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Teacher’s amazing feat: AI Madam created for Rs 2,900, attendance increased by 95% Recorded in India Book

Recorded in India Book में दर्ज

भोपाल। Recorded in India Book एआई के बढ़ते इस्तेमाल ने लोगों को इससे जुड़े इनोवेशन के लिए प्रेरित किया है। बाहर के देशों में तो एआई से जोड़कर लोग नए-नए प्रयोग कर ही रहे हैं। भारत में भी प्रतिभाएं सामने या रही हैं। झांसी के एक सहायक शिक्षक मोहनलाल सुमन ने कम खर्च में एक खास आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) रोबोट शिक्षक बनाया, जिसे एआई टीचर कहा जा रहा है। इसके लिए मोहनलाल को इंडिया बुक ऑफ रिकॉड्र्स 2025 में जगह मिली है।
मोहनलाल ने सिर्फ 2,900 रुपये खर्च करके सर्वो मोटर, तारों और फे्रम से इस रोबोट को तैयार किया। यह रोबोट अब स्कूल में बच्चों को पढ़ा रहा है। इसका नाम सुमन मैडम रखा गया है। सुमन मैडम ने मई में राजापुर गांव के कम्पोजिट स्कूल में पढ़ाना शुरू किया था, जिसके बाद से स्कूल की हाजिरी 65 प्रतिशत से बढ़कर 95 प्रतिशत हो गई। बच्चे सुमन मैडम की क्लास छोडऩा नहीं चाहते।

हर विषय के सवालों का जवाब Recorded in India Book
मोहनलाल बताते हैं कि उनके द्वारा बनाई गई एआई रोबोट सुमन मैडम कभी थकती नहीं है। वह हर विषय के सवालों का जवाब देती है, बच्चों की तारीफ करती है और पहेलियां पूछती है। बच्चे उनके साथ पढ़ाई का मजा लेते हैं और उत्साह के साथ क्लासरूम में आते हैं। अब इसके लिए मोहनलाल को इंडिया बुक ऑफ रिकॉड्र्स के चीफ एडिटर बिस्वरूप रॉय चौधरी ने उन्हें प्रमाणपत्र दिया। यह सम्मान उन्हें इसलिए मिला, क्योंकि उन्होंने इतने कम खर्च में एआई रोबोट बनाया है।

पढ़ाने के साथ-साथ सुनाती है कहानी-कविता Recorded in India Book
सुमन मैडम बच्चों सिर्फ पढ़ाती ही नहीं, बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाती है। उन्हें आगे बढऩे के लिए प्रेरित करती है। एआई टीचर सुमन मैडम बच्चों को कहानियां कहानी सुनाती है, कविता सिखाती है और साइंस पढ़ाने से लेकर ड्रॉइंग करने में भी मदद करती है। सुमन मैडम के चेहरे पर भाव भी आते हैं, आंखों की पलक झपकने से लेकर होठों के मूवमेंट तक भी होते हैं, ये सब मोटर के सहारे होते हैं। इससे बच्चे सुमन मैडम से जुड़ाव महसूस कर पाते हैं।

गैर-शैक्षिक काम से आया आइडिया Recorded in India Book
मोहनलाल को यह रोबोट बनाने का विचार तब, आया जब उन्होंने देखा कि शिक्षकों को गैर-शैक्षिक काम करने पड़ते हैं, जैसे मिड-डे मील की देखरेख या चुनाव ड्यूटी। इन कामों की वजह से स्कूली बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती थी, लेकिन सुमन मैडम ने इस कमी को पूरा किया। उन्होंने एक टेक्नोलॉजी कंपनी की मदद से एक लकड़ी के पुतले में एआई असिस्टेंट फिट किया और उसे स्कूल के लिए तैयार किया।

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