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When the ministers themselves are in the dock for crime, then from whom should the public seek justice?

  • Shivraj government to ministers MP मध्यप्रदेश सरकार के दामन पर दाग : जब मंत्रिमंडल ही कटघरे में खड़ा हो

भोपाल ! Shivraj government to ministers MP आई ताज़ा रिपोर्ट ने शिवराज सरकार की छवि पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के विश्लेषण ने साफ कर दिया है कि प्रदेश सरकार का मंत्रिमंडल स्वच्छ राजनीति का दावा करने के बावजूद विवादों और आपराधिक मामलों में गहराई तक उलझा हुआ है।

प्रदेश की कैबिनेट में शामिल 31 मंत्रियों में से 12 मंत्री आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं। इनमें से 3 मंत्री तो हत्या के प्रयास, महिलाओं के प्रति अपमानजनक व्यवहार और भड़काऊ भाषण जैसे गंभीर आरोपों में घिरे हुए हैं। शेष 9 मंत्री भी हल्की धाराओं में ही सही, लेकिन कानून के शिकंजे में फंसे हुए हैं। सवाल यह है कि जब मंत्रिमंडल ही दागदार हो तो आम जनता किससे न्याय और सुरक्षा की उम्मीद करे?

  • ADR रिपोर्ट का खुलासा – शिवराज सरकार के 12 मंत्रियों पर आपराधिक मामले।
  • कैलाश विजयवर्गीय का मामला – 5 FIR और गंभीर धाराओं का विवरण।
  • लोकतंत्र और महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल – सरकार के दावों और हकीकत के बीच का फर्क।
  • जनता और सरकार की जिम्मेदारी – दागी चेहरों को सत्ता से बाहर करने की ज़रूरत।

    कैलाश विजयवर्गीय का मामला – सबसे चौंकाने वाला Shivraj government to ministers MP


    इस सूची में सबसे ऊपर नाम है भाजपा के वरिष्ठ नेता और मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का। उनके खिलाफ कुल 5 एफआईआर दर्ज हैं, जिनमें 6 गंभीर आईपीसी की धाराएँ और 14 अन्य धाराएँ शामिल हैं। इनमें साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने, धार्मिक भावनाएँ भड़काने और भड़काऊ भाषण देने जैसे गंभीर आरोप हैं। अधिकतर मामले पश्चिम बंगाल की अदालतों में लंबित हैं। सवाल यह नहीं है कि अब तक आरोप तय क्यों नहीं हुए, बल्कि यह है कि ऐसे व्यक्ति को मंत्रिमंडल में बैठने का अधिकार आखिर कैसे दिया गया?

    लोकतंत्र का मज़ाक Shivraj government to ministers MP
    मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार बार-बार सुशासन और भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति का दावा करती है, लेकिन ADR की रिपोर्ट ने इस दावे की पोल खोल दी है। जब सत्ता के गलियारों में बैठे लोग ही अपराध के मामलों में लिप्त हों, तो यह लोकतंत्र का मज़ाक है। जनता का भरोसा टूटना स्वाभाविक है।

    महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल Shivraj government to ministers MP
    रिपोर्ट बताती है कि कुछ मंत्रियों पर महिलाओं के प्रति अपमानजनक व्यवहार के गंभीर मामले दर्ज हैं। यह तब है, जब सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे नारों के सहारे खुद को महिलाओं की हितैषी बताती है। लेकिन हकीकत यह है कि जो नेता खुद कटघरे में खड़े हों, वे महिलाओं की सुरक्षा की गारंटी कैसे दे सकते हैं?

    जनता की जिम्मेदारी Shivraj government to ministers MP
    यह मामला केवल सरकार की नाकामी का नहीं, बल्कि जनता की जिम्मेदारी का भी है। आखिरकार ये मंत्री चुनाव जीतकर विधानसभा पहुँचे और वहीं से कैबिनेट में शामिल किए गए। यदि हम जातीय, धार्मिक या भावनात्मक मुद्दों से ऊपर उठकर “स्वच्छ छवि” वाले उम्मीदवारों का चयन नहीं करेंगे, तो लोकतंत्र में ऐसे ही दागदार चेहरे सत्ता की कुर्सी तक पहुँचते रहेंगे।

    Read more: कर्ज़ का बोझ, विकास का खोखला वादा – 2020 से 2025 तक मध्य प्रदेश सरकार ने जनता को दिया सिर्फ़ कर्ज़ का पहाड़

    ADR की रिपोर्ट एक चेतावनी है। यह केवल आँकड़े नहीं, बल्कि लोकतंत्र की गिरती साख का आईना है। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार को चाहिए कि वह ऐसे दागी चेहरों को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाए और राजनीति को स्वच्छ बनाने का वास्तविक साहस दिखाए। वरना यह याद रखना होगा जब सत्ता अपराधियों से घिर जाती है, तो लोकतंत्र कमजोर होता है और जनता सबसे बड़ा नुकसान उठाती है।

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