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“Services Civil Conduct Act: Are retired officers and employees following it properly?”

भोपाल ! सेवा सिविल आचरण अधिनियम के नियमों पर चर्चा हो सकती है, जिसमें यह बताया जाए कि शासकीय सेवा में रहते हुए लागू नियमों का पालन रिटायर्ड जीवन में भी क्यों आवश्यक है। लेख में पेंशन का उद्देश्य, रिटायर्ड अधिकारी द्वारा निजी क्षेत्र में काम करने के नैतिक और कानूनी पहलुओं पर भी प्रकाश डाला जा सकता है।

Services Civil Conduct Act

शासकीय सेवा में रहते अगर सेवा सिविल आचरण का बंधन है तो रिटायर्ड होने बाद भी,,
पेंशन का मतलब यह कि आपका जीवन सुरक्षित रहे आर्थिक रूप से,
पर जब कुछेक लोग रिटायर्ड होने के बाद अगर अन्यत्र काम कर रहे और पेंशन से अधिक राशि प्राप्त कर रहे वेतन से तो,,,
साथ ही उस विभाग में वे तो कतई नहीं निजी क्षेत्र के कर्मचारि बन काम कर सकते जहां वे पदस्थ थे।
पर क्या हकीकत में ऐसा हो रहा,
ना सरकार ने ना आमजनों ने सवाल उठाया,
सेवा सिविल आचरण वास्तव में पेंशनर्स खातिर भी है पंरतु खबर पढ़ते हैं, जानते हैं देखते हैं कि कुछेक व्यक्ति अधिकारी इसका उल्लंघन करते हैं।
मुखर होकर विरोध करना चाहिए पर नहीं किया जाता क्यों,,
रिटायर्ड जज वकील बनकर मैदान में उतरकर, सरकारी अधिकारियों ने भी मैदान में वकील भी बनकर या निजी कंपनियों में सलाहकार बनकर उसी विभाग में ज्यादा काम करवाने जातें हैं जहां पदस्थ थे।
रिटायर्ड पुलिस अधिकारी भी ,,
आखिरकार सवाल उठना लाजिमी है कि फिर पेंशन क्यों,, सामाजिक दायित्व निर्वहन करने का समय है परिवारिक दायित्व निर्वहन करने का समय है और अगर आप अपनी क्षमताओं का दोहन करना चाहते हैं तो सेवा सिविल आचरण का पालन करें। पेंशन छोड़ दें, राष्ट्रवाद होगा यह आपका,,,।
मैंने कतिपय अधिकारियों खिलाफ आवाज बुलंद की, परिणाम सार्थक निकले,।
सबको उठाना चाहिए तथा पद हैसियत से काम करके रिटायर्ड होने पर फिर उसी विभाग में किसी नीजि कंपनी या स्वयं की ऐजेंसी या अन्य रूप में काम करने खातिर जाना नियमानुसार तथा सेवा सिविल आचरण अनुसार गलत है।
खरी खोटी सच्चाई बयां कि चाहे रिटायर्ड जज हो या अन्य सबके खातिर,,, नैतिकता, राष्ट्रवाद और समाजिक सुरक्षा भी हम से हम स्वयं को समझे तब, स्वयं नियमों के अधीन रहे तो,,,, उपदेशक।

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