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जस्टिस बीआर गवई आज ली 52वें सीजेआई के रूप में शपथ, दे चुके हैं ये बड़े फैसले

नई दिल्ली जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने आज सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ ले ली है. वह सुप्रीम कोर्ट के 52वें सीजेआई बन गए हैं. देश के इस अहम पद पर बैठने से पहले उन्होंने अपनी मां का आशीर्वाद लिया. CJI पद की शपथ लेते ही सबसे पहले उन्होंने अपनी मां कमलताई गवई के पैर छुए. जस्टिस गवई भारत के पहले बौद्ध सीजेआई हैं. आजादी के बाद वह देश में दलित समुदाय से दूसरे सीजेआई हैं.  सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर उनका कार्यकाल छह महीने का होगा.   जस्टिस वीआर गवई के अहम फैसले जानें न्यायधीश रहते जस्टिस वीआर गवई ने कई अहम फैसले दिए, जिनकी खूब चर्चा हुई. उनके मुख्य फैसलों में बुलडोजर जस्टिस, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को बरकरार रखना, डिमोनेटाइजेशन को बरकरार रखना, अनुसूचित जाति कोटे में उप-वर्गीकरण को बरकरार रखना, शराब नीति में के कविता को जमानत देना, तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी की दो बार आलोचना करना शामिल हैं. देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस गवई परंपरा के अनुसार, वर्तमान सीजेआई अपने उत्तराधिकारी के रूप में सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश की सिफारिश करते हैं। जस्टिस गवई वरिष्ठता के क्रम में सबसे आगे थे, जिसके चलते उनके नाम की सिफारिश की गई। कानून मंत्रालय ने सीजेआई जस्टिस खन्ना से उनके उत्तराधिकारी का नाम देने की आधिकारिक अपील की थी। ऐसा रहा करियर 16 मार्च, 1985 को वकालत शुरू करने वाले न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील के रूप में कार्य कर चुके हैं। उन्होंने अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में सेवा दी। 17 जनवरी, 2000 को उन्हें नागपुर खंडपीठ के लिए सरकारी वकील और लोक अभियोजक नियुक्त किया गया। 14 नवंबर, 2003 को वे बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बने और 12 नवंबर, 2005 को स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए। 24 मई, 2019 को उन्हें सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया। न्यायमूर्ति गवई सर्वोच्च न्यायालय में कई ऐसी संविधान पीठों में शामिल रहे, जिनके फैसलों का महत्वपूर्ण प्रभाव रहा। दिसंबर 2023 में, उन्होंने पांच जजों की संविधान पीठ में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को सर्वसम्मति से बरकरार रखा। पिता रहे हैं बिहार और केरल के पूर्व राज्यपाल जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। जस्टिस गवई के पिता दिवंगत आरएस गवई भी एक मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता और बिहार और केरल के पूर्व राज्यपाल रहे। जस्टिस गवई देश के दूसरे अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले मुख्य न्यायाधीश होंगे। उनसे पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन साल 2010 में यह उपलब्धि हासिल कर चुके हैं। कई मामलों पर जस्टिस बीआर गवई ने सुनाए ऐतिहासिक फैसले राजीव गांधी हत्याकांड (2022) जस्टिस गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने 30 साल से ज्यादा समय से जेल में बंद दोषियों की रिहाई को मंजूरी दी, यह मानते हुए कि तमिलनाडु सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। वणियार आरक्षण (2022) तमिलनाडु सरकार को वणियार समुदाय को विशेष आरक्षण देने के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया, क्योंकि यह अन्य पिछड़ा वर्गों के साथ भेदभावपूर्ण था। नोटबंदी (2023) जस्टिस गवई ने 2016 की नोटबंदी योजना को 4:1 बहुमत से वैध ठहराते हुए कहा कि यह निर्णय केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच परामर्श के बाद लिया गया था और यह "अनुपातिकता की कसौटी" पर खरा उतरता है। ईडी निदेशक का कार्यकाल (2023) जुलाई 2023 में जस्टिस गवई की बेंच ने प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल विस्तार को अवैध करार दिया और उन्हें 31 जुलाई 2023 तक पद छोड़ने का निर्देश दिया था। बुलडोजर कार्रवाई (2024) 2024 में, जस्टिस गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि केवल आरोपी या दोषी होने के आधार पर किसी की संपत्ति को ध्वस्त करना असंवैधानिक है। कार्रवाई बिना कानूनी प्रक्रिया के नहीं कर सकते, अगर होती है तो संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होगा।   अन्य फैसले     मोदी सरनेम केस में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को राहत दी थी। उन्हें इस केस में दो साल की सजा के बाद लोकसभा से अयोग्य करार दिया गया था।     सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता शीतलवाड़ को जमानत दी।     दिल्ली शराब घोटाले में दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत दी।     दिल्ली शराब घोटाले में बीआरएस नेता के कविता को भी जमानत दी। 1985 में की वकालत की शुरुआत नए CJI गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था. उन्होंने 16 मार्च 1985 को वकालत शुरू की. शुरुआती सालों में उन्होंने बार. राजा एस. भोसले (पूर्व महाधिवक्ता एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीश) के साथ 1987 तक कार्य किया. इसके बाद 1987 से 1990 तक उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस की. जस्टिस गवई ने 1990 के बाद मुख्य रूप से बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेचं में प्रैक्टिस की, जिसमें संवैधानिक और प्रशासनिक कानून विशेष क्षेत्र रहे. वह नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के लिए स्थायी वकील रहे. इसके अलावा, उन्होंने सीकोम, डीसीवीएल जैसी विभिन्न स्वायत्त संस्थाओं और निगमों, विदर्भ क्षेत्र की कई नगर परिषदों के लिए नियमित रूप से पैरवी की.   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. … Read more

आखिर अयोध्या राम मंदिर से जुड़ा फैसला सुनाने से पहले पूर्व CJI भगवान के पास क्यों बैठे

नई दिल्ली भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल पर खुलकर बात की है। उन्होंने बताया है कि आखिर अयोध्या राम मंदिर से जुड़ा फैसला सुनाने से पहले वह भगवान के पास क्यों बैठे थे। साथ ही उन्होंने गणेश पूजा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उनके घर आने पर भी प्रतिक्रिया दी है। खास बात है कि इन दोनों ही मुद्दों को लेकर विपक्षी राजनीतिक दलों ने जमकर आपत्ति जताई थी। बीबीसी से बातचीत में फैसले को लेकर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'अगर आप सोशल मीडिया देखेंगे और जज की कही बात समझने की कोशिश करेंगे, तो आपको गलत जवाब मिलेगा। मैं इनकार नहीं करता कि मैं धार्मिक व्यक्ति हूं। हमारे संविधान में यह जरूरी नहीं है कि आपको स्वतंत्र जज होने के लिए नास्तिक होना होगा और मैं अपनी आस्था का सम्मान करता हूं। मेरी आस्था मुझे धर्म की सार्वभौमिकता सिखाती है।' उन्होंने कहा, 'जो भी मेरी अदालत में आया, उसे निष्पक्ष न्याय दिया गया है। फिर चाहे वह किसी भी धर्म का हो। यह सुप्रीम कोर्ट के सभी दूसरे जजों पर भी लागू होता है।' पूर्व सीजेआई ने बताया कि न्यायाधीश संघर्ष में काम करते हैं। उन्होंने कहा , 'ऐसे संघर्ष के बीच आप शांति कैसे पा सकते हैं। अलग-अलग जजों के पास शांति हासिल करने के अलग-अलग तरीके होते हैं। मेरे लिए ध्यान और प्रार्थना बहुत जरूरी है, लेकिन ध्यान और प्रार्थना मुझे सिखाती है कि देश के हर धार्मिक समूह और समुदाय के साथ निष्पक्ष रहना है।' दरअसल, जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि वह अयोध्या पर फैसले से पहले भगवान के सामने बैठे थे। पीएम मोदी के घर पर आने पर क्या बोले इस मामले पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'मुझे लगता है कि हमारी व्यवस्था इतनी मेच्योर तो है जो समझ सके कि उच्च संवैधानिक पदाधिकारियों के बीच जो शिष्टाचार होता है, उसका मामलों से कोई लेना देना नहीं होता है।' उन्होंने कहा कि पीएम के घर आने से पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे मामलों में फैसले दिए हैं और उनके आने के बाद भी। उन्होंने कहा, 'लोकतांत्रिक समाज में न्यायपालिका की भूमिका संसद में विपक्ष की नहीं होती है। हम यहां मामलों पर फैसला करने के लिए और कानून के हिसाब से काम करने के लिए हैं।' जस्टिस चंद्रचूड़ बीते साल नवंबर में रिटायर हो गए थे। अब सीजेआई संजीव खन्ना हैं। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 5

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने एक नए आदेश में उन्होंने 16 पीठों को नए मामलों के आवंटन के लिए एक नया रोस्टर जारी किया

नई दिल्ली भारत के नए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना अपना पद संभालते ही लगातार नई व्यवस्था बनाने के आदेश दे रहे हैं। एक नए आदेश में उन्होंने 16 पीठों को नए मामलों के आवंटन के लिए एक नया रोस्टर जारी किया है। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया है कि प्रधान न्यायाधीश और दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों की अध्यक्षता वाली पहली तीन अदालतें क्रमशः पत्र याचिकाओं और जनहित याचिकाओं की सुनवाई करेंगी। प्रधान न्यायाधीश के आदेश के तहत नए मामलों के आवंटन के लिए रोस्टर को सर्वोच्च न्यायालय की रजिस्ट्री ने अधिसूचित किया और यह 11 नवंबर से प्रभावी हो गया है। नागरिकों द्वारा सर्वोच्च न्यायालय को लिखे गए पत्रों से उत्पन्न नयी याचिकाओं और नयी जनहित याचिकाओं (पीआईएल) की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश और दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ करेंगी। पत्र याचिकाओं और जनहित याचिकाओं के अलावा, प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ अधिकतम मुद्दों पर विषयवार विचार करेगी, जिनमें सामाजिक न्याय से संबंधित मामले, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के चुनाव से संबंधित विवाद और सांसदों और विधायकों के चुनाव से संबंधित अन्य मामले, बंदी प्रत्यक्षीकरण मामले और मध्यस्थता के मामले शामिल हैं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ चुनाव संबंधी याचिकाओं पर भी सुनवाई करेगी। डीवाई चंद्रचूड़ ने लगाई थी रोक पूर्व प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित सभी पीठों को जनहित याचिकाएं आवंटित करते थे और लेकिन पूर्व प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने इस प्रथा को बंद कर दिया था। विषयवार मामलों का आवंटन 16 वरिष्ठ न्यायाधीशों को किया गया है जो पीठों की अध्यक्षता करेंगे। न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला, जो पूर्व प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ के साथ पीठ साझा कर रहे थे वह सामान्य दीवानी मामलों के अलावा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर मामलों को भी देखेंगे। इन 16 जजों को मिली जगह सीजेआई सहित तीन वरिष्ठतम न्यायाधीशों के अलावा, अन्य 13 न्यायाधीश हैं- न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति एएस ओका, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी, न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना, न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार, न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति पंकज मिथल। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 25

संजीव खन्ना देश के 51वें चीफ जस्टिस होंगे, कार्यकाल सिर्फ 6 महीने का, 13 मई को रिटायर होंगे

नई दिल्ली CJI डीवाई चंद्रचूड़ नवंबर में कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। खबर है कि भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश के तौर पर उन्होंने जस्टिस संजीव खन्ना के नाम की सिफारिश की है। खास बात है कि जस्टिस खन्ना सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज हैं। खास बात है कि जस्टिस खन्ना भी मई 2025 में रिटायर हो रहे हैं। उन्होंने वकील के तौर पर साल 1983 में शुरुआत की थी। अगले CJI केंद्र सरकार को लिखे पत्र में सीजेआई चंद्रचूड़ ने जस्टिस खन्ना को उनका उत्तराधिकारी बनाने की सिफारिश की है। CJI चंद्रचूड़ 13 मई 2016 में पहली बार शीर्ष न्यायालय के जज बने थे। वहीं, जस्टिस खन्ना 18 जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट के पहली बार जज बने थे। इससे पहले वह दिल्ली हाईकोर्ट समेत कई ट्रिब्युनल्स में सेवाएं दे चुके हैं। 6 महीने बाद है रिटायरमेंट NALSA यानी नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, एग्जीक्यूटिव चेयरमैन की लिस्ट में शामिल जस्टिस खन्ना 13 मई 2025 को रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में अगर वह नवंबर में पद संभालते हैं, तो वह करीब 6 महीने CJI के तौर पर अदालत में सेवाएं देंगे। अगले कौन जस्टिस खन्ना के बाद अगले CJI के तौर पर जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का नाम चर्चा में है। वह मई 2025 में यह पद संभाल सकते हैं। खास बात है कि देश के दूसरे CJI हो सकते हैं, जो अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं। सुप्रीम कोर्ट को पहला दलित CJI जस्टिस केजी बालकृष्ण के रूप में मिला था। वह 11 मई 2010 को रिटायर हो गए थे। जस्टिस गवई भी 6 महीने में होंगे रिटायर खास बात है कि मई में CJI बनने के बाद जस्टिस गवई भी अगले 6 महीने में रिटायर हो जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, 16 मार्च 1985 को कानूनी पेशे की शुरुआत करने वाले जस्टिस गवई 23 नवंबर 2025 को रिटायर होने जा रहे हैं। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि उनके बाद जस्टिस सूर्यकांत यह पद संभाल सकते हैं। दिल्ली हाईकोर्ट में 14 साल तक जज रहे जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को हुआ था। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई की। ग्रेजुएशन के बाद, उन्होंने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में एक वकील के रूप में रजिस्ट्रेशन कराया। सुप्रीम कोर्ट जज बनाए जाने से पहले वे दिल्ली हाईकोर्ट में 14 साल तक जज रहे। उन्हें 2019 में सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया था। सुप्रीम कोर्ट जज बनने पर भी हुआ था विवाद 32 जजों की अनदेखी करके जस्टिस खन्ना को सुप्रीम कोर्ट जज बनाने पर जमकर विवाद हुआ था। 10 जनवरी 2019 को कॉलेजियम ने उनकी जगह जस्टिस माहेश्वरी और वरिष्ठता में 33वें स्थान पर जस्टिस खन्ना को प्रमोट करने का फैसला किया। इसके बाद सिफारिश पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दस्तखत कर दिए थे। वरीयता को अनदेखा करते हुए CJI बनाने के दो मामले, दोनों इंदिरा सरकार के अप्रैल 1973 में सुप्रीम कोर्ट के तीन सीनियर जजों को दरकिनार करते हुए एएन रे को CJI बनाया गया था।1977 में जब जस्टिस रे रिटायर हुए तो जस्टिस एचआर खन्ना सबसे सीनियर थे। लेकिन, उनकी जगह जस्टिस एमएच बेग को चुना गया। इमरजेंसी के दौरान जस्टिस खन्ना ने इंदिरा सरकार के खिलाफ फैसले सुनाए थे, जस्टिस संजीव खन्ना उन्हीं के भतीजे हैं। जस्टिस संजीव खन्ना के पिता जस्टिस देवराज खन्ना भी दिल्ली हाईकोर्ट के जज थे। उनके चाचा जस्टिस हंसराज खन्ना भी सुप्रीम कोर्ट जज रहे। यह दुर्लभ संयोग था कि जस्टिस संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर अपना पहला दिन उसी कोर्ट रूम से शुरू किया, जहां से उनके चाचा, दिवंगत जस्टिस एचआर. खन्ना रिटायर हुए थे। सेम सेक्स मैरिज केस की सुनवाई से खुद को अलग किया अगस्त 2024 में समलैंगिक विवाह पर 52 रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई होनी थी। लेकिन सुनवाई से ठीक पहले जस्टिस संजीव खन्ना ने खुद को केस से अलग कर लिया था। सूत्रों के मुताबिक जस्टिस खन्ना ने इसके पीछे निजी कारणों का हवाला दिया था। जस्टिस खन्ना के अलग होने से रिव्यू पिटीशंस पर विचार करने के लिए पांच जजों की नई बेंच बनाना जरूरी हो जाएगा। इसके बाद ही इन पर सुनवाई हो सकेगी। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 40

पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के न्यायाधीश की आलोचनात्मक टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई से किया इनकार

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस राजबीर सहरावत की एकल पीठ की ओर से अवमानना ​​के एक मामले में शीर्ष अदालत के खिलाफ की गई टिप्पणियों पर कड़ी नाराजगी जाहिर की और उसे आदेश से हटा दिया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस सहरावत की टिप्पणियों को ‘अनुचित’ और ‘अपमानजनक’ करार दिया। हाई कोर्ट के जज ने 17 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आलोचना की थी। हालांकि, देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजबीर सेहरावत की आलोचनात्मक टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई करने से इनकार कर दिया। इस पीठ में CJI के अलावा जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस ऋषिकेश रॉय भी शामिल थे। पीठ ने सुनवाई के दौरान ‘‘न्यायिक अनुशासन’’ का उल्लेख किया और कहा कि उसे उम्मीद है कि भविष्य में ऊंची अदालतों के आदेशों पर विचार करते समय अधिक सावधानी बरती जाएगी। सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ ने कहा, "अवमानना ​​मामले से निपटने के दौरान पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश द्वारा की गई टिप्पणियों से हम दुखी हैं।" उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का अनुपालन पसंद का मामला नहीं है, बल्कि बाध्यकारी कानूनी प्रणाली का मामला है।" CJI ने कहा कि पक्ष किसी आदेश से व्यथित हो सकते हैं, लेकिन न्यायाधीश कभी भी उच्च अपीलीय मंच से व्यथित नहीं हो सकते। पीठ ने कहा कि न तो उच्चतम न्यायालय सर्वोच्च है और न ही उच्च न्यायालय, वास्तव में भारत का संविधान सर्वोच्च है। पीठ ने उच्चतम न्यायालय की आलोचना करने संबंधी पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश पर स्वत: संज्ञान लेकर मामले में सुनवाई की और कहा कि उसे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की टिप्पणियों से पीड़ा पहुंची है। पीठ ने कहा कि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने कई चीजों के संबंध में अनावश्यक टिप्पणियां की हैं। उसने कहा कि न्यायाधीश ऊंची अदालतों द्वारा पारित आदेशों से खिन्न नहीं हैं, लेकिन न्यायिक अनुशासन का पालन किया जाना चाहिए। जस्टिस सहरावत ने उच्च न्यायालय द्वारा शुरू की गई अवमानना ​​कार्यवाही पर रोक लगाने संबंधी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की आलोचना की थी। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 43

कॉलेज में हिजाब पर प्रतिबंध के मामले को आने वाले दिनों में जल्द ही सूचीबद्ध किया जाएगा: सीजेआई

नई दिल्ली कॉलेज में हिजाब प्रतिबंध का मामला एक बार फिर से चर्चा में है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि उसने बंबई उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है, जिसमें मुंबई के एक कॉलेज के परिसर में हिजाब, बुर्का और नकाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय को बरकरार रखा गया है। मंगलवार को जब याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के समक्ष पेश किया गया, तो सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्होंने पहले ही इस मामले के लिए एक पीठ नियुक्त कर दी है और इसे आने वाले दिनों में जल्द ही सूचीबद्ध किया जाएगा। बंबई उच्च न्यायालय ने ‘चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी’ के एन जी आचार्य एवं डी के मराठे महाविद्यालय द्वारा हिजाब, बुर्का और नकाब पर प्रतिबंध लगाने के फैसले में हस्तक्षेप करने से 26 जून को इनकार कर दिया था और कहा था कि ऐसे नियम छात्रों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करते हैं। उच्च न्यायालय ने कहा था कि ‘ड्रेस कोड’ का उद्देश्य अनुशासन बनाए रखना है, जो कि शैक्षणिक संस्थान की ‘‘स्थापना और प्रशासन’’ के लिए कॉलेज के मौलिक अधिकार का हिस्सा है। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने अपील को तत्काल सूचीबद्ध करने के अनुरोध पर संज्ञान लेते हुए कहा कि इस मामले के लिए पहले ही एक पीठ तय कर दी गई है और इसे जल्द ही सूचीबद्ध किया जाएगा। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील अबीहा जैदी ने मामले में तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए कहा कि कॉलेज में ‘यूनिट टेस्ट’ संभवत: बुधवार से शुरू हो जाएंगे। शीर्ष अदालत ने शैक्षणिक संस्थानों द्वारा जारी किए गए ऐसे आदेशों की वैधता पर अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया है। उच्चतम न्यायालय की दो न्यायाधीशों वाली पीठ ने 13 अक्टूबर, 2022 को कर्नाटक में उठे हिजाब विवाद को लेकर विरोधाभासी फैसला सुनाया था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत तत्कालीन राज्य सरकार ने कर्नाटक के विद्यालयों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया था। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता (जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं) ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें प्रतिबंध हटाने से इनकार कर दिया गया था, जबकि न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने कहा था कि राज्य के विद्यालयों और महाविद्यालयों में कहीं भी हिजाब पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। मौजूदा विवाद मुंबई के एक कॉलेज के निर्णय से जुड़ा है। बंबई उच्च न्यायालय ने प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि 'ड्रेस कोड' सभी छात्राओं पर लागू है, चाहे उनकी जाति या धर्म कुछ भी हो। छात्राओं ने उच्च न्यायालय का रुख कर कॉलेज द्वारा जारी उस निर्देश को चुनौती दी थी, जिसमें हिजाब, नकाब, बुर्का, स्टोल, टोपी पहनने और किसी भी तरह का बैज लगाने पर प्रतिबंध संबंधी ‘ड्रेस कोड’ को लागू किया गया था। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि यह नियम उनके धर्म का पालन करने के मौलिक अधिकार, निजता के अधिकार और ‘‘पसंद के अधिकार’’ का उल्लंघन करता है। अदालत ने कहा था कि वह यह नहीं समझ पा रही है कि कॉलेज द्वारा 'ड्रेस कोड' निर्धारित करने से संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 25 (धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता) का उल्लंघन कैसे होता है। न्यायाधीशों ने कहा था, ‘‘हमारे विचार में निर्धारित 'ड्रेस कोड' को भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1) (ए) और अनुच्छेद 25 के तहत याचिकाकर्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन नहीं माना जा सकता है।’’ पीठ ने याचिकाकर्ताओं की इस दलील को भी स्वीकार करने से इनकार कर दिया था कि हिजाब, नकाब और बुर्का पहनना उनके धर्म का अनिवार्य हिस्सा है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 32