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भारत के सैटेलाइट्स ने सेना को हवा में आ रहे हथियारों की सटीक दिशा-ट्रैजेक्टरी की जानकारी देकर अहम भूमिका निभाई: वी. नारायणन

नई दिल्ली पाकिस्तान की ओर से हाल ही में हुए सैन्य संघर्ष के दौरान ड्रोन और मिसाइलों की बौछार के बीच भारत का एयर डिफेंस सिस्टम पूरी मजबूती से खड़ा रहा और एक प्रभावी ढाल का काम किया. भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) ने बताया कि भारत के सैटेलाइट्स ने सशस्त्र बलों को हवा में आ रहे हथियारों की सटीक दिशा-ट्रैजेक्टरी की जानकारी देकर अहम भूमिका निभाई. 9 और 10 मई की रात को भारत के एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम 'आकाशतीर' और रूस से मंगाए गए S-400 सिस्टम ने मिलकर एक अदृश्य कवच का निर्माण किया, जिसने पाकिस्तानी हमलों को भारतीय नागरिक और सैन्य ठिकानों तक पहुंचने से पहले ही रोक दिया और उन्हें नष्ट कर दिया. ISRO के पास 72 सेमी रेजोल्यूशन वाले कैमरे की नजर ISRO के चेयरमैन वी. नारायणन ने बताया कि कैसे भारत की सैटेलाइट्स ने कठिन परिस्थितियों में सशस्त्र बलों की मदद की और तत्काल खतरे को टालने में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने कहा, 'हमारे सभी सैटेलाइट्स ने पूरी सटीकता के साथ काम किया. जब हमने शुरुआत की थी, तब हमारे कैमरों की रेजोल्यूशन 36 से 72 सेंटीमीटर के बीच थी. लेकिन अब हमारे पास चंद्रमा पर 'ऑन-ऑर्बिटर हाई रेजोलूशन कैमरा' है, जो दुनिया का सबसे बेहतरीन रेजोलूशन कैमरा है. इसके अलावा हमारे पास ऐसे कैमरे भी हैं जो 26 सेंटीमीटर रेजोलूशन तक की स्पष्ट तस्वीरें दिखा सकते हैं.' रणनीतिक उद्देश्यों से काम कर रहे इसरो के सैटेलाइट्स 11 मई को इम्फाल में सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (CAU) के 5वें दीक्षांत समारोह के दौरान नारायणन ने कहा कि कम से कम 10 सैटेलाइट्स लगातार रणनीतिक उद्देश्यों के लिए काम कर रहे हैं, ताकि भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. नारायणन की यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई है जब 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई, के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है. फिलहाल एक्टिव हैं 50 सैटेलाइट्ल   उन्होंने यह भी कहा, 'हम जो भी सैटेलाइट्स भेजते हैं, उनका मकसद लोगों की भलाई होता है, जिसमें सुरक्षा भी शामिल है. फिलहाल कम से कम 50 सैटेलाइट्ल टीवी ब्रॉडकास्टिंग, टेलीकम्यूनिकेशन और सुरक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं.' नारायणन ने बताया कि मंगलयान ऑर्बिटर मिशन के बाद इसरो अब एक लैंडिंग मिशन पर भी काम कर रहा है, जिसे लगभग 30 महीनों में लॉन्च किए जाने की योजना है. इसरो प्रमुख नारायणन गुरुवार को चेन्नई पहुंचे, जहां PSLV-C61 रॉकेट लॉन्च की अंतिम तैयारियां चल रही हैं. यह इसरो का 101वां मिशन होगा.   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 9

इसरो कल पीएसएलवी-सी61के माध्यम से खास ईओएस-09 (RISAT-1B) सैटेलाइट को प्रक्षेपित करने जा रहा

नई दिल्ली भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक बार फिर अपनी तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए तैयार है। इसरो 18 मई यानी कल अपने विश्वसनीय पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी-सी61) के माध्यम से खास ईओएस-09 (RISAT-1B) सैटेलाइट को प्रक्षेपित करने जा रहा है। यह प्रक्षेपण सुबह 5:59 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से होगा। इस सैटेलाइट के साथ भारत की रात के समय और हर मौसम में निगरानी की क्षमता को अभूतपूर्व बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। बादलों के आर-पार देखने की क्षमता यह उपग्रह न केवल बादलों के आर-पार देख सकता है, बल्कि रात के अंधेरे में भी हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीरें ले सकता है। इसके जरिए भारत की अंतरिक्ष से निगरानी क्षमता को और अधिक मजबूती मिली है, खासतौर पर उस समय जब पाकिस्तान के साथ सीमा पर भले ही अभी शांति हो, लेकिन भारत हर स्थिति को लेकर सतर्क बना हुआ है। यह सैटेलाइट आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसरो के भरोसेमंद रॉकेट पीएसएलवी (PSLV) के जरिए छोड़ी जाएगी। यह इसरो की अब तक की 101वीं बड़ी रॉकेट लॉन्चिंग है। EOS-9 का वजन 1,696 किलोग्राम है और इसे पृथ्वी की सतह से करीब 500 किलोमीटर ऊपर की कक्षा में स्थापित किया जाएगा। कम रोशनी में भी जमीन की सटीक तस्वीरें इस सैटेलाइट को इसरो के यू आर राव सैटेलाइट सेंटर, बेंगलुरु में पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से तैयार किया गया है। इसमें C-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो हर मौसम में और कम रोशनी में भी जमीन की सटीक तस्वीरें लेने में सक्षम है। यह "जासूसी सैटेलाइट" भारत के उस सैटेलाइट सिस्टम का हिस्सा बनेगी, जिसमें पहले से ही 50 से अधिक सैटेलाइट अंतरिक्ष में तैनात हैं। इनमें से सात रडार सैटेलाइट्स विशेष रूप से सीमा क्षेत्रों की निगरानी में सक्रिय हैं, जो अप्रैल 22 को हुए पहगाम हमले और उसके बाद दोनों देशों के बीच हुई सैन्य गतिविधियों के दौरान अहम भूमिका में रही हैं। सुरक्षा एजेंसियों को काफी मदद मिलेगी EOS-9 से पहले भारत के पास जो प्रमुख इमेजिंग सैटेलाइट Cartosat-3 थी, वह रात में तस्वीरें नहीं ले पाती थी। EOS-9 इस कमजोरी को दूर करेगी और इससे मिली तस्वीरें पहले से ज्यादा स्पष्ट और सटीक होंगी, जिससे सुरक्षा एजेंसियों को काफी मदद मिलेगी। हाल ही में इसरो अध्यक्ष डॉ वी. नारायणन ने इस मौके पर कहा, "कम से कम 10 सैटेलाइट चौबीसों घंटे देश की सुरक्षा में लगे हैं। भारत को अपनी 7,000 किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा और पूरे उत्तरी क्षेत्र की निगरानी करनी होती है। यह सैटेलाइट और ड्रोन तकनीक के बिना संभव नहीं है।" वहीं, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने इस लॉन्च पर कहा, "सटीकता, टीमवर्क और इंजीनियरिंग भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को शक्ति देती हैं।" इस ऐतिहासिक लॉन्च को देखने के लिए कई सांसद और वैज्ञानिक श्रीहरिकोटा में मौजूद रहे। मुख्य बातें:     अंतरिक्ष एजेंसी इसरो का यह 101वां मिशन है।     शनिवार सुबह सात बजकर 59 मिनट पर उलटी गिनती शुरू हो गई। कुल 22 घंटे की उलटी गिनती है।     सैटेलाइट का नाम: EOS-9     वजन: 1,696 किलोग्राम     लॉन्च व्हीकल: PSLV     स्थान: सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा     खासियत: बादलों के आर-पार और रात में भी हाई-रिजॉल्यूशन इमेजिंग     तकनीक: C-बैंड Synthetic Aperture Radar (SAR)     निर्माण: यू आर राव सैटेलाइट सेंटर, बेंगलुरु राष्ट्रीय सुरक्षा और आपदा प्रबंधन में योगदान यह लॉन्च भारत की सुरक्षा और अंतरिक्ष तकनीक दोनों के लिए मील का पत्थर है। ईओएस-09 की उन्नत रडार इमेजिंग क्षमता इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बनाती है। यह सैटेलाइट भारत की सीमाओं और तटीय क्षेत्रों की 24×7 निगरानी करने में सक्षम होगी, जिससे सैन्य और रक्षा तैयारियों को मजबूती मिलेगी। इसके अलावा, यह सैटेलाइट कृषि, वानिकी, बाढ़ निगरानी, मृदा नमी मूल्यांकन, भूविज्ञान, समुद्री बर्फ और तटीय निगरानी जैसे नागरिक अनुप्रयोगों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। कुल मिलाकर इस मिशन का उद्देश्य देश भर में विस्तारित तात्कालिक समय पर होने वाली घटनाओं की जानकारी जुटाने की आवश्यकता को पूरा करना है। पृथ्वी अवलोकन सैटेलाइट-09 वर्ष 2022 में प्रक्षेपित किए गए ईओएस-04 जैसा ही एक सैटेलाइट है। पीएसएलवी-सी61 रॉकेट 17 मिनट की यात्रा के बाद ईओएस-09 उपग्रह को सूर्य तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा (एसएसपीओ) में स्थापित कर सकता है। सैटेलाइट के वांछित कक्षा में अलग होने के बाद वैज्ञानिक बाद में कक्षा की ऊंचाई कम करने के लिए वाहन पर ‘ऑर्बिट चेंज थ्रस्टर्स’ (ओसीटी) का उपयोग करेंगे। इसरो ने बताया कि ईओएस-09 की मिशन अवधि पांच वर्ष है। वैज्ञानिकों के अनुसार, सैटेलाइट को उसकी प्रभावी मिशन अवधि के बाद कक्षा से बाहर निकालने के लिए पर्याप्त मात्रा में ईंधन आरक्षित कर लिया गया है ताकि इसे दो वर्षों के भीतर कक्षा में नीचे उतारा जा सके, जिससे मलबा-मुक्त मिशन सुनिश्चित हो सके। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी 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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पूर्व प्रमुख कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन का निधन, 84 साल की आयु में बेंगलुरु में ली अंतिम सांस

बेंगलुरु भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व प्रमुख और प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. के. कस्तूरीरंगन का 84 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने बेंगलुरु में अंतिम सांस ली। 27 अप्रैल को लोग कर सकेंगे अंतिम दर्शन के कस्तूरीरंगन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के मसौदा समिति के अध्यक्ष भी थे। अधिकरियों ने बताया कि आज सुबह उनका निधान हुआ है। 27 अप्रैल को अंतिम दर्शन के लिए उनका पार्थिव शरीर रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI) में रखा जाएगा। एनईपी में सूचीबद्ध शिक्षा सुधारों के पीछे के व्यक्ति के रूप में जाने जाने वाले कस्तूरीरंगन ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और कर्नाटक ज्ञान आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया था। राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं कस्तूरीरंगन डॉ. कस्तूरीरंगन साल 2003 से लेकर 2009 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे और तत्कालीन भारतीय योजना आयोग के सदस्य के रूप में भी कार्य किया था। कस्तूरीरंगन अप्रैल 2004 से 2009 तक नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज, बैंगलोर के निदेशक भी रहे। डॉ. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में इसरो ने रचा इतिहास डॉ. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में इसरो ने भारत के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के सफल प्रक्षेपण और संचालन सहित कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की। डॉ. कस्तूरीरंगन ने जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) के पहले सफल उड़ान परीक्षण की भी देखरेख की। उनके कार्यकाल में आईआरएस-1सी और 1डी सहित प्रमुख उपग्रहों का विकास और प्रक्षेपण और दूसरी और तीसरी पीढ़ी के इनसैट उपग्रहों की शुरुआत हुई। इन प्रगति ने भारत को वैश्विक अंतरिक्ष क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति के रूप में मजबूती से स्थापित कर दिया।  इसरो के अध्यक्ष बनने से पहले डॉ. कस्तूरीरंगन इसरो उपग्रह केंद्र के निदेशक थे, जहां उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (इनसैट-2) और भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रहों (आईआरएस-1ए और आईआरएस-1बी) जैसे अगली पीढ़ी के अंतरिक्ष यान के विकास का नेतृत्व किया। उपग्रह आईआरएस-1ए के विकास में उनका योगदान भारत की उपग्रह क्षमताओं के विस्तार में महत्वपूर्ण था। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 9

मिशन शक्ति सेट में स्कूली बच्चियों को सैटेलाइट बनाने का प्रशिक्षण, इसरो120 घंटे का ऑनलाइन प्रशिक्षण देगा

इंदौर  पिछड़े क्षेत्र की बच्चियों को भी चंद्रयान-4 से जुड़ने का मौका मिलेगा। ये बच्चियां न सिर्फ अंतरिक्ष विज्ञान में करियर के अवसरों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगी, बल्कि उन्हें सैटेलाइट बनाने का व्यावहारिक ज्ञान भी मिलेगा। इसके लिए मिशन शक्ति सेट के अंतर्गत इंदौर की करीब 14 बच्चियों का चयन किया गया है। ये सभी स्कूली बच्चियां हैं, जिन्हें 120 घंटे का प्रशिक्षण दिया जाएगा। भारत अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है। अपने अभिनव मिशनों और तकनीकी उपलब्धियों के माध्यम से वैश्विक मंच पर एक प्रमुख स्थान बना रहा है। इस क्षेत्र में महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करें और अंतरिक्ष क्षेत्र में सक्रिय रूप से शामिल हो सकें, इस उद्देश्य के साथ मिशन शक्ति-सेट की शुरुआत की गई है। यह मिशन चेन्नई स्थित स्पेस किड्स इंडिया द्वारा विकसित किया गया है। मिशन शक्ति सेट की निदेशक और स्पेस किड्स इंडिया की संस्थापक-सीईओ डॉ. केशन ने 16 जनवरी को इस मिशन की शुरुआत की थी। इसके माध्यम से बच्चियां शोध, नवाचार और नेतृत्व की भूमिकाएं भी निभाने में सक्षम होंगी। 120 घंटे का ऑनलाइन प्रशिक्षण मिशन शक्ति सेट में भारत सहित 108 देशों की हाईस्कूल की करीब 12 हजार छात्राएं शामिल रहेंगी। इनमें भारत की 130 छात्राएं शामिल हैं। इन छात्राओं को इसरो और इनस्पेस द्वारा 120 घंटे का ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें अंतरिक्ष तकनीक, पेलोड विकास और अंतरिक्ष यान प्रणालियों से संबंधित विषय शामिल होंगे। इसरो और अन्य वैश्विक संस्थानों के विज्ञानियों द्वारा डिजाइन किया गया यह कार्यक्रम छात्राओं को अंतरिक्ष विज्ञान के व्यावहारिक अनुभव से अवगत कराएगा। प्रशिक्षण के बाद हर देश की एक बच्ची का चयन होगा और ये 108 बच्चियां चंद्रयान मिशन 2026 में भी योगदान देंगी और सैटेलाइट विकसित कर उसका प्रक्षेपण करेंगी। अंतरिक्ष विज्ञान में करियर के अवसर भारत में इस इस मिशन का नेतृत्व वायुसेना में पायलट रह चुकीं सेवानिवृत्त विंग कमांडर जया तारे कर रही हैं। उन्होंने बताया कि जो बच्चियां अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहती हैं, हम उनके लिए यह अभियान चला रहे हैं। इसके अंतर्गत बच्चियों को विशेषज्ञों द्वारा मेंटरशिप प्रदान की जाएगी। इसके साथ ही 108 देशों की बच्चियां एक ही मंच पर होंगी, जिससे उन्हें एक-दूसरे से जुड़ने का भी मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि यदि इन छात्राओं को सही दिशा, प्रेरणा और मार्गदर्शन दिया जाए, तो वे न केवल अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक में असाधारण उपलब्धियां हासिल करेंगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत भी बनेंगी। खरगोन की बच्ची भी शामिल इस अभियान के लिए इंदौर से 14 बच्चियों को चयन किया गया है। वहीं, खरगोन की भी एक बच्ची राशि चौरे का चयन हुआ है। इस तरह इस मिशन के लिए प्रदेशभर से 15 बच्चियां चयनित हुई हैं। मध्य प्रदेश में इन बच्चियों का चयन विजय सोशल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा किया गया है। सोसाइटी की संस्थापिका माधुरी मोयदे ने बताया कि वे कई वर्षों से शिक्षकों और विशेषज्ञों के साथ मिलकर बच्चियों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए प्रयास कर रही हैं। इसी के चलते इस मिशन के अंतर्गत इन बच्चियों का चयन किया गया है। ऐसे हुआ चयन मिशन के लिए चयनित ये सभी बच्चियां शासकीय विद्यालयों की हैं। इनका टेस्ट और इंटरव्यू लिया गया था। चयनित बच्चियों में से अधिकतर बाल विनय मंदिर, सांदीपनि और पीएमश्री स्कूलों की हैं। इन बच्चियों का हुआ चयन तान्या यादव, कुशी तायड़े, कृष्णा खाजेकर, आरती पवार, अक्षरा जैन, शीतल मोरे, सुहानी मेश्राम, मुस्कान कैरो, निधि शर्मा, कलश जैन, दर्शना शर्मा, सुजाता इंगले, गौरी भदौरिया, वंशिका सोलंकी सभी इंदौर और राशि चौरे खरगोन। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 12

मोदी सरकार ने ‘चंद्रयान-5’ मिशन को दी मंजूरी, जापान भी करेगा सहयोग; इसरो प्रमुखवी नारायणन

नई दिल्ली केंद्र सरकार ने महत्वाकांक्षी ‘चंद्रयान-5 मिशन’ को मंजूरी दे दी है. इस मिशन के तहत, चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने के लिए 250 किलोग्राम का रोवर भेजा जाएगा. ISRO के अध्यक्ष वी. नारायणन ने इस खबर की पुष्टि करते हुए बताया कि यह मिशन जापान के सहयोग से संचालित किया जाएगा. रविवार को एक सम्मान समारोह में बोलते हुए ISRO प्रमुख ने कहा कि ‘चंद्रयान-5’ को हाल ही में हरी झंडी मिली है. उन्होंने बताया कि इससे पहले ‘चंद्रयान-3’ मिशन के तहत 25 किलोग्राम का रोवर ‘प्रज्ञान’ चंद्रमा पर भेजा गया था, जो सफलतापूर्वक लैंड हुआ था. इस बार चंद्रयान-5 में अधिक क्षमता वाला रोवर भेजा जाएगा, जिससे चंद्रमा की सतह पर और गहराई से अध्ययन किया जा सकेगा ‘चंद्रयान-4’ मिशन पर काम जारी बता दें, ISRO ने चंद्रयान-3 मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था, जिसमें लैंडर ‘विक्रम’ ने 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की थी. यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा. इससे पहले, ISRO ‘चंद्रयान-4’ मिशन पर भी काम कर रहा है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा से मिट्टी और चट्टानों के नमूने लाना है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसे 2027 में लॉन्च किया जा सकता है.  ‘चंद्रयान-5 मिशन’ का मकसद? चंद्रयान मिशनों का मकसद चंद्रमा की सतह और वहां मौजूद खनिजों का अध्ययन करना है. इसरो के वैज्ञानिक लगातार इस दिशा में काम कर रहे हैं और भारत को स्पेस रिसर्च के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं. चंद्रयान-5 मिशन के ऐलान के बाद देशभर में वैज्ञानिक समुदाय में उत्साह है, और अब सभी की नजरें इस नए मिशन पर टिकी हैं. जापान के साथ मिलकर चंद्रयान-5 मिशन को अंजाम देगा इसरो नारायणन ने कहा, 'अभी तीन दिन पहले ही हमें चंद्रयान-5 मिशन के लिए मंजूरी मिली है। हम इसे जापान के साथ मिलकर करेंगे।' चंद्रयान-4 मिशन के 2027 में लॉन्च होने की उम्मीद है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा से एकत्र किए गए नमूने लाना है। इसरो की भविष्य की परियोजनाओं के बारे में नारायणन ने कहा कि गगनयान सहित विभिन्न मिशनों के अलावा, भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन- भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की योजनाएं चल रही हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने हाल ही में अपने अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग – स्पैडेक्स की सफल अनडॉकिंग करने में भी सफलता हासिल की। इससे चंद्रयान-4 और अन्य भविष्य के मिशनों के लिए मंच तैयार हो गया।  Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 12

तकनीकी गड़बड़ी के कारण स्‍पेस में अटकी NVS-02 नेविगेशन सेटेलाइट, 100वें मिशन को लगा झटका, अब क्‍या करेगा ISRO?

बेंगलुरु ISRO यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के 100वें रॉकेट मिशन को झटका लगा है। खबर है कि बुधवार को लॉन्च हुए मिशन को रविवार को तकनीकी परेशानी का सामना करना पड़ा है। 2250 किलो वजनी सैटेलाइट नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टलेशन या NavIC का हिस्सा थी। माना जाता है कि NavIC सीरीज की कई सैटेलाइट्स 2013 से लेकर अब तक उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं। ISRO के NVS-02 उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने के प्रयासों को उस समय झटका लगा जब अंतरिक्ष यान में लगे ‘थ्रस्टर्स’ काम नहीं कर सके। स्पेस एजेंसी ने रविवार को घटना की जानकारी दी है। इसरो ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि अंतरिक्ष यान में लगे ‘थ्रस्टर्स’ के काम नहीं करने के कारण एनवीएस-02 उपग्रह को वांछित कक्षा में स्थापित करने का प्रयास सफल नहीं हो सका। भारत की अपनी अंतरिक्ष-आधारित नेविगेशन प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले एनवीएस-02 उपग्रह को 29 जनवरी को जीएसएलवी-एमके 2 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसरो ने यह भी कहा, 'सैटेलाइट सिस्टम स्वस्थ हैं और सैटेलाइट फिलहाल एलिप्टिकल ऑर्बिट में है। एलिप्टिकल ऑर्बिट में नेविगेशन के लिए सैटेलाइट के इस्तेमाल के लिए मिशन की वैकल्पिक रणनीतियों पर काम किया जा रहा है।' खबरें हैं कि साल 2013 के बाद से अब तक NavIC सीरीज की कुल 11 सैटेलाइट लॉन्च की गई हैं, जिनमें से 6 पूरी या आशिंक रूप से असफल हो गई हैं। भारत ने साल 1999 में पाकिस्तान के साथ करगिल युद्ध के बाद NavIC को विकसित किया था। युद्ध के दौरान भारत को GPS डेटा देने से इनकार कर दिया गया था और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने GPS का एक क्षेत्रीय संस्करण बनाने का वादा किया था। क्‍या था इसरो का प्‍लान? इसरो के सूत्रों का कहना है कि सेटेलाइट को कक्षा में स्थापित करने के बाद वो फायर करने में विफल रहा. इसरो ने कहा, “सेटेलाइट सिस्‍टम एक दम हेल्दी है और वो मौजूदा वक्‍त में अण्डाकार कक्षा में है. अण्डाकार कक्षा में नेविगेशन के लिए उपग्रह का उपयोग करने के लिए वैकल्पिक मिशन रणनीतियों पर काम किया जा रहा है.” इसरो का NVS-02 सेटेलाइट को पृथ्वी के चारों ओर एक अण्डाकार कक्षा में स्थापित करने का इरादा था. बताया गया था कि इसकी अपोजी यानी सबसे दूर का बिंदू 37,500 किमी रहेगा जबकि पेरीजी यानी निकटतम बिंदू और 170 किमी की होगी. 29 जनवरी को GSLV द्वारा बहुत सटीक इंजेक्शन ने सेटेलाइट को एक ऐसी कक्षा में स्थापित कर दिया था जो लक्ष्‍य किए गए अपोजी से 74 किमी और पेरीजी से 0.5 किमी दूर थी. भारत के लिए क्‍यों अहम है यह मिशन? भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (INSACI)आईएनएसपीएसीई) के अध्यक्ष पवन कुमार गोयनका ने लॉन्‍च के वक्‍त कहा था, ‘‘यह मिशन भारत की अंतरिक्ष एक्‍सप्‍लोरेशन की दशकों पुरानी विरासत और हमारे भविष्य के संकल्प को भी दर्शाता है. निजी प्रक्षेपणों के साथ-साथ, मैं अगले पांच वर्षों में अगले 100 प्रक्षेपणों को देखने के लिए उत्सुक हूं.’’ हैदराबाद स्थित अनंत टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के सीएमडी सुब्बा राव पावुलुरी ने कहा था कि 100वां प्रक्षेपण न केवल इसरो की तकनीकी क्षमता का उत्सव है, बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की बढ़ती क्षमताओं का भी प्रदर्शित करता है. ‘‘पिछले कुछ वर्षों में हमें इसरो के अनेक मिशनों में योगदान देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, जहां हमने अत्याधुनिक वैमानिकी, प्रणालियां और समाधान उपलब्ध कराए हैं, जिन्होंने इन प्रयासों की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.’’ इसरो ने क्या कहा, पहले यह जान लीजिए इसरो के पूर्व साइंटिस्ट विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि एनवीएस-02 उपग्रह को उसकी मनचाही कक्षा में स्थापित करने के इसरो के प्रयासों को झटका लगा है। दरअसल, अंतरिक्ष यान के थ्रस्टर को एक्टिव नहीं किया जा सका है। एनवीएस-02 उपग्रह भारत के स्वदेशी अंतरिक्ष-आधारित नेविगेशन सिस्टम यानी नाविक के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे 29 जनवरी को जीएसएलवी-एमके 2 रॉकेट से श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। थ्रस्टर्स को फायर करने के लिए वॉल्व नहीं खुल पाए इसरो के पूर्व साइंटिस्ट विनोद कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि किसी भी सैटेलाइट को एक तय कक्षा में स्थापित किया जाता है। इसरो के इस सैटेलाइट को भी तय ऑर्बिट में ही कायम किया जाना था। मगर, वक्त पर इसके थ्रस्टर्स फायर नहीं कर पाए। ये थ्रस्टर्स एक तरह से छोटे-छोटे रॉकेट होते हैं। इनमें ऑक्सीडाइजर को प्रवेश देने वाले वॉल्व नहीं खुल पाए, जिससे फायरिंग नहीं हुई। दीर्घवृत्ताकार ऑर्बिट में नेविगेशन की खातिर सैटेलाइट का उपयोग करने के लिए वैकल्पिक मिशन रणनीतियों पर काम किया जा रहा है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक कवर करेगा इसरो इससे पहले ISRO ने बताया था कि NVS-02 को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित कर दिया गया है। यह सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम का हिस्सा है, जो भारत में GPS जैसी नेविगेशन सुविधा को बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है। इसरो के पूर्व साइंटिस्ट विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि यह सिस्टम कश्मीर से कन्याकुमारी, गुजरात से अरुणाचल तक का हिस्सा कवर करेगा। साथ ही साथ कोस्टल लाइन से 1500 किमी तक की दूरी भी कवर होगी। इससे हवाई, समुद्री और सड़क यात्रा के लिए बेहतर नेविगेशन हेल्प मिलेगी। अभी किस स्थिति में है नाविक सैटेलाइट विनोद कुमार श्रीवास्तव के अनुसार, सैटेलाइट अब अंडाकार भू-समकालिक स्थानांतरण कक्ष (GTO) में पृथ्वी का चक्कर लगा रहा है, जो नेविगेशन सिस्टम के लिए ठीक नहीं है। इसरो ने कहा, सैटेलाइट सिस्टम ठीक है और सैटेलाइट मौजूदा वक्त में अंडाकार ऑर्बिट में है। यह ऑर्बिट में नेविगेशन के लिए सैटेलाइट का उपयोग करने के लिए वैकल्पिक मिशन रणनीतियों पर काम किया जा रहा है।   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस … Read more

अमेरिकी कंपनी ‘टी स्पेसमोबाइल’ के संचार उपग्रह को प्रक्षेपित करेगा इसरो

नई दिल्ली भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का एलवीएम3 रॉकेट मार्च में अमेरिकी कंपनी ‘टी स्पेसमोबाइल’ के संचार उपग्रह को प्रक्षेपित करेगा, जो स्मार्टफोन पर अंतरिक्ष आधारित सेलुलर ब्रॉडबैंड नेटवर्क सेवाएं प्रदान करने की योजना बना रहा है। यहां जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘‘मार्च के लिए निर्धारित वाणिज्यिक एलवीएम3-एम5 मिशन, अमेरिका की ‘टी स्पेसमोबाइल’ के साथ अनुबंध के तहत ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 उपग्रहों को तैनात करेगा।’’ यह बयान विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अंतरिक्ष विभाग के कामकाज की समीक्षा के बाद आया है, जिसमें इसरो के निवर्तमान अध्यक्ष एस सोमनाथ, उनके उत्तराधिकारी वी नारायणन और भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (आईएन-स्पेस) के अध्यक्ष पवन कुमार गोयनका शामिल थे। नारायणन 14 जनवरी को सोमनाथ का स्थान लेंगे। उन्होंने बैठक के दौरान इसरो के वैश्विक विस्तार के लिए एक रणनीतिक खाका तैयार किया। बयान में कहा गया है कि नासा-इसरो का संयुक्त उपग्रह – निसार – और नेविगेशन उपग्रह एनवीएस-02 फरवरी में जीएसएलवी रॉकेट के दो अलग-अलग मिशनों के जरिए प्रक्षेपित किए जाएंगे। ‘गगनयान’ के तहत पहले ‘मानवरहित’ कक्षीय मिशन समेत महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के साथ, भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण प्रयास अभूतपूर्व उपलब्धियों के लिए तैयार हैं। इसरो ने तकनीकी कौशल और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रदर्शित करने वाले महत्वपूर्ण मिशनों की योजना बनाई है, जिसमें गगनयान के मानवरहित कक्षीय परीक्षण मिशन का प्रक्षेपण भी शामिल है। बयान में कहा गया है, ‘‘यह महत्वपूर्ण प्रयास भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम का मार्ग प्रशस्त करेगा, जिसका लक्ष्य चालक दल की सुरक्षा और पुनर्प्राप्ति के लिए प्रणालियों का परीक्षण तथा उन्हें मान्य करना है।’’ इसके अलावा, आने वाले महीनों में दो जीएसएलवी मिशन, एलवीएम3 का वाणिज्यिक प्रक्षेपण और निसार (एनआईएसएआर) उपग्रह पर बहुप्रतीक्षित इसरो-नासा सहयोग निर्धारित है। सिंह ने नवाचार को बढ़ावा देने में इसरो की प्रगति की सराहना की। उन्होंने देश की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को बढ़ावा देने में सार्वजनिक-निजी सहयोग के महत्व पर बल दिया।   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 50