राजद नेता याचिका पर सुनवाई में की टिप्पणी, सुप्रीम कोर्ट ने माननीयों को सिखाया विरोधियों से बात करने का तरीका
नई दिल्ली। विधानसभाओं और संसद में लगातार हो रही कटुतापूर्ण कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। शीर्ष अदालत ने सोमवार को कहा कि ऐसा लगता है कि विधायक यह भूल गए हैं कि कड़ा विरोध जताते समय या विरोधियों की आलोचना करते समय कैसे सम्मानजनक व्यवहार किया जाए। यह टिप्पणी जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन के सिंह की पीठ ने राजद नेता सुनील कुमार सिंह की रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान की। याचिका में बिहार विधान परिषद के उस फैसले को चुनौती दी गई है जिसमें बजट सत्र के दौरान कथित कदाचार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नकल करने के कारण उन्हें सदन से निष्कासित कर दिया गया था। सम्मान के साथ हो कटु आलोचना सुप्रीम कोर्ट ने सिंह की टिप्पणियों को प्रथम दृष्टया अस्वीकार करते हुए कहा कि सम्मानित सदनों के सदस्यों को दूसरों के कटु आलोचक होते हुए भी उनका सम्मान करना चाहिए। सुनील कुमार सिंह के वकील ए एम सिंघवी ने कहा कि भले ही मामला कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन चुनाव आयोग ने सिंह की खाली हुई सीट के लिए उपचुनाव की घोषणा की है और आशंका जताई है कि इससे भ्रम की स्थिति पैदा होगी। चुनाव पर रोक लगाने की मांग सिंघवी ने कहा कि अगर चुनाव होते हैं और कोई और निर्वाचित होता है और उसी समय सुप्रीम कोर्ट सिंह के निष्कासन को रद्द कर देता है, तो इससे एक ही सीट के लिए दो निर्वाचित उम्मीदवारों के होने की असंगत स्थिति पैदा होगी। उन्होंने अनुरोध किया कि सुप्रीम कोर्ट को इस महीने के अंत में होने वाले चुनावों पर रोक लगा देनी चाहिए। 'क्या आप ऐसी भाषा का समर्थन करते हैं?' सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव स्थगित करने से इनकार कर दिया, लेकिन कहा कि वह सिंह की रिट याचिका पर अंतिम सुनवाई 9 जनवरी को करेगा। सिंघवी ने कहा कि सदन के अंदर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को व्यापक छूट दी गई है। पीठ ने कहा कि इस तरह से सदन के अंदर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल किया जाता है? आप (सिंघवी) भी संसद सदस्य हैं। क्या आप सदन के अंदर विरोधियों के खिलाफ ऐसी भाषा के इस्तेमाल का समर्थन करते हैं? सिंघवी ने कहा कि वह ऐसी भाषा का समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन ऐसी भाषा के इस्तेमाल के लिए निष्कासन से विपक्ष की बेंच खाली हो जाएगी। एक अन्य एमएलसी की तरफ से भी इसी तरह की भाषा के इस्तेमाल के लिए, उन्हें केवल निलंबित किया गया था। लेकिन सिंह के मामले में, यह निष्कासन था। 26 जुलाई को किया गया था निष्कासित विधान परिषद की आचार समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिंह को हटाने की संस्तुति करते हुए कहा था कि "विपक्ष के मुख्य सचेतक होने के नाते उनकी विधायी जिम्मेदारी और नियमों और विनियमों का पालन दूसरों से अधिक होना चाहिए। लेकिन उनका व्यवहार इसके विपरीत था। वेल में आकर उन्होंने अनर्गल नारे लगाए, सदन की कार्यवाही में बाधा डाली। अध्यक्ष के निर्देश का अनादर किया। सदन के नेता के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया। उन्हें अपमानित करने की कोशिश की और एक तरह से विधान परिषद की गरिमा को नुकसान पहुंचाया। रिपोर्ट के आधार पर सिंह को 26 जुलाई को निष्कासित कर दिया गया। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है। और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र mysecretnews.com recent visitors 18