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Sawan Pradosh Vrat Puja Vidhi : सावन का पहला प्रदोष व्रत 1 अगस्‍त गुरुवार को है। शिवपुराण में सावन के प्रदोष व्रत का खास महत्‍व माना गया है। सावन के महीने में कृष्‍ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा करने पर आपको शीघ्र ही भोलेबाबा और उनके पूरे परिवार की कृपा प्राप्‍त होती है। आपकी काफी समय से चल रही परेशानियों का अंत होगा। त्रयोदशी तिथि का आरंभ 1 अगस्त को सुबह 3 बजकर 30 मिनट पर हो रहा है और 2 अगस्त को 3 बजकर 27 मिनट तक त्रयोदशी तिथि लगी रहेगी। आइए आपको बताते हैं सावन के प्रदोष व्रत की पूजाविधि और पूजा सामग्री की पूरी लिस्‍ट।

सावन प्रदोष व्रत का महत्‍व

सावन में प्रदोष का व्रत करने से आपको शत्रुओं पर विजय प्राप्‍त होती है। आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और शनि की अशुभ दशा में भी आपको राहत प्राप्‍त होती है। सावन में यदि गुरुवार को प्रदोष व्रत होता है तो आपको गुरु की कृपा भी प्राप्‍त होती है। साथ ही महादेव आपके हर कष्‍ट को दूर करते हैं। महिलाओं को यह व्रत करने से संतान की प्राप्ति के साथ ही मां पार्वती का आशीर्वाद प्राप्‍त होता है।

सावन के प्रदोष व्रत की पूजा सामग्री

फल
फूल
बेल पत्र
अक्षत
नैवेद्य
पान
सुपारी
लौंग
इलाइची
चंदन
शहद
दही
देसी घी
धतूरा
रोली
दीपक
पूजा के बर्तन
गंगाजल

सावन के प्रदोष व्रत की पूजाविधिसावन के प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और तांबे के लोटे से सूर्यदेव को अर्घ्‍य दें। पानी में पीला चंदन और आंकड़े के फूल जरूर मिलाएं। आंकड़े के फूल भगवान शिव को विशेष प्रिय हैं। ये उपाय करने से सूर्यदेव सहित भगवान शिवजी की कृपा भी आपको प्राप्‍त होती और आपका भाग्योदय होता है। इसके बाद भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराएं। बेल पत्र, अष्‍टगंध, अक्षत, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलाइची भगवान को चढ़ाएं। पूरे दिन निराहार रहें और अगर संभव न हो तो एक बार फलाहार कर सकते हैं। शाम को दोबारा इसी तरह से शिव परिवार की पूजा करें। उसके बाद भगवान को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। भगवान शिवजी की आरती करें और शिव तांडव स्‍त्रोत का पाठ करें।

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