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नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति मंदिर के लड्डू बनाने में पशु चर्बी के इस्तेमाल की सीबीआई जांच का आग्रह करने वाली जनहित याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता और संगठन ‘ग्लोबल पीस इनिशिएटिव’ के अध्यक्ष केए पॉल की ओर से दायर याचिका खारिज कर दी। बेंच ने कहा, 'आपके निवेदन के अनुसार हमें सभी मंदिरों, गुरुद्वारों आदि के लिए अलग व्यवस्था बनानी होगी। हम यह निर्देश नहीं दे सकते कि किसी विशेष धर्म के लिए एक अलग व्यवस्था बनाई जाए।’

पॉल ने अपनी याचिका में लड्डू प्रसादम की खरीद और निर्माण में भ्रष्टाचार व कुप्रबंधन के आरोपों की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से व्यापक जांच कराए जाने का आग्रह किया था। शीर्ष अदालत ने करोड़ों लोगों की भावनाओं को देखते हुए 4 अक्टूबर को तिरुपति लड्डू तैयार करने में पशु चर्बी के इस्तेमाल के आरोपों की जांच के लिए 5 सदस्यीय स्वतंत्र एसआईटी का गठन किया था। इसने स्पष्ट किया कि अदालत का इस्तेमाल ‘राजनीतिक युद्ध के मैदान’ के रूप में नहीं किया जा सकता।

भक्तों के बीच पैदा हुईं गंभीर चिंताएं
केए पॉल ने अपनी जनहित याचिका में कहा कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की ओर से ‘लड्डू प्रसादम’ के निर्माण में मिलावटी घी सहित घटिया सामग्री का इस्तेमाल करने का आरोप लगाए गए। इससे भक्तों के बीच गंभीर चिंताएं पैदा हो गई हैं और प्रसाद की पवित्रता पर सवाल खड़ा हो गया है। टीटीडी बोर्ड के नवनियुक्त अध्यक्ष बीआर नायडू ने बीते दिनों बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा कि भगवान वेंकटेश्वर के निवास तिरुमला में काम करने वाले सभी लोग हिंदू होने चाहिए। टीटीडी अध्यक्ष ने कहा कि वह आंध्र प्रदेश सरकार से बात करेंगे कि दूसरे धर्मों के कर्मचारियों के संबंध में क्या फैसला लिया जाए, क्या उन्हें अन्य सरकारी विभागों में भेजा जाना चाहिए या वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) दी जानी चाहिए।

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