MY SECRET NEWS

भोपाल

 देश बंटवारे के बाद पाकिस्तान से मध्यप्रदेश आए सैकड़ों सिंधी परिवारों को अब तक भारतीय नागरिकता नहीं मिली है। वे कलेक्टर कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं। पूज्य सिंधी पंचायत के अध्यक्ष मधु चंदवानी के अनुसार मप्र में करीब 3000 हजार सिंधी परिवार को नागरिकता का मामला लंबित है। इनमें भोपाल और इंदौर में संख्या ज्यादा है। नागरिकता की आस रखने वालों में सात से लेकर 25 वर्ष साल पहले भारत आए सिंधियों के मामले शामिल हैं। यह स्थिति तब है जब केंद्र सरकार ने भोपाल और इंदौर कलेक्टर को सिंधियों को नागरिकता देने का अधिकार दिया है।

भोपाल के ईदगाह हिल्स, बैरागढ़ (संत हिरदाराम नगर) और टीला जमालपुरा में 500 से अधिक सिंधी, सिख समुदाय के लोग लॉन्ग टर्म वीजा पर टेंपरेरी तौर पर रह रहे हैं। ये यहां निवास तो कर रहे हैं लेकिन सभी पाकिस्तानी नागरिक हैं, जिनका परमानेंट पता सिंध प्रांत है।

नहीं मिलता स्पष्ट जवाब

पूज्य सिंधी पंचायत के महासचिव नंद ददलानी का कहना है कि नागरिकता संबंधी मामलों में विलंब होने पर कलेक्टर कार्यालय से कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिलता। यही बताया जाता है कि प्रक्रिया जारी है। कई सालों से समाज के लोग नागरिकता(Citizenship) के इंतजार में हैं।

सीएए के बाद भी प्रक्रिया में नहीं आई तेजी

2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू होने के बाद सिंधियों को जल्द नागरिकता मिलने की उम्मीद बंधी थी। लेकिन अब तक संघर्ष जारी है। विदिशा के बासौदा के 65 वर्षीय नानिकराम माधवानी पिछले 35 वर्षों से नागरिकता के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे दर्जनों सिंधी हैं, जबकि सीएए के अनुसार जो सिंधी सात साल से भारत में रह रहा है वह नागरिकता का हकदार है।

हाल के वर्षों तक आने का सिलसिला जारीः देश बंटवारे के बाद बैरागढ़ में बड़ी संख्या में सिंधी आए। राज्य के गृह विभाग के सूत्रों के अनुसार भोपाल में लगभग 150 ऐसे सिंधी परिवार हैं, जिन्हें भारत आए अभी सात साल भी पूरे नहीं हुए हैं।

हर दो साल में देना पड़ता है हलफनामा

पाकिस्तान से आए सिंधी परिवारों को भारतीय नागरिकता(Citizenship) देने के लिए केंद्र सरकार ने 2016 में गुजरात, राजस्थान सहित मप्र सरकार को अधिकार दिया था। बावजूद इसके वर्ष 1997-98 से 2016 तक के 118 मामले अब भी लंबित हैं। इन्हें प्रत्येक दो साल में एसपी कार्यालय में हलफनामा देना पड़ता है।

कलेक्टरों का ढुलमुल रवैया

मप्र विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव और सिंधी समुदाय के पूर्व अध्यक्ष भगवान देव इसरानी का कहना है कि नौ साल पहले नागरिकता कानून में संशोधन होने पर राज्य सरकार ने सिंधियों को नागरिकता देने के लिए सभी जिला कलेक्टरों को आदेश दिया था। लेकिन प्रक्रिया में कोई तेजी नहीं आई। 1997 से 2018 तक ऐसे 118 मामले लंबित हैं। इसमें इंदौर और भोपाल के मामले शामिल नहीं हैं।

 

Loading spinner
यूजफुल टूल्स
QR Code Generator

QR Code Generator

Age Calculator

Age Calculator

Word & Character Counter

Characters: 0

Words: 0

Paragraphs: 0