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जयपुर.

जयपुर के एसएमएस अस्पताल में पिछले 16 दिनों से जारी रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल ने मरीजों के लिए गंभीर संकट पैदा कर दिया है। अस्पताल के बाहर लंबी कतारों में खड़े मरीज दर्द से कराह रहे हैं, लेकिन हड़ताल के कारण उन्हें समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। एसएमएस अस्पताल में रोजाना 8000 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते थे, पर अब यह संख्या 4500 से भी कम हो गई है।

मरीजों की तकलीफ को देखते हुए हालात बेहद चिंताजनक हो गए हैं, क्योंकि वार्डों के बेड खाली पड़े हैं और इलाज की प्रक्रिया धीमी हो चुकी है। रेजिडेंट डॉक्टर अपने स्टाइपेंड और वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं। हालांकि, रिपोर्ट्स के अनुसार, राजस्थान में रेजिडेंट्स को कई अन्य राज्यों, जैसे मध्य प्रदेश और तमिलनाडु, की तुलना में अधिक स्टाइपेंड मिलता है। उदाहरण के लिए, एमबीबीएस इंटर्न को राजस्थान में 14,000 रुपये स्टाइपेंड मिलता है जो मध्य प्रदेश के 13,409 रुपये से अधिक है। इसी प्रकार, एमडी/एमएस और डीएम/एमसीएच रेजिडेंट्स को भी अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर स्टाइपेंड मिलता है।

मरीजों की स्थिति और अस्पताल का हाल
हड़ताल से एसएमएस अस्पताल में ओपीडी सेवाओं पर भी भारी असर पड़ा है। सामान्य दिनों में जहां 8000 से अधिक मरीज ओपीडी में आते थे, अब यह संख्या घटकर 4500 से भी कम हो गई है। इसके बावजूद अस्पताल के गेट तक मरीजों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं। इलाज के लिए दो से तीन घंटे तक का इंतजार करना पड़ रहा है। भर्ती मरीजों की संख्या भी तेजी से घट गई है। सामान्य दिनों में जहां 550 मरीज रोजाना भर्ती होते थे, अब हड़ताल के चलते केवल 150 मरीज ही भर्ती किए जा रहे हैं।

सरकार और डॉक्टरों के बीच तनाव
रेजिडेंट्स की मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है, लेकिन सवाल यह है कि जब रेजिडेंट्स को अन्य राज्यों से अधिक स्टाइपेंड मिलता है, तो हड़ताल कितनी जायज है? सरकार की ओर से अभी तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे मरीजों की तकलीफें लगातार बढ़ती जा रही हैं। वहीं, सीनियर डॉक्टर सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक ओपीडी में मरीजों का इलाज कर रहे हैं, लेकिन हड़ताल की खबर फैलने के बाद मरीजों की संख्या भी कम हो गई है।

मरीजों की जान जोखिम में
रेजिडेंट्स की यह हड़ताल पिछले 10 महीनों में पांचवीं बार हो रही है, जबकि प्रदेश में डेंगू, वायरल और अन्य मौसमी बीमारियों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में इस हड़ताल से मरीजों की जान जोखिम में पड़ रही है, और यह सवाल उठता है कि मरीजों के दर्द को हथियार बनाकर हड़ताल करना कितना उचित है?

रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल पर हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान
रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल पर राजस्थान हाईकोर्ट ने गंभीरता से संज्ञान लिया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग, एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रशासन और जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स के प्रतिनिधियों को कोर्ट ने तलब किया है। जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने इस मामले में आदेश देते हुए कहा कि आज बुधवर दोपहर 2 बजे कोर्ट में सुनवाई होगी। हाईकोर्ट ने इस मामले में एडवोकेट अजय शुक्ला और शोभित तिवाड़ी को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया है और उनसे रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। रिपोर्ट में यह जानने की कोशिश की जाएगी कि हड़ताल के कारण चिकित्सा सेवाओं पर कितना असर पड़ा है और इसे जल्द से जल्द कैसे हल किया जा सकता है। आज की सुनवाई में यह तय हो सकता है कि हड़ताल समाप्त करने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे और स्वास्थ्य सेवाओं को सामान्य स्थिति में कैसे बहाल किया जाएगा।

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