंत्री इशाक डार ने किया, जिन्होंने अपने संबोधन में कहा कि "पाकिस्तान रणनीतिक रूप से वैश्विक खनन महाशक्ति के रूप में उभरने की स्थिति में है।" उन्होंने कहा कि देश के पास दुनिया के सबसे बड़े अज्ञात भंडारों में से एक है और संभावित निवेशकों को प्रोत्साहन दे रहा है। पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ और देश के शक्तिशाली सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

बलूचिस्तान में तांबे और सोने का सबसे बड़ा भंडार
बता दें कि पाकिस्तान में खनिज संपदा का भंडार है, जिसमें दुनिया के सबसे बड़े तांबे और सोने के भंडारों में से एक रेको डिक भी शामिल है, जो अशांत दक्षिण-पश्चिमी प्रांत बलूचिस्तान का एक जिला है, जहां हाल के वर्षों में बलूच अलगाववादियों द्वारा सुरक्षा बलों और विदेशियों पर हमलों में वृद्धि देखी गई है। तेल और खनिज से समृद्ध बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा लेकिन सबसे कम आबादी वाला प्रांत है। यह देश के जातीय बलूच अल्पसंख्यकों का केंद्र है, जिनके सदस्यों का कहना है कि उन्हें केंद्र सरकार द्वारा भेदभाव और शोषण का सामना करना पड़ता है।

पाकिस्तान का कहना है कि उसने बलूचिस्तान में उग्रवाद को दबा दिया है, लेकिन प्रतिबंधित बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने पिछले महीने से ही हमले जारी रखे हैं। बीएलए ज़्यादातर सुरक्षा बलों और विदेशियों, खासकर चीनी नागरिकों को निशाना बनाता है जो बीजिंग के अरबों डॉलर के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के हिस्से के रूप में पाकिस्तान में हैं। बीएलए चाहता है कि सभी चीनी-वित्तपोषित परियोजनाओं पर रोक लगे और चीनी कर्मचारी पाकिस्तान छोड़ दें।

पाकिस्तान का क्या प्लान?
अब पाकिस्तान ने इस खनिज सम्मेलन के जरिए दो दांव चलने की कोशिश की है। पहला यह कि उसने यह दिखाने की कोशिश की है कि उसके लिए अमेरिका और चीन दोनों एक समान हैं और दोनों ही देशों के साथ वह व्यापारिक और राजनयिक संबंधों में मधुरता बनाए रखना चाहता है। दूसरा वह अशांत बलूचिस्तान प्रांत में स्थित इन खनिजों के उत्खनन का काम चीन, अमेरिका या सऊदी अरब को देना चाहता है। इसके जरिए वह अशांत बलूचिस्तान में न केवल विदेशी ताकतों और विदेशी परियोजनाओं को बढ़ावा देना चाहता है बल्कि खनिजों के दोहन से प्राप्त राजस्व से अपना खजाना भी भरना चाहता है क्योंकि पाकिस्तान के लिए अपने बल-बूते बलूचिस्तान प्रांत से खनिज संसाधनों का दोहन करना मुश्किल हो सकता है।

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