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प्रदेश सरकार में मंत्री लखन पटेल के गृह जिले में जातिगत भेदभाव चरम पर, परेशान रहवासी घर छोड़ने को मजबूर

प्रदेश सरकार में मंत्री लखन पटेल के गृह जिले में जातिगत भेदभाव चरम पर, परेशान रहवासी घर छोड़ने को मजबूर

Caste discrimination is rampant in the home district of state minister Lakhan Patel, forcing distressed residents to leave their homes. दमोह/भोपाल। state minister Lakhan Patel गांव में केवल तालाब का घाट नहीं बंटा है, बल्कि निचले तबके के लोग कहीं बराबरी से बैठ भी नहीं सकते। ये सब देख और सुनकर बुरा लगता है, इसलिए हम जैसे कई युवाओं ने गांव ही छोड़ दिया। ये दर्द है दमोह जिले के हिनौती गांव के अजय बंसल का, जो उस दलित समाज से आता है, जो अपने गांव में आज भी भेदभाव का सामना कर रहा है। इस वजह से अजय वर्ष में केवल 10-15 दिन के लिए माता-पिता से मिलने गांव जाता है। दलित समाज के और भी युवा हैं, जिन्होंने इसी वजह से गांव छोड़ दिया है। दरअसल, बुंदेलखंड में आज भी जातिगत भेदभाव की जड़ें काफी गहरी हैं। इस व्यवस्था को बदलने के लिए कई बार पहल हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। अब नई पीढ़ी ने व्यवस्था बदलने की बजाय पलायन का रास्ता अपनाया है। ऐसा भी नहीं है कि गांव में हो रहे इस भेदभाव की जानकारी प्रशासन को नहीं है। प्रशासन आँख बंद कर बैठा है। क्योंकि जिम्मेदार और निर्णायक पदों पर आसीन अधिकारी उसी सोच से निकले हैं। यही वजह है कि यह ऊँच-नीच की व्यवस्था फल- फूल रही है। गांव की भौगोलिक बनावट में दिखता है बंटवारा state minister Lakhan Patel लगभग 1800 की आबादी वाला हिनौती, ग्राम पंचायत हथनी पिपरिया का हिस्सा है। इस गांव में लोधी, पटेल, रेकवार, अहिरवार, बंसल और आदिवासी समाज के लोग हैं। इनमें लोधी समाज बाहुबली है, जो अपने आपको अघोषित रूप से ठाकुर बताते हैं। पहली नजर में यह किसी भी आम गांव की तरह दिखता है। गांव की गलियों में जैसे प्रवेश करेंगे तो सामाजिक विभाजन की रेखाएं स्पष्ट दिख जाती हैं। गांव का अगला हिस्सा तथाकथित सवर्ण जातियों का है, तो पिछला हिस्सा दलित और आदिवासी समुदायों की बसाहट का है। तालाब एक और घाट अलग-अलग state minister Lakhan Patel गांव के बीचों-बीच स्थित पुराना तालाब इस भेदभाव का सबसे बड़ा और क्रूर स्थान है। तालाब एक है, लेकिन उसके घाट जातियों के नाम पर बंटे हुए हैं। कोई किसी के घाट पर स्नान नहीं कर सकता है। हमारे प्रतिनिधि ने जैसे ही हाथ धोने के लिए एक घाट की सीढ़ियों पर कदम रखा, पास ही चबूतरे पर बैठे गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा- आप इस घाट पर मत जाओ। ये घाट छोटी जात वालों का है।ठाकुर ने कहा कि यह हमारे गांव का बहुत पुराना तालाब है। हम लोग बचपन से देख रहे हैं कि तालाब के घाट अलग-अलग जातियों के हिसाब से बंटे हुए हैं। इस गांव में करीब 5-6 जातियों के लोग रहते हैं। नियम तोड़ने की हिम्मत कोई नहीं करता इस ‘परंपरा’ की पुष्टि तालाब के दूसरी ओर रहने वाले 60 वर्षीय होशियार रैकवार भी करते हैं। वे कहते हैं, ‘यहा ऐसा ही है। ऊंची जाति वालों के घाट अलग, छोटी जाति वालों के अलग हैं। यह आज से नहीं, बरसों से है। जब से गांव बसा है, तब से यही व्यवस्था चल रही है। बाप-दादा को जैसा करते देखा, हम भी वैसा ही कर रहे हैं। भीषण गर्मी काल में ज़ब पानी का संकट हो जाता है, उस दौर में भी उनके घाट से पानी नहीं भर सकते हैं।वे बताते हैं, ‘पहले जब गर्मियों में पानी कम हो जाता था और हमारे घाट का पानी सबसे पहले सूखता था, तब भी हमें ऊंची जाति वालों के घाट पर जाने की मनाही थी।’ शादी-ब्याह में भी दूरी का हिसाब state minister Lakhan Patel भेदभाव का यह सिलसिला सिर्फ तालाब के पानी तक सीमित नहीं है। यह सामाजिक समारोहों और खान-पान में भी उतनी ही शिद्दत से मौजूद है। गांव के भैया राम बताते हैं, ‘पहले हम लोगों को शादी-ब्याह में बुलाते थे, लेकिन बैठने की व्यवस्था अलग होती थी। बड़े लोग ऊपर बैठते थे और हम लोग दूर नीचे जमीन पर बैठकर खाना, खाना पड़ता है। अब तो हमारी बिरादरी के लोगों ने इन सवर्णों के यहां जाना ही बंद कर दिया है। अब खान-पान सिर्फ अपने समाज में ही होता है।’ इस बात को मुकेश लोधी भी स्वीकार करते हैं। वे कहते हैं, ‘हम लोग तो सभी को अपने घर के कार्यक्रमों में बुलाते हैं, बस बैठने की व्यवस्था अलग-अलग रहती है। ठाकुरों के लिए कुर्सी होती है। जो छोटी जाति के लोग हैं, उन्हें नीचे और अलग स्थान पर बिठाते हैं। यह चलता है।’ नई पीढ़ी बोली- देश आजाद हुआ, हम नहीं जहां पुरानी पीढ़ी इसे ‘परंपरा’ या ‘नियति’ मानकर जी रही है, वहीं नई पीढ़ी इस अपमान के खिलाफ आवाज उठा रही है। गांव के युवा दिनेश जाटव भीम आर्मी से जुड़े हैं। वे कहते हैं, ‘देश आजाद हो गया। बाबा साहब का संविधान लागू है, लेकिन हम आज भी आजाद नहीं हैं। दमोह के कई गांवों में आज भी भयंकर छुआछूत का जहर फैला है। कई जगहों पर तो दलित दूल्हे को घोड़ी पर नहीं बैठने दिया जाता था। हमने शांति से नहीं, तो क्रांति से ही सही, पर घोड़ी पर बारातें निकालीं।’ दिनेश बताते हैं कि भेदभाव का दंश रोजमर्रा की जिंदगी में हर दिन शामिल है। दुकान पर जाओ तो चप्पल उतारकर सामान लेने के लिए कहते हैं। दुकानदार पैसे भी हाथ से नहीं लेता, नीचे रखवाता है और सामान फेंक कर देता है। यहां इतनी छुआछूत है। प्रशासन भेदभाव से अनजानवैसे प्रशासन के रुख से इन वर्गों के लोग हमेशा ठगा हुआ महसूस करते हैं। वे शिकायत के बाद सिर्फ इन्ही वर्गों को समझाने में अपनी वाहवाही समझते हैं। इस पूरे मामले पर दमोह की एडीएम मीना मेश्राम का कहना है कि, ‘जातिगत भेदभाव के संबंध में अभी तक इस गांव से हमें कोई शिकायत नहीं मिली है। अगर शिकायत आएगी तो संज्ञान में लेंगे। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर … Read more

400 से ज्यादा फर्जी बीपीएल कार्ड घोटाला: तहसील और पंचायत कार्यालय की मिलीभगत से बड़ा भ्रष्टाचार

400 से ज्यादा फर्जी बीपीएल कार्ड घोटाला: तहसील और पंचायत कार्यालय की मिलीभगत से बड़ा भ्रष्टाचार

Over 400 fake BPL card scam: Massive corruption due to collusion between tehsil and panchayat offices दमोह/तेंदूखेड़ा ! fake BPL card scam विशाल रजक तेंदूखेड़ा स्वच्छता सर्वे में सबसे निचले पायदान पर आने वाला दमोह जिला अब भ्रष्टाचार में शायद प्रदेश के अव्वल नम्बर पर है। जिले के प्रत्येक विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है। अब तेंदूखेड़ा जनपद में फर्जी गरीबी रेखा कार्ड बनाए जाने का मामला समाने आया है। यहां एक ही राजस्व प्रकरण क्रमांक पर अनेक फर्जी हितग्राहियों के नाम जोड़कर नियम विरुद्ध तरीके से उनके गरीबी रेखा के कार्ड बनाए गए हैं। पूरे मामले में तहसील कार्यालय और जनपद पंचायत कार्यालय तेंदूखेड़ा की मिलीभगत से फर्जी आदेश और कूट रचित दस्तावेजों के माध्यम से गरीबी रेखा सूची में नाम जोड़े गए हैं। धन्नू, टटू और राहुल का नाम एक ही राजस्व प्रकरण मेंः fake BPL card scamगरीबी रेखा सूची में नाम जोड़ने के लिए शासन द्वारा प्रक्रिया निर्धारित की गई है जिसमें राजस्व न्यायालय तहसीलदार के माध्यम से हितग्राहियों के दस्तावेजों की जांच कर पात्र हितग्राहियों के राजस्व प्रकरण तैयार कर गरीबी रेखा सूची में नाम जोड़ने ए किए एवं गरीबी रेखा का कार्ड जारी करने के लिए जनपद पंचायत भेजा जाता है। तेंदूखेड़ा जनपद में गरीबी रेखा सूची में हितग्राहियों के नाम जोड़ने के लिए तहसील न्यायालय के फर्जी आदेशों एवं फर्जी दस्तावेजों इस्तेमाल किए गए। जहां एक ओर एक ही राजस्व प्रकरण क्रमांक पर अलग अलग समाज के हितग्राहियों का नाम सूची में शामिल करने की अनुशंसा की गई वहीं सोचना के अधिकार में प्राप्त दस्तावजों का निरीक्षण करने पर अनेक हितग्राहियों के आवेदन पत्र पर उनके हस्ताक्षर ही नहीं पाए गए। वहीं अनेक हितग्राहियों ने आवेदन के साथ जरूरी दस्तावेजों को संलग्न ही नहीं किया है। इसके बाद भी तहसील न्यायलय से प्रकरण बनकर फर्जी हितग्राहियों का नाम गरीबी रेखा की सूची में जोड़ने के लिए जनपद पंचायत भेज दिया गया। तहसील कार्यालय से शुरू हुए इस फर्जीवाड़े में लगभग 400 से ज्यादा फर्जी हितग्राहियों को फर्जी आदेश, आधे अधूरे आवेदन एवं बिना दस्तावेजों के गरीबी रेखा की सूची में जोड़ दिया गया है Read more: 44 साल से बंद क्यों है कुतुब मीनार के दरवाजे ,भव्यता के पीछे छिपा त्रासदी का इतिहास : पढ़ें रिपोर्ट राजस्व प्रकरण क्रमांक 828 पर न्यायालय तहसीलदार तेंदूखेड़ा, जिला दमोह के आदेश क्रमांक 06 दिनांक 19/01/2024 के माध्यम से धन्नू पिता कुद्दू पाल निवासी सहजपुर, टटू गौड़ पिता सोने लाल निवासी सहजपुर, राहुल पाल पिता नब्बू निवासी सहजपुर का नाम गरीबी रेखा की सूची में क्रमशः 404, 432 एवं 433 पर दर्ज कर दिया गया। धन्नू पिता कुद्दू पाल का आदेश तहसील न्यायलय से दिनांक 5 फरवरी 2024 को जनपद पंचायत तेंदूखेड़ा में प्राप्त हुआ और जनपद पंचायत तेंदूखेड़ा द्वारा 12 फ़रवरी 2024 को बीपीएल क्रमांक 218 जारी किया गया। आश्चर्य जनक रूप से धन्नू पिता कुद्दू के संबंध में राजस्व न्यायालय तहसीलदार द्वारा 24 जनवरी 2024 की ऑर्डर शीट में कहा गया है कि धन्नू पिता कुद्दू निवासी सहजपुर को हलका पटवारी के प्रतिवेदन में कुल 19 अंक प्राप्त हुए थे जो कि गरीबी रेखा में नाम जोड़ने की वृद्धि में नहीं आता है। ऑर्डर शीट में स्पष्ट उल्लेख है कि धन्नू पिता कुद्दू पाल पात्र नहीं है। जबकि इसके बाद 5 फरवरी 2024 को जनपद पंचायत तेंदूखेड़ा को तहसीलदार का आदेश प्राप्त हुआ और 12 फरवरी 2024 को अपात्र हितग्राही का नाम सूची में जोड़ दिया गया। धन्नू पाल को जनवरी 2024 में अपात्र घोषित करने के बाद फरवरी किस आदेश के तहत पात्र कर गरीबी रेखा की सूची में जोड़ा गया ये कोई बताने तैयार नहीं है जनपद पंचायत तेंदूखेड़ा द्वारा जारी गरीबी रेखा की सूची में ऐसे सैकड़ों अपात्र हितग्राहियों के नाम दर्ज है जिन्होंने या तो आवेदन नहीं किया, दस्तावेज नहीं लगाए और जिन्हें तहसीलदार न्यायलय द्वारा अपात्र घोषित कर दिया गया है। इसके बाद भी इन फर्जी हितग्राहियों के नाम गरीबी रेखा सूची में दर्ज किए गए और उनको गरीबी रेखा कार्ड नम्बर भी जारी किया गया। देखना यह है कि इस पूरे फर्जीवाड़े में किस किस अधिकारी का मुंह काला होता है? इनका कहना हैइस संबंध में जनपद सीईओ मनीष बागरी ने कहा है कि पूरे मामले की जांच के लिए तहसीलदार तेंदूखड़ा को पत्र लिखा गया है, गरीबी रेखा में नाम जोड़ने की प्रक्रिया को अभी निरस्त कर दिया गया है। जो भी व्यक्ति दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। –मनीष बागरी, सीईओ जनपद पंचायत, तेंदूखेड़ा Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 37