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iPhone को 25% टैरिफ की धमकी देने के बाद ट्रंप ने Samsung को निशाने पर लिया, दे दी यह चेतावनी

वाशिंगटन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि देश के बाहर बने सभी स्मार्टफोन्स पर जल्द ही 25 फीसदी टैरिफ लगाया जा सकता है। इन स्मार्टफोन्स में एपल का आईफोन समेत सैमसंग और दूसरी कंपनियों के डिवाइसेज भी शामिल हैं। ट्रंप ने कहा कि अगर ये स्मार्टफोन अमेरिका में ही बनते हैं तो कोई टैरिफ नहीं लगेगा। वहीं, अगर ये बाहर से बनकर अमेरिका में बेचे जाते हैं, तो टैरिफ देना होगा। ट्रंप ने कहा, 'इस पॉलिसी से सिर्फ एपल ही प्रभावित नहीं होगा, बल्कि यह इससे काफी ज्यादा व्यापक होगी। सैमसंग और दूसरी कंपनियां भी इस टैरिफ के दायरे में आएंगी। अन्यथा, यह उचित नहीं होगा। जब वे यहां अपना प्लांट लगाते हैं, तो कोई टैरिफ नहीं होगा।' ट्रंप ने की थी टिम कुक से बात ट्रंप ने शुक्रवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि उन्होंने एपल के सीईओ टिम कुक को पहले ही अपनी अपेक्षाओं के बारे में सूचित कर दिया था। ट्रंप ने कहा, "मैंने बहुत पहले एपल के टिम कुक को सूचित कर दिया था कि मुझे उम्मीद है कि उनके आईफोन जो अमेरिका में बेचे जाएंगे, वे अमेरिका में निर्मित और बनाए जाएंगे, भारत या कहीं और नहीं। अगर ऐसा नहीं होता है, तो एपल को अमेरिका को कम से कम 25% का टैरिफ देना होगा।" ट्रंप ने Apple को चेतावनी भी दी कि उसे आईफोन का उत्पादन घरेलू स्तर पर ही करना होगा. वरना उसे नए टैरिफ का सामना करना पड़ेगा. ट्रंप ने कहा कि उन्होंने Apple के सीईओ टिम कुक को बहुत पहले बता दिया था कि उत्पादन अमेरिका में ही होना चाहिए. उन्होंने कहा कि वो भारत में प्लांट बनाने के लिए जा रहे हैं. मैंने कहा कि भारत जाना ठीक है, लेकिन आप टैरिफ के बिना इसे यहां नहीं बेचेंगे. अगर वो आईफोन को अमेरिका बेचने जा रहे हैं तो मैं चाहता हूं कि इसे अमेरिका में ही बनाया जाए. वर्तमान में Apple चीनी टैरिफ से बचने के लिए अपने iPhone असेंबली का अधिकांश हिस्सा भारत में ट्रांसफर कर रहा है, लेकिन विनिर्माण को अमेरिका में ट्रांसफर करने की कोई सार्वजनिक योजना नहीं है. विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका में iPhone बनाने से कीमतों में सैकड़ों से हजारों डॉलर की बढ़ोतरी होगी. बाद में ट्रंप ने स्पष्ट किया कि स्मार्टफोन टैरिफ मोटे तौर पर एप्पल, सैमसंग और किसी भी विदेशी फोन पर लगाए जाएंगे जो जून के अंत तक लगाए जा सकते हैं. पिछले साल यूरोपीय संघ ने अमेरिका को 500 बिलियन डॉलर का सामान निर्यात किया, जिसमें जर्मनी, आयरलैंड और इटली सबसे आगे रहे. 50 प्रतिशत टैरिफ से कार, फार्मास्यूटिकल्स और विमान जैसे उत्पाद बुरी तरह प्रभावित होंगे, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए लागत बढ़ने की संभावना है. यूरोपीय संघ के व्यापार प्रमुख मारोस सेफकोविक ने शांति की अपील की और आपसी सम्मान का आह्वान किया, जबकि डच प्रधानमंत्री डिक स्कोफ ने कहा कि टैरिफ की धमकियां पहले भी अमेरिकी वार्ता रणनीति का हिस्सा रही हैं. वैश्विक बाजार में उथल-पुथल ट्रंप के बयान के बाद बाजार में उथल-पुथल मच गई है. अमेरिकी और यूरोपीय शेयरों में गिरावट देखी गई है. ट्रेजरी प्रतिफल में गिरावट आई तथा निवेशकों की चिंता के बीच सोने की कीमतों में वृद्धि हुई है. साथ ही Apple के शेयरों में 3 प्रतिशत की गिरावट आई है. एपल भारत में करता रहेगा निवेश यह धमकी ट्रंप और कुक के बीच हाल ही में हुई बैठक के बाद आई है। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी के अनुसार, ट्रंप एपल की चीन से भारत में अधिक आईफोन प्रोडक्शन ट्रांसफर करने की योजनाओं से नाखुश थे। ट्रंप ने कहा, "मुझे टिम के साथ यह समझ थी कि वह ऐसा नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि वह प्लांट बनाने के लिए भारत जा रहे हैं। मैंने कहा, 'भारत जाना ठीक है, लेकिन आप टैरिफ के बिना यहां बिक्री नहीं करेंगे।'" ट्रंप के इन बयानों के बाद हाल ही में एपल ने कहा है कि उसकी भारत की निवेश योजनाओं में कोई बदलाव नहीं आया है। अमेरिका में बढ़ेगी महंगाई ये नई टिप्पणियां ट्रंप की स्थिति में बदलाव को दर्शाती हैं। जबकि उन्होंने पहले कहा था कि अन्य देश टैरिफ का बोझ उठाएंगे। इस बार उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि कंपनियों को खुद- जैसे एपल को भुगतान करना होगा। इसका मतलब उपभोक्ताओं के लिए महंगाई बढ़ सकती है, क्योंकि आयात कर टैरिफ लगा तो अमेरिकी लोगों को आईफोन खरीदने के लिए ज्यादा डॉलर खर्चने होंगे। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 14

पाकिस्तान से बांग्लादेश होते हुए तुर्किये… ट्रंप परिवार का ये दोस्त कौन, जो बुन रहा डील का जाल

नई दिल्ली  अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल के दिनों में उन देशों के साथ पींगें बढ़ाई है जिनके साथ भारत के अच्छे रिश्ते नहीं हैं। इनमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और तुर्की शामिल हैं। यह भारत के लिए चिंता का विषय है। ऐसा लगता है कि पाकिस्तान में ट्रंप की दिलचस्पी केवल क्रिप्टो करेंसी के कारोबार तक ही सीमित नहीं है। उनके सहयोगियों ने हाल ही में इस्लामाबाद के साथ उनके परिवार की कंपनी के लिए क्रिप्टो करेंसी का सौदा किया था। अब एक नई बात सामने आई है। डोनाल्ड ट्रंप के बेटे डोनाल्ड ट्रंप जूनियर के कॉलेज के दोस्त जेंट्री बीच ने जनवरी में पाकिस्तान का दौरा किया था। इसके बाद वह बांग्लादेश और तुर्की भी गए थे। फिर उन्होंने मार-ए-लागो में ट्रंप सीनियर और उनके करीबी सहयोगियों को पाकिस्तान के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान एक अद्भुत जगह है। वहां दुर्लभ खनिज, तेल, गैस और रियल एस्टेट के क्षेत्र में अरबों डॉलर के सौदे किए जा सकते हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने जेंट्री बीच की दो बार मेजबानी की। जेंट्री बीच पहली बार जनवरी में पाकिस्तान आए थे। इस दौरान शरीफ ने उनकी मेजबानी की थी। इस दौरान वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री, वित्त मंत्री और विदेश मंत्री भी शामिल थे। शरीफ दूसरी बार 11 फरवरी को दुबई में वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट के दौरान जेंट्री बीच से मिले। शरीफ ने कई विदेशी गणमान्य व्यक्तियों और राष्ट्राध्यक्षों के साथ तस्वीरें पोस्ट की थीं। लेकिन जेंट्री बीच उनमें से एक अनजान चेहरा थे। उनकी तस्वीर @PakPMO पर पोस्ट की गई थी। विवादों से पुराना नाता जेंट्री बीच ने बांग्लादेश में मुहम्मद यूनुस से मुलाकात की। यूनुस बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार हैं। यह मुलाकात पाकिस्तानी पीएम से मिलने के एक दिन बाद (29 जनवरी को) हुई थी। ट्रंप के करीबी सहयोगी जेंट्री बीच ने ढाका को तेल और गैस की खोज, एयरोस्पेस, रक्षा और रियल एस्टेट में भारी FDI लाने का वादा किया। शेख हसीना का तख्तापलट होने के बाद से भारत और बांग्लादेश के रिश्ते ठीक नहीं चल रहे हैं। ट्रंप जूनियर और उनके दोस्त जेंट्री बीच का विवादों से पुराना नाता है। 2018 में द गार्डियन ने लिखा था कि कैसे ट्रंप जूनियर के शिकार के साथी जेंट्री बीच ने डोनाल्ड ट्रंप के 2016 के चुनाव अभियान के लिए लाखों डॉलर जुटाए थे। इससे उन्हें ट्रंप के शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंच मिली। उन्होंने नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के अधिकारियों पर वेनेजुएला में अमेरिकी प्रतिबंधों को कम करने और वहां अमेरिकी कंपनियों के लिए व्यापार खोलने की योजना बनाने का दबाव डाला। शहबाज से मुलाकात, अरबों डॉलर का वादा जेंट्री थॉमस बीच ने इस दौरे में पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ से मुलाकात की और अरबों डॉलर निवेश का वादा किया. डॉन न्यूज की 30 जनवरी की रिपोर्ट के अनुसार जेंट्री थॉमस ने तब कहा था कि राष्ट्रपति ट्रंप आर्थिक कूटनीति में विश्वास करते हैं और उनका ये दौरा इसी के तहत हो रहा है. जेंट्री थॉमस ने कहा था, "हम पाकिस्तान में अलग अलग सेक्टर में अरबों डॉलर निवेश करने योजना बना रहे हैं, इनमें खनिज और प्रॉपर्टी सेक्टर शामिल है." जेंट्री थॉमस ने कहा था कि वे पाकिस्तान में ऐसी लग्जरी इमारतें बनाएंगे जैसी पाकिस्तान में अबतक नहीं बनी है, सोने की खान पर ट्रंप के करीबी की नजर एनबीटी की रिपोर्ट के अनुसार इस ट्रिप में जेंट्री थॉमस ने पाकिस्तान की कंपनी एपेक्स एनर्जी से एक डील साइन की थी. इस डील का मकसद था, सिंधु नदी के किनारे मिले 'प्लेसर गोल्ड' के भंडार को खोजना और विकसित करना. बता दें कि पाकिस्तान में हाल ही में सोना मिलने की खबर आई है. इस सोने की अनुमानित कीमत अरबों डॉलर बताई जा रही है. कुछ महीने पहले, पाकिस्तान की नेशनल इंजिनियरिंग सर्विसेज ने दावा किया था कि उन्होंने अटक में सिंधु नदी के पास 80,000 करोड़ रुपये मूल्य का एक विशाल प्लेसर गोल्ड ब्लॉक पाया है, बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ पाकिस्तान (जीएसपी) की साल 2022-23 की रिपोर्ट के अनुसार देश में कई जगहों पर खनिजों और बहुमूल्य धातुओं की खोज का काम जारी है. जीएसपी ने पाकिस्तान पंजाब के ज़िला अटक में और ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह के ज़िला मानसहरा में जियोकेमिकल तकनीक से प्लेसर गोल्ड और दूसरी धातुओं की मौजूदगी का पता लगाने की कोशिश की है. रिपोर्ट के अनुसार अटक में सोने की मौजूदगी का पता लगाने के लिए जियो फिजिकल सर्वे और नमूने जमा किए गए हैं और इन पर काम जारी है. कहा जाता है कि ये सोना लाखों साल पहले हिमालय से बहकर आया है. और सिंधु नदी के तलछटों में है. इस्लामाबाद के बाद ढाका जेंट्री थॉमस का अगला पड़ाव 30 जनवरी को जेंट्री थॉमस इस्लामाबाद में थे तो 31 जनवरी को उनका चार्टर्ड प्लेन ढाका में था. यहां भी जेंट्री थॉमस ने मोहम्मद यूनुस को ढाका में भारी भरकम निवेश का लालच दिया.  यूनुस से मुलाकात में जेंट्री थॉमस ने कहा था कि अब समय आ गया है कि इस देश में और अधिक निवेश आए. हम यहां आकर उत्साहित हैं, उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी रियल एस्टेट, खासकर कम लागत वाले सामाजिक आवास, एयरोस्पेस और रक्षा में निवेश करने में भी रुचि रखती है. जेंट्री थॉमस को बांग्लादेश में सोना तो नहीं मिला लेकिन यहां पर वो जिस डील पर विचार कर रहे हैं उसकी वैल्यू सोने से कम नहीं है. हाईग्राउंड होल्डिंग्स के मुख्य कार्यकारी और संस्थापक बीच ने कहा था उनकी कंपनी ने पहले ही बांग्लादेश में कई परिसंपत्तियां हासिल कर ली हैं और वे देश के ऊर्जा, वित्त और अन्य क्षेत्रों में और अधिक निवेश करना चाहेंगे. जेंट्री थॉमस ने यूनुस सरकार की हिन्दू अल्पसंख्यकों पर किए जाए अनैतिक और अवैध कार्यों को नजरअंदाज करते हुए कहा था कि आपने बहुत अच्छा काम किया है. और बांग्लादेश में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति अच्छी हुई है. बीच की यात्रा से सवाल उठना लाजिमी है बीच और ट्रंप जूनियर की दोस्ती वॉर्टन बिजनेस स्कूल, यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनिया से है, जहां वे 1990 के दशक में साथ थे. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार जब पाकिस्तान पहलगाम आतंकी हमले की साजिश रचने में व्यस्त था, इस दौरान जेंट्री … Read more

10 लाख फिलिस्तीनियों को लीबिया Settle करने की तैयारी में हैं ट्रंप – रिपोर्ट , पढ़ें क्या है पूरा मामला

वाशिंगटन गाजा को लेकर अमेरिका का एक चौंकाने वाला प्लान सामने आया है। अमेरिका की डोनाल्ड ट्रंप सरकार युद्धग्रस्त गाजा पट्टी से करीब 10 लाख फिलिस्तीनियों को स्थायी रूप से लीबिया भेजने की योजना बना रही है। ट्रंप प्रशासन इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रहा है और इस संबंध में लीबिया के नेतृत्व के साथ चर्चा भी कर चुका है। इस योजना के तहत, लीबिया को उन अरबों डॉलर की धनराशि को जारी करने का प्रस्ताव दिया गया है, जो अमेरिका ने एक दशक से अधिक समय पहले फ्रीज कर दी थी। एनबीसी न्यूज ने पांच सूत्रों के हवाले से लिखा है कि इस योजना पर पिछले कुछ समय से अमेरिका तथा लीबिया की लीडरशिप के बीच बातचीत चल रही है। इन चर्चाओं की जानकारी रखने वाले दो व्यक्तियों और एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी ने NBC को बताया कि इस प्रस्ताव के तहत अमेरिका लीबिया की अरबों डॉलर की संपत्ति को वापस देने पर विचार कर रहा है। हालांकि, अमेरिकी सरकार के एक प्रवक्ता ने इन रिपोर्ट्स को खारिज करते हुए कहा, “ये रिपोर्टें असत्य हैं। जमीन पर हालात ऐसे किसी प्लान के अनुकूल नहीं हैं। ऐसी कोई योजना चर्चा में नहीं रही और इसका कोई तर्क नहीं बनता।” लीबिया में दो प्रतिस्पर्धी प्रशासनों का शासन नाटो समर्थित विद्रोह के बाद 2011 में लीबिया में अराजकता फैल गई थी, जिसमें लंबे समय से शासन कर रहे तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी को सत्ता से हटा दिया गया और उनकी हत्या कर दी गई. देश विभाजित हो गया, और इसके पूर्वी और पश्चिमी हिस्से पर दो प्रतिद्वंद्वी मिलिशिया समूहों ने नियं​त्रण कर लिया. लीबिया में वर्तमान में दो प्रतिस्पर्धी प्रशासनों का शासन है: अब्दुल हामिद दबीबेह के नेतृत्व वाली अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय एकता सरकार (Government of National Unity), और प्रतिनिधि सभा समर्थित राष्ट्रीय स्थिरता सरकार (Government of National Stability), जिसका नेतृत्व लीबियाई नेशनल आर्मी और उसके कमांडर खलीफा हफ्तार के वास्तविक शासन के तहत ओसामा हम्माद द्वारा किया जाता है. जीएनयू त्रिपोली में स्थित है और देश के पश्चिमी हिस्से को नियंत्रित करता है, जबकि जीएनएस पूर्वी और मध्य क्षेत्र में काम करता है. इस विभाजन ने लीबिया में सत्ता के दो केंद्र स्थापित कर दिए हैं, जिसमें दोनों सरकारें वैधता और देश पर नियंत्रण के लिए होड़ कर रही हैं. कई सालों से अस्थिरता से जूझ रहा लीबिया 2011 में मुअम्मर गद्दाफी की हत्या और शासन के पतन के बाद से लीबिया लगातार अस्थिरता का सामना कर रहा है। देश पूर्व और पश्चिम में दो भागों में विभाजित हो गया है, जहां विभिन्न सशस्त्र गुट सत्ता के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे में फिलिस्तीनी नागरिकों को वहां पुनर्वासित करना एक व्यवहारिक और मानवीय चुनौती बन सकती है। गाजा में भीषण हमले, 100 से अधिक की मौत इधर, इजरायल ने शुक्रवार को गाजा में दर्जनों हवाई हमले किए, जिनमें स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार 108 लोगों की मौत हो गई, जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे शामिल थे। इजरायल का कहना है कि ये हमले हमास पर दबाव बनाने और बंधकों की रिहाई के लिए युद्ध को अगले चरण में ले जाने की तैयारी का हिस्सा हैं। इजरायल ने यमन के दो बंदरगाहों पर भी हमले किए, जिनके बारे में उसका दावा है कि वहां से हूती विद्रोही हथियारों को ट्रांसफर कर रहे थे। स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि इन हमलों में एक व्यक्ति की मौत हो गई और नौ घायल हो गए। ट्रंप की फिलिस्तीनियों को अन्य अरब देशों में बसाने की इच्छा जनवरी में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि वे चाहते हैं कि जॉर्डन, मिस्र और अन्य अरब देश गाजा से फिलिस्तीनी शरणार्थियों को अधिक संख्या में स्वीकार करें, ताकि "इस तबाह हो चुके इलाके को साफ किया जा सके और एक नया शुरुआत दी जा सके।" उन्होंने कहा था, “यह लगभग एक ध्वस्त इलाका है। लगभग सब कुछ नष्ट हो गया है, लोग मर रहे हैं। मैं चाहूंगा कि कुछ अरब देशों के साथ मिलकर कहीं और मकान बनाएं, जहां ये लोग शायद शांति से रह सकें।” हमास ने बंधक सौदे के बदले युद्ध रोकने का प्रस्ताव दिया हमास के गाजा प्रमुख और इजरायल के साथ अप्रत्यक्ष वार्ताओं में शामिल खलील अल-हय्या ने टेलीविजन पर दिए एक भाषण में कहा कि उनका संगठन सभी बंधकों के बदले इजरायली जेलों में बंद फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई के लिए तत्पर है- बशर्ते युद्ध को पूरी तरह समाप्त किया जाए। उन्होंने अंतरिम संघर्षविराम के किसी भी प्रस्ताव को ठुकरा दिया। इजराइल ने गाजा और यमन में हमले बढ़ाए इस बीच, इजरायल ने शुक्रवार को गाजा में दर्जनों हवाई हमले किए, जिसमें स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि 108 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे. इजरायली अधिकारियों ने इसे हमास पर बंधकों को रिहा करने के लिए दबाव बनाने के अभियान की शुरुआत बताया. इजराइल ने यमन में दो बंदरगाहों पर भी हमला किया, जिसके बारे में उसने कहा कि हूती उग्रवादी समूह द्वारा हथियारों को स्थानांतरित करने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता था. स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई और नौ घायल हो गए. इस बीच हमास के गाजा प्रमुख ने कहा कि समूह सभी बंधकों को इजरायल द्वारा जेल में बंद फिलिस्तीनियों की एक निश्चित संख्या के साथ बदलने के लिए तत्काल बातचीत करने के लिए तैयार है, जिससे इस क्षेत्र में युद्ध समाप्त हो जाएगा. इजरायल के साथ अप्रत्यक्ष वार्ता के लिए हमास वार्ता दल का नेतृत्व करने वाले खलील अल-हय्या ने टेलीविजन पर दिए भाषण में कहा कि समूह अंतरिम युद्धविराम समझौते से इनकार करता है.   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट … Read more

अमेरिका नहीं चाहता था कि पाकिस्तान बिखर जाए, कर्ज पर टिकी इकॉनमी, भारत के सामने घुटने टेकने पड़े

नई दिल्ली अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 10 मई की शाम को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया और भारत-पाकिस्तान के बीच समझौता हो गया। इसके बाद पाकिस्तान की तरफ से आई तस्वीरों में जश्न का सा माहौल था, जबकि भारत में जैसे चुप्पी साध ली गई। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इसे अपनी जीत बताते हुए पाकिस्तानी सेना को बधाई तक दे डाली। US-चीन एकमत: पाकिस्तान में मनाई जा रही खुशी समझौते की है या फिर इसलिए कि ट्रंप ने हार से बचा लिया? भारत के लोग इसे किस नजरिए से देखें? यह मसला दो देशों के बीच का था, तो ट्रंप ने इसकी घोषणा क्यों की? क्या इसका संदेश यह नहीं जाता कि ट्रंप हर हाल में पाकिस्तान को बचाना चाह रहे थे। वैसे चीन भी नहीं चाहता था कि भारत-पाकिस्तान टकराव जारी रहे क्योंकि कुछ मामलों में उसकी भी भद्द पिट रही थी, अमेरिका ने उसकी इच्छा पूरी कर दी। तो क्या पाकिस्तान मसले पर अमेरिका और चीन एकमत थे? ट्रंप की बेचैनी: सिद्धांत रूप से चीन के लिए दक्षिण एशिया में पाकिस्तान का वही महत्व है, जो पश्चिम एशिया में अमेरिका के लिए इस्राइल का। अमेरिका भी पाकिस्तान को इसी नजरिए से देख रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं कि इसी वजह से ट्रंप इतने बेचैन थे? समझौते के बाद पूर्व सेना प्रमुख जनरल वेद प्रकाश मालिक ने जो ट्वीट किया, उसके कुछ तो मायने हैं, 'संघर्ष विराम 10 मई 2025 : हमने भारत के भविष्य को यह पूछने के लिए छोड़ दिया है कि पाकिस्तानी आतंकवादी हमले (22 अप्रैल को पहलगाम में) के बाद अपनी कार्रवाइयों से भारत ने कोई राजनीतिक या रणनीतिक लाभ हासिल किया या नहीं।' ऐसा ही कुछ पूर्व सेना प्रमुख मनोज नरवणे ने भी अपने ट्वीट की अंतिम पंक्ति में लिखा है, ' …हम हर बार घटनाओं पर आधारित प्रतिक्रिया देकर अपने लोगों की जान नहीं गंवा सकते। यह तीसरी बार है, अब आगे कोई और मौका नहीं।' अनसुनी पुकार: ट्रंप के लिए यह खुशी का अवसर हो सकता है, वह दुनिया को यह संदेश देने में कामयाब हो गए कि अमेरिका अब भी दुनिया का लीडर है। उनके विदेश मंत्री ने इसका भरपूर प्रचार भी कर दिया। अमेरिका मानव हानि से बड़ा आहत दिखा। होना भी चाहिए। लेकिन क्या भारत से अधिक कोई राष्ट्र मानवीय संवेदनाओं से संपन्न है? स्पष्टतया नहीं। 1990 के दशक से ही भारत दुनिया को पाकिस्तान की आतंकी हरकतों का सबूत देता चला आ रहा है, पर किसी ने नहीं सुना। लेकिन, जैसे ही 9/11 की घटना हुई, अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ जंग छेड़ दी। अमेरिका ने जब काबुल में तबाही फैलाई, तो क्या आम अफगानी नहीं मरा? पाकिस्तान पर मौन: काबुल के बाद अमेरिका ने बगदाद को निशाना बनाया, जिसका कोई औचित्य नहीं था। हां, उसे सद्दाम हुसैन की तरफ से कुछ खतरे दिख रहे होंगे, और उसने बगदाद का ध्वंस कर दिया। दुनिया उस समय मौन थी या तालियां बजा रही थी। दुनिया इस बात पर भी मौन रही कि दक्षिण एशिया में आतंकवाद का एपीसेंटर पाकिस्तान है, और उस पर कोई एक्शन नहीं हुआ। आतंक की जड़: यह स्थापित हो चुका है कि पाकिस्तान ही एशिया में आतंकवाद की जड़ है। लेकिन, अमेरिका ने अफगान वॉर में उसे सिपहसालार बना लिया था। यह बात तो अमेरिकी सेना के जनरल डेविड पेट्रास ने भी कही थी कि अल-कायदा, पाकिस्तानी तालिबान, अफगान तालिबान, TNSM (तहरीक-ए-नफज-ए-शरीयत-ए-मोहम्मदी) के बीच सिम्बियोटिक रिलेशनशिप है, फिर भी अमेरिका खामोश रहा। दबाव बढ़ रहा था: अंतरराष्ट्रीय मीडिया की खबरें बता रही थीं कि पाकिस्तान काफी दबाव में है। अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा था, 'भारत ने आतंकी संगठनों पर कार्रवाई कर पाकिस्तान को यह संदेश दिया है कि अब वह ऐसे हमलों को बर्दाश्त नहीं करेगा। पाकिस्तान अंदरूनी समस्याओं से जूझ रहा है। इमरान खान जेल में हैं, चुनाव विवादित रहे हैं। देश आर्थिक संकट में है…।' पाकिस्तान में घबराहट: वहां तख्तापलट या मार्शल लॉ लागू होने की आशंकाएं जोर पकड़ रही थीं। टॉप लीडर और वरिष्ठ सैन्य अफसर अपना पैसा विदेश भेजने लगे थे। पाकिस्तान के स्टेट बैंक की जांच में यह बात पता चली। दूसरी तरफ, पाकिस्तान के ओपन एक्सचेंज मार्केट से डॉलर मिलना मुश्किल होने लगा था। उसके पास 12 दिन का आयात बिल चुकाने भर का विदेशी मुद्रा भंडार ही बचा था। अगर IMF से बेलआउट पैकेज की अगली किस्त न जारी होती, तो पाकिस्तान की आर्थिक गतिविधियां ही ठप पड़ जातीं। अब सवाल है कि जिस IMF में अमेरिकी इच्छा के बिना पत्ता भी नहीं हिलता, वहां भारत के विरोध के बाद भी पाकिस्तान को कर्ज मिल जाना क्या संकेत देता है? बिखरने से बचाया: अमेरिका को अच्छी तरह मालूम था कि कर्ज पर टिकी इकॉनमी की वजह से पाकिस्तान को भारत के सामने घुटने टेकने पड़ेंगे। अमेरिका नहीं चाहता था कि ऐसा हो और पाकिस्तान बिखर जाए। ऐसे तो दक्षिण एशिया में भारत के लिए कोई चुनौती ही नहीं रह जाती। अमेरिका को यह स्वीकार नहीं था। उसे पाकिस्तान को बचाना था और इसका एक ही रास्ता था, समझौता। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 9

महिला वर्ग के खेलों में ट्रांसजेंडरों की एंट्री पर लगा स्टॉप, डोनाल्ड ट्रंप ने लिया बड़ा फैसला

न्यूयॉर्क  अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शपथ ग्रहण करने के बाद में लगातार एक्शन में है। कार्यकाल की शुरुआत में ही उन्होंने कई बड़े फैसले लिए हैं। इसमें एक फैसला खिलाड़ियों से जुड़ा हुआ भी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को एक ऐसे कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत ट्रांसजेंडर खिलाड़ी महिला वर्ग के खेलों में हिस्सा नहीं ले सकेंगी। डोनाल्ड ट्रंप का यह आदेश उन पर लागू होगा जो जन्म के समय पुरुष थे और बाद में लिंग परिवर्तन कराकर महिला बन गए। ट्रंप ने अपने अभियान के दौरान कहा था कि पुरुषों को महिलाओं के खेलों से दूर रखा जाना चाहिए। एपी वोटकास्ट के मुताबिक, आधे से ज्यादा वोटर्स ने कहा कि सरकार और समाज में ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए समर्थन बहुत आगे बढ़ गया है। उन्होंने चुनाव से पहले बयानबाजी जारी रखी और ट्रांसजेंडर पागलपन से छुटकारा पाने का वादा किया। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि यह आदेश ‘शीर्षक IX’ के वादे को बनाए रखेगा और ऐसे स्कूलों और एथलेटिक संघों के खिलाफ प्रवर्तन कार्रवाई की आवश्यकता होगी, जो महिलाओं को एकल-लिंग वाले खेलों और लॉकर रूम से वंचित करते हैं। डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान शिक्षा सचिव बेट्सी डेवोस ने 2020 में एक शीर्षक IX नीति जारी की। इसने यौन उत्पीड़न की परिभाषा को सीमित कर दिया और कॉलेजों को केवल तभी दावों की जांच करने की जरूरत थी जब उन्हें कुछ अधिकारियों को सूचित किया गया हो। पूर्व राष्ट्रपति की सरकार ने वापस लिया था प्रस्ताव पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन की सरकार ने एक नियम प्रस्तावित किया था, जो स्कूलों को ट्रांसजेंडर एथलीट्स को पूरी तरह प्रतिबंधित करने से रोकता, लेकिन कुछ मामलों में सुरक्षा और निष्पक्षता की बुनियाद पर सीमाएं लगाने की इजाजत देता। हालांकि दिसंबर 2023 में बाइडेन प्रशासन ने इस प्रस्ताव को वापस ले लिया, क्योंकि इसे लेकर विवाद था और कानूनी मुश्किलें सामने आ रही थीं। अमेरिका की सेना में भी ट्रांसजेंडर्स की भर्ती पर लग सकती है रोक डोनाल्ड ट्रंप का यह आदेश ट्रांसजेंडर आबादी पर किस तरह से असर डालेगा अभी तो यह साफ नहीं है, लेकिन उनकी संख्या के बारे में पता लगाना बेहद ही मुश्किल है। बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सेना में ट्रांसजेंडर्स की भर्ती के आदेश पर भी रोक लगाने के एक कार्यकारी आदेश पर साइन किए हैं। कार्यकारी आदेश के तहत नए रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ पेंटागन नीति की समीक्षा करेंगे और समीक्षा के बाद ट्रांसजेंडर्स सैनिकों के अमेरिकी सेना में भर्ती पर रोक लगाने का फैसला कर सकते हैं। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 7

यूक्रेन को मिलने वाली US मदद पर रोक, जंग के बीच ट्रंप का बड़ा फैसला

वाशिंगटन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को संकेत दिया कि वह रूस के खिलाफ युद्ध में अमेरिकी समर्थन इस शर्त पर जारी रखने पर सहमत हैं कि यूक्रेन अपनी धरती पर मिलने वाले दुर्लभ खनिज तत्वों तक अमेरिकी पहुंच को लेकर समझौता करे। ट्रंप ने ‘ओवल ऑफिस’ (अमेरिकी राष्ट्रपति का कार्यालय) में पत्रकारों से कहा कि अमेरिका ने यूक्रेन को अपने यूरोपीय सहयोगियों की तुलना में कहीं अधिक सैन्य और आर्थिक सहायता भेजी है। उन्होंने कहा, ‘‘हम यूक्रेन के साथ एक ऐसा समझौता करना चाहते हैं, जिसके तहत हम उन्हें जो कुछ भी दे रहे हैं, उसके बदले में वे हमें अपने दुर्लभ खनिज तत्व दें।’’ ट्रंप ने सुझाव दिया कि उन्हें यूक्रेन की सरकार से यह संदेश मिला है कि वह आधुनिक उच्च प्रौद्योगिकी वाली अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण तत्वों तक अमेरिका को पहुंच प्रदान करने संबंधी एक समझौता करने के लिए तैयार हैं। ट्रंप ने कहा, ‘मैं धरती पर मिलने वाले इन दुर्लभ खनिज तत्वों का संरक्षण चाहता हूं। हम सैकड़ों अरब डॉलर खर्च कर रहे हैं। उनके पास बहुत बढ़िया दुर्लभ खनिज तत्व हैं और मैं इन दुर्लभ खनिज तत्वों का संरक्षण चाहता हूं। वे ऐसा करने के लिए तैयार हैं।’ ट्रंप ने पहले कहा था कि वह युद्ध को तेजी से समाप्त करेंगे औ इसके लिए बातचीत जारी है। ट्रंप ने कहा, ‘हमने रूस और यूक्रेन के मामले में बहुत प्रगति की है। देखते हैं कि क्या होता है। हम उस बेतुके युद्ध को रोकने जा रहे हैं।’ यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने शनिवार को ‘एसोसिएटेड प्रेस’ (एपी) को कहा कि उनके देश की मौजूदगी के बिना अमेरिका और रूस के बीच कोई भी बातचीत अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि उनकी टीम ट्रंप प्रशासन के संपर्क में है, लेकिन ये चर्चाएं अभी सामान्य स्तर पर हैं और उनका मानना ​​है कि अधिक विस्तृत समझौते के लिए आमने-सामने की बैठकें जल्द होंगी। जेलेंस्की ने कहा, ‘हमें इस पर और काम करने की जरूरत है।’ Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 31

चीन के चिप उद्योग पर ट्रंप का बड़ा वार, अब तकनीकी दौड़ में पिछड़ जाएगा चीन?

वाशिंगटन ग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, 200 चीनी कंपनियों को प्रतिबंधित व्यापार सूची में डालने जा रही है, जिसमें चिप निर्माण उपकरण और सामग्री सप्लाई करने वाली प्रमुख कंपनियां शामिल होंगी। यह कदम चीन के सेमीकंडक्टर उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयासों को और मुश्किल बना सकता है। इस लिस्ट में हुवावे टेक्नोलॉजीज और उससे जुड़े चिप निर्माण प्लांट्स को भी निशाना बनाया गया है। हुवावे 2019 से ही अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर रहा है। अमेरिका के ये नए प्रतिबंध चीन की चिप सप्लाई चेन को बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं। इनसे वेंचर कैपिटल और विशेष गैस सप्लाई करने वाली चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने इन प्रतिबंधों की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इन प्रतिबंधों को अनुचित बताते हुए कहा है कि ये कदम अमेरिका-चीन आर्थिक संबंधों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।अमेरिका और चीन के बीच तकनीकी विवाद और गहरा हो गया है। अमेरिका के इन प्रतिबंधों का उद्देश्य चीन को एडवांस तकनीकों तक पहुंच से रोकना है, जिनसे उसकी सैन्य ताकत बढ़ सकती है। पिछले प्रतिबंधों के तहत अमेरिका ने चीन के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) उद्योग को Nvidia और ASML जैसी कंपनियों की एडवांस चिप्स और उपकरणों से वंचित कर दिया था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह नया कदम चीन के सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए बड़ा झटका होगा। यह तकनीकी विवाद अमेरिका और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा को और तेज कर रहा है, जिसका असर वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग पर गहराई से पड़ सकता है। दुविधा में पड़ा मैक्सिको चीन की यह योजना मैक्सिको को एक दुविधा में डालती हैं, जिसे ट्रम्प की सोमवार को दी गई धमकी ने और भी बदतर बना दिया है. ट्रंप ने साफ कहा है कि वह मैक्सिको के सामानों पर 25% टैरिफ लगाएंगे. देश में पहले से ही एक प्रमुख कार-निर्माण केंद्र है और आमतौर पर विदेशी निवेश का स्वागत करता है क्योंकि इससे रोजगार मिलता है. BYD, जो दुनिया के सबसे बड़े इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं में से एक है, उसका प्‍लांट लगना सामान्यतः एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती. लेकिन, मैक्सिको के अधिकारियों को डर है कि BYD का प्लांट ट्रम्प और उनके व्यापारिक सलाहकारों को गलत संदेश भेजेगा. चीन तलाश रहा पिछला दरवाजा मैक्सिको के अधिकारियों को लगता है कि अगर चीनी कंपनी उनके यहां आई तो अमेरिकी प्रशासन को यही लगेगा कि मैक्सिको चीनी कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार में प्रवेश का पिछला दरवाजा बनना चाहता है. यह हालात इसलिए और भी गंभीर नजर आ रहे हैं, क्‍योंकि अवैध घुसपैठ और ड्रग्‍स को लेकर पहले से ही मैक्सिको अमेरिका के निशाने पर है. Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 29