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नई दिल्ली
आईटी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी इन्फोसिस द्वारा लगभग 400 ट्रेनी को नौकरी से निकालने को लेकर विवाद गहरा गया है। इन्फोसिस ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि यह कदम उन उनके असेसमेंट में तीन बार असफल होने के बाद उठाया गया है। कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया दो दशकों से लागू है और इसके अंतर्गत ट्रेनी को तीन प्रयासों में असेसमेंट पास करना अनिवार्य होता है।

इन्फोसिस ने पीटीआई से बातचीत में कहा, "सभी ट्रेनी को असेसमेंट पास करने के लिए तीन मौके दिए जाते हैं, अगर वे इनमें असफल रहते हैं तो वे कंपनी के साथ बने नहीं रह सकते हैं।" आपको बता दें कि यह मैसूर कैंपस का मामला है। इन्होंने सितंबर 2024 में कंपनी जॉइन की थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इन्हें निकालने की प्रक्रिया काफी व्यवस्थित तरीके से की गई थी। 50-50 के बैच में 9:30 बजे से लैपटॉप लेकर बुलाया गया। इस दौरान वहां सुरक्षा कर्मी और बाउंसर भी मौजूद थे।

कंपनी के इस कदम पर आलोचना की जा रही है। उन्हें कैंपस छोड़ने के लिए भी कम समय दिया गया। एक महिला कर्मचारी ने मैनेजमेंट से रात को रुकने की अनुमति देने की विनती की, लेकिन उसे 6 बजे तक कैंपस छोड़ने का आदेश दिया। कर्मचारी ने कहा, "मैं कल जाऊंगी। अभी कहां जाऊंगी?" अधिकारियों ने जवाब दिया, “हमें नहीं पता, अब आप कंपनी का हिस्सा नहीं हैं।”

अधिकांश प्रभावित कर्मचारी 2022 बैच के इंजीनियर थे। इन्होंने इन्फोसिस के मैसूर कैंपस में ट्रेनिंग ली थी। आईटी कर्मचारियों की यूनियन NITES ने इन्फोसिस पर बर्खास्तगी की प्रक्रिया के दौरान धमकाने के आरोप लगाए हैं। NITES के अध्यक्ष हरप्रीत सिंह सलूजा ने आरोप लगाया, "कंपनी ने बाउंसर और सुरक्षा कर्मियों का उपयोग कर्मचारियों को डराने-धमकाने के लिए किया और उन्हें मोबाइल फोन रखने की अनुमति नहीं दी, ताकि वे इस घटना को कैद नहीं कर सकें या किसी से मदद नहीं मांग सकें।"

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