Real Estate Guideline Rules: Amendments, Procedures and Administrative Questions
भोपाल। मध्यप्रदेश में अचल संपत्ति के बाजार मूल्य का निर्धारण “मार्गदर्शक बाजार मूल्य सिद्धांत” के आधार पर किया जाता है। यह सिद्धांत राज्य में वर्ष 2000 में लागू हुआ था, और इसके अनुसार प्रत्येक वर्ष संपत्ति की गाइडलाइन दरें निर्धारित की जाती हैं। हाल ही में इस प्रक्रिया के अंतर्गत कुछ संशोधन किए गए हैं, जिनमें नए गजट नोटिफिकेशन और संभावित अध्यादेशों की बात सामने आई है। इसके संदर्भ में जनहित के कुछ सवाल और मुद्दे उठे हैं।
गाइडलाइन निर्धारण की प्रक्रिया और केंद्रीय मूल्यांकन समिति
केंद्रीय मूल्यांकन समिति का गठन गाइडलाइन दरों का निर्धारण करने और उनकी समीक्षा के लिए होता है। इंदौर में गाइडलाइन दरों को लेकर अंतिम बैठक 20 अक्टूबर 2024 को आयोजित हुई, लेकिन इसके बावजूद गाइडलाइन दरें कई स्थानों पर मीडिया में पहले ही लीक हो गईं। इसे लेकर यह सवाल उठता है कि मीडिया तक यह सटीक जानकारी कैसे पहुंची।
जिला मूल्यांकन समिति और दावे-आपत्तियों का समय
इस बार गाइडलाइन पर दावे और आपत्तियों की अंतिम तिथि 4 नवंबर 2024 को निर्धारित की गई है। लेकिन यह समय दीपावली पर्व के अवकाश के बीच आता है, जो कि मध्यप्रदेश में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दौरान लगातार अवकाश होने के कारण यह प्रश्न उठता है कि क्या अवकाश के दिनों में संबंधित कार्यालय खुले थे और क्या लोगों को दावे-आपत्ति दर्ज करने का पूरा अवसर मिला। जनसंपर्क विभाग या जिला प्रशासन ने इस संबंध में क्या सूचनाएं दीं और क्या संबंधित अधिकारियों के बैठने की व्यवस्था थी, इस पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
प्रस्तावित गाइडलाइन के मैन्युअल अवलोकन और सूचना पटल पर जानकारी
प्रस्तावित गाइडलाइन को आम जनता के अवलोकन हेतु कहां रखा गया था, क्या मैन्युअल रूप से इसका निरीक्षण संभव था, और क्या सूचना पटल पर इसकी जानकारी उपलब्ध कराई गई थी? इन सवालों के संदर्भ में वैधानिकता और पारदर्शिता को लेकर चिंताएं सामने आई हैं।
संपदा प्रणाली और बाजार मूल्य के संबंध
प्रश्न यह भी उठता है कि यदि बाजार मूल्य गाइडलाइन दर से कम है, तो क्या संपदा प्रणाली इसे मान्यता देती है? धारा 31 के तहत मूल्य निर्धारण में उपपंजीयक गणों की भूमिका क्या है और कितने जिला पंजीयकों ने इस नियम के तहत दस्तावेज स्पष्ट किए हैं?
आयकर विभाग और गाइडलाइन का संबंध
आयकर विभाग संपत्ति का मूल्य निर्धारण गाइडलाइन दर के अनुसार करता है। क्या यह कानून आयकर विभाग के लिए अब भी लागू है या इसमें किसी प्रकार का संशोधन हुआ है? साथ ही, यदि गाइडलाइन दर को जिला पंजीयक के आदेश से मान्यता मिलती है, तो क्या व्यवहार मूल्य की मान्यता आयकर नियमों के अनुरूप है?
मौखिक निर्देश और वैधानिक नियम
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा इस संबंध में मौखिक निर्देश दिए गए हैं, लेकिन कानून की दृष्टि से मौखिक निर्देशों की तुलना में लिखित और वैधानिक नियम अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। अतः यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि यह गाइडलाइन किस कानून, किस वर्ष और किस विधान के अंतर्गत आती है।
इन प्रश्नों का तथ्यात्मक और नीतिगत उत्तर देकर प्रशासन को पारदर्शिता बनाए रखनी होगी, ताकि आम जनता के अधिकारों की रक्षा हो सके और गाइडलाइन प्रक्रिया के बारे में भ्रम दूर हो सके।
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✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र