Supreme Court attacks bulldozer culture.
जब आज से पांच महीने पहले मेने बुलडोजर संस्कृति पर लिखा,,गलत को गलत लिखा, बुलडोजर घर पर नहीं अपराधी पर चले, निरपराधी परिजनों पर कहर नहीं अपराधी को संरक्षण देने वाले पर कहर बरपे।
बहुतेरे ने अपने सवाल जवाब किए, पर अब जब उच्चतम न्यायालय ने भी लगभग सुर वहीं छेड़ा तो मुझे लगा,निश्चल भाव मन व सोच का भाव सत्यता की लकीरें हमेशा जीत दिलाती है।
अपराधी को सजा मिले कठोर से कठोर मिले, अपराधी के संरक्षकों को भी मिले पर निरपराधी परिजनों को नहीं।चिड़िया जिस तरह तिनका तिनका जोड़कर घोंसला बनाती है बच्चों को सुरक्षित रखने खातिर तो व्यक्ति भी यही करता है, अपराधी तो मेहनत नहीं करता, मेहनत करने वाले परिस्थिति जन्य अपराधी बनते हैं आदतन नहीं होते, परिस्थिति में दुर्भाग्य भी कारक होता है। पर आदतन तो अंधेरी गुफा में स्वयं जाता है। ।।
अपराधी का अपराध पहला है, देशद्रोही अपराधी है, समाज या व्यवसाय, महिला शोषणकारी व्यवस्था का अंग है या शोषणकारी, समझने की आवश्यकता है फिर कठोर सजा मिले।
बुलडोजर चला आज क्यों, अतिक्रमण दिखा आज क्यों,था तो पहले कौन-कौन दोषी,,, बुलडोजर आज ही क्यों, सुनवाई अवसर क्यों नहीं सबकुछ अधिकारियों को तय करना है।
नहीं कानून हैं देश में हिटलरशाही नहीं चलेगी न्यायालय का चाबुक चलेगा न्याय अनुसार चलेगा,।
साधुवाद उच्चतम न्यायालय
प्रमोद कुमार व्दिवेदी एड्वोकेट

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