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Kharif 2025: Farmers’ preparations intensify with expectations of soybean, but seed crisis remains a challenge

भोपाल ! खरीफ 2025 की तैयारियों ने ज़ोर पकड़ लिया है और इस बार किसानों के लिए ये सीजन निर्णायक साबित हो सकता है। मौसम विभाग ने मानसून समय पर आने और सामान्य वर्षा की भविष्यवाणी की है, जिससे फसल उत्पादन को लेकर उम्मीदें बंधी हैं। खासकर सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों के लिए यह राहत भरी खबर है।

सोयाबीन की खेती को मिल सकती है रफ्तार, पर बीज बना बाधा

मध्यप्रदेश देश में सबसे अधिक सोयाबीन उत्पादन करने वाला राज्य है, लेकिन इस बार किसानों को उपचारित व प्रमाणित बीज नहीं मिल रहा। किसान मंडियों से बीज खरीदकर या अपने ही पुराने बीज का उपयोग कर रहे हैं, जिससे उत्पादन की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है।

किसानों की बात:

सीहोर जिले के किसानों अमित सिंह, राजेंद्र सिंह और विक्रम सिंह मालवीय का कहना है कि मंडियों से बीज मिल रहे हैं, लेकिन प्रमाणित बीज की उपलब्धता सीमित है।

उड़द, मक्का और धान बन रहे विकल्प

कई किसान इस बार सोयाबीन के बदले उड़द और मक्का जैसी फसलें बोने की योजना बना रहे हैं। वहीं जहां पानी की अधिकता है वहां धान की खेती को प्राथमिकता दी जा रही है। इससे फसल विविधता तो बढ़ेगी लेकिन सोयाबीन उत्पादन में गिरावट की आशंका भी जताई जा रही है।

प्रति एकड़ 10 क्विंटल तक उत्पादन संभव

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि किसान उन्नत किस्में और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करें तो प्रति एकड़ 10 क्विंटल तक उत्पादन संभव है।

खरीफ 2025 के लिए प्रमुख सोयाबीन किस्में:

  • JS 9560
  • JS 335
  • JS 9305
  • साठिया किस्म (60 दिनों में तैयार)

विशेषज्ञ सलाह: 2021, 2022 और 2023 में जारी की गई नई किस्मों को अपनाने से उत्पादन में 20% तक की बढ़ोतरी संभव है।

बीज प्रमाणीकरण के आंकड़े

राज्य के कृषि मंत्री एदल सिंह कंषाना ने बताया कि:

  • खरीफ 2024:1.24 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पंजीकृत, 15 लाख क्विंटल बीज प्रमाणित
  • रबी 2024:1.07 लाख हेक्टेयर, 21.86 लाख क्विंटल बीज
  • ग्रीष्म 2024:** 9021 हेक्टेयर, 85 हजार क्विंटल बीज

किसानों के लिए सुझाव: सही किस्म, सही समय

उपसंचालक कृषि के.के. पांडे ने बताया कि बीज तीन वर्गों में आते हैं — जल्दी पकने वाली, मध्यम अवधि वाली और देर से पकने वाली किस्में। किसानों को अपने क्षेत्र और बुवाई के समय के अनुसार सही किस्म चुननी चाहिए।

बीज की खरीद प्रमाणित स्रोतों से ही करें, और बुवाई से पहले उसका परीक्षण अवश्य करें।

खरीफ 2025 में मानसून की अनुकूलता के साथ उत्पादन में सुधार की पूरी संभावना है, लेकिन प्रमाणित बीजों की कमी एक बड़ा सवाल बनकर खड़ा है। अगर किसानों को समय पर सही बीज मिल जाएं और वे आधुनिक तकनीकों का उपयोग करें, तो यह सीजन कृषि क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक मोड़ साबित हो सकता है।

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