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इस्लामाबाद.

पाकिस्तान लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रहा है। हालांकि, यहां सरकार, सेना और धार्मिक संगठनों की नजर इन परेशानियों को सुलझाने के बजाय लोगों की रोजमर्रा की जरूरत की चीजों के खात्मे की ओर ज्यादा रही है। सरकार की तरफ से अलग अलग वक्त पर एक्स समेत कई वेबसाइटों और एप्स को बैन करने का फरमान सुनाया जाता रहा है। हालांकि, अब इन मसलों पर धार्मिक संगठन भी घुस गए हैं, जिसे लेकर पाकिस्तान की आवाम में जबरदस्त गुस्सा है।

ताजा मामला पाकिस्तान के एक संवैधानिक धार्मिक संस्थान से जुड़ा है, जिसने इंटरनेट के लिए इस्तेमाल होने वाले वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) को ही इस्लाम विरोधी बता दिया और इसे लेकर फतवा जारी कर दिया। बता दें कि वीपीएन का इस्तेमाल किसी देश में प्रतिबंधित सामग्री, वेबसाइट या एप को चलाने में किया जाता है। इसे लेकर पाकिस्तान में काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी (इस्लामी विचारधारा परिषद), जो कि धर्म से जुड़े शिक्षण और अन्य मुद्दों पर सरकार को सलाह भी देता है, की तरफ से फतवा लोगों को पसंद नहीं आया है। यहां तक कि डिजिटल अधिकारों से जुड़े कार्यकर्ताओं और कुछ धार्मिक नेताओं ने भी इसका विरोध किया है।

इस्लाम के विद्वानों ने घेरा
पाकिस्तान के डॉन अखबार के मुताबिक, सीआईआई के प्रमुख रघी नईमी ने कहा कि वीपीएन के जरिए इंटरनेट पर अवैध सामग्री देखना शरिया के खिलाफ है। सोशल मीडिया पर एक बयान में पाकिस्तान के जाने-माने धार्मिक नेता मौलाना तारिक जमील ने कहा कि अगर वयस्क सामग्री या ईशनिंदा से जुड़ी सामग्री देखना ही मुद्दा है तो वीपीएन से पहले मोबाइल फोन को भी इस्लाम विरोधी घोषित कर देना चाहिए। दूसरी तरफ पाकिस्तान के एक सांसद और शिया संगठन मजलिस वहादत मुस्लिमीन के प्रमुख अल्लमा नसीर अब्बास ने कहा कि देश को अयोग्य और भ्रष्ट उच्च वर्ग चला रहा है, जो लोगों के असल प्रतिनिधि भी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वह ऐसे कानून बनाते हैं और फतवे का इस्तेमाल अपने मन से करते हैं।

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