MY SECRET NEWS

9 महीने के इंतजार के बाद सुनीता विलियम्स की वापसी तय, जानें पूरा शेड्यूल

वाशिंगटन भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विलमोर के लिए राहत की खबर है। 9 महीने से ISS (इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन) में फंसे दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने के लिए भेजा गया Crew Dragon स्पेसक्राफ्ट सफलतापूर्वक ISS से जुड़ चुका है। 16 मार्च को डॉकिंग प्रक्रिया पूरी हुई, और अब वे 19 मार्च को धरती पर वापसी करेंगे। 14 मार्च को लॉन्च हुए Crew-10 मिशन ने ISS तक पहुंचकर चार नए अंतरिक्ष यात्रियों को वहां पहुंचाया और वापसी के लिए रास्ता साफ कर दिया। सुनीता और विलमोर को सिर्फ एक हफ्ते बाद लौटना था, लेकिन बोइंग स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट की तकनीकी खराबी के चलते वे 9 महीने तक फंसे रह गए। अब NASA और SpaceX के इस मिशन के जरिए उनकी वापसी संभव हो रही है, और पूरी दुनिया इस ऐतिहासिक पल का इंतजार कर रही है। कैसे हुई Crew-10 की लॉन्चिंग? 14 मार्च को स्पेसएक्स ने Crew-10 मिशन लॉन्च किया था। इस मिशन के तहत फॉल्कन-9 रॉकेट से Crew Dragon कैप्सूल को अंतरिक्ष में भेजा गया। यह मिशन NASA के कमर्शियल क्रू प्रोग्राम के तहत भेजी गई 11वीं क्रू फ्लाइट थी। इस सफल लॉन्चिंग के बाद अब सुनीता विलियम्स की वतन वापसी की उम्मीदें मजबूत हो गई हैं। क्या होती है डॉकिंग प्रक्रिया? डॉकिंग वो प्रक्रिया होती है, जिसमें स्पेसक्राफ्ट अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से जुड़ता है। इसके पूरा होते ही अंतरिक्ष यात्री अपने स्पेससूट उतारते हैं और कार्गो को उतारने की तैयारी शुरू होती है। इसके बाद हैच खोलकर ISS में प्रवेश किया जाता है। NASA इस मौके पर Crew-10 के स्वागत समारोह का सीधा प्रसारण भी करेगा। सुनीता विलियम्स की वापसी पर डोनाल्ड ट्रंप की नजर सुनीता विलियम्स की वापसी पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी लगातार नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने टेस्ला के मालिक एलन मस्क से अनुरोध किया था कि इस मिशन को जल्द से जल्द पूरा किया जाए ताकि सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर को सुरक्षित वापस लाया जा सके। स्पेसक्राफ्ट में कौन-कौन आया ISS? इस मिशन के तहत ISS में चार नए एस्ट्रोनॉट पहुंचे हैं— NASA की कमांडर: ऐनी मैक्कलेन पायलट: अयर्स जापान की JAXA एजेंसी के अंतरिक्ष यात्री: ताकुया ओनिशी रूस के कोस्मोनॉट: किरिल पेसकोव ये स्पेसक्राफ्ट वापसी में अटलांटिक महासागर में लैंड कर सकता है। 9 महीने से ISS में फंसी थीं सुनीता विलियम्स सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर पिछले साल 5 जून को ISS गए थे। उन्हें एक हफ्ते बाद लौटना था, लेकिन बोइंग स्टारलाइनर में तकनीकी खराबी आ जाने की वजह से वे 9 महीने से अंतरिक्ष में फंसे हुए थे। अब Crew-10 मिशन उनकी वापसी सुनिश्चित करेगा। कैसा है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जहां 9 महीने से फंसी हैं सुनीता विलियम्स इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन वो अंतरिक्ष में मौजूद वो प्लेटफॉर्म है जहां अंतरिक्ष जाने वाली सवारियां उतरती हैं, यहां पर रहती हैं और विज्ञान के बड़-बड़े एक्सपेरिमेंट करती हैं. लेकिन धरती से यहां की जिंदगी एकदम ही अलग है. आप ये जानकर अचंभित हो सकते हैं कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में 24 घंटे में 16 बार सूर्योदय और 16 बार सूर्यास्त होता है. ऐसा क्यों होता है हम आपको आगे बताएंगे? भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स इसी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में 9 महीने से फंसी है और धरती वापसी का इंतजार कर रही हैं. अगर आप समझते हैं कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन नई दिल्ली रेलवे स्टेशन अथवा दिल्ली एयरपोर्ट जैसा कोई स्थायी बना हुआ ढांचा है तो आप गलत हैं. दरअसल इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन कोई स्थिर संरचना नहीं है, बल्कि सतत घुमते रहने वाला एक बड़ा अंतरिक्ष यान है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन लगातार पृथ्वी का चक्कर काटते रहता है. धरती से कितना दूर है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी से 403 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी के चक्कर लगाता रहता है. इस दौरान इसमें अंतरिक्ष यात्री मौजूद रहते हैं. यानी कि सुनीता विलियम्स पिछले 9 महीनों से लगातार पृथ्वी के चक्कर लगा रही है. इसका एक मतलब यह भी है कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन धरती से 403 किलोमीटर की दूरी पर है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की स्पीड लेकिन सबसे दंग करने वाला है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की स्पीड. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन 17500 मील प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा करता है. इसे किलोमीटर में कहें तो इसका मतलब ये होगा कि 28163 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी की परिक्रमा करता है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की साइज अमेरिकी स्पेस एंजेसी नासा के अनुसार इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का आकार पांच बेडरूम वाले घर या दो बोइंग 747 जेटलाइनर जितना है. यहां 6 लोगों की टीम और कुछ मेहमान रह सकते हैं. इस वक्त स्पेस स्टेशन में 8 लोग हैं. पृथ्वी पर अंतरिक्ष स्टेशन का वजन लगभग दस लाख पाउंड यानी कि 453592.37 किलोग्राम होगा. अगर इसके सभी छोर को मिलाकर इसका आकार मापा जाए तो इसकी लंबाई फुटबॉल मैदान के बराबर होगी. इस स्पेस स्टेशन में इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, जापान और यूरोप के प्रयोगशाला मॉड्यूल शामिल हैं. 90 घंटे का दिन और 90 घंटे की रात का राज इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में 24 घंटे में 16 सूर्योदय और 16 सूर्यास्त देखने का अनुभव होता है. इसे आप इस तरह से भी कह सकते हैं कि यहां 90 मिनट का दिन और 90 मिनट की रात होती है और ऐसा 24 घंटे में 16-16 बार होता है. ऐसा पृथ्वी के आकार इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की बहुत तेज गति के कारण संभव होता है. लगभग 28 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी की परिक्रमा करता है. इसमें उसे 90 मिनट लगते हैं. यानी कि एक चक्कर लगाने में 90 मिनट. स्पेस स्टेशन में क्रू 10 के सदस्यों ने रविवार को सुनीता विलियम्स समेत दूसरे अंतरिक्ष यात्रियों से मुलाकात की. इसका मतलब है कि 24 घंटे में ISS पृथ्वी के चारों ओर लगभग 16 चक्कर (24 घंटे ÷ 90 मिनट = 16) लगाता है. चूंकि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन हर 90 मिनट में एक चक्कर पूरा करता है, इसका मतलब है कि हर चक्कर के दौरान ये स्पेस स्टेशन लगभग 45 मिनट दिन (सूर्य की रोशनी में) और लगभग 45 मिनट रात (पृथ्वी की छाया में) रहता है. इसलिए हर … Read more

सुनीता विलियम्स का अंतरिक्ष स्टेशन से पृथ्वी वापसी का कार्यक्रम एक बार फिर स्थगित, अब मार्च के बाद लौटेंगी

नई दिल्ली भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से पृथ्वी वापसी का कार्यक्रम एक बार फिर स्थगित हो गया है। अब अगले वर्ष मार्च के बाद पृथ्वी पर लौटेंगी। नासा ने कहा है कि ISS में मौजूदा चालक दल स्वस्थ और सुरक्षित है। नासा ने घोषणा की कि स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान, जिसे सुनीता विलियम्स को वापस लाने का कार्य सौंपा गया था, अब मार्च के अंत तक पृथ्वी से लॉन्च नहीं होगा। आपको बता दें कि सुनीता ने जून में ISS में कदम रखा था। पहले यह तय हुआ कि उनकी वापसी फरवरी 2025 में होगी, लेकिन यह फिर एकबार टल गया है। बोइंग स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान में सुरक्षा संबंधी समस्याएं आने के कारण से वह अंतरिक्ष में फंसी हुई हैं। अंतरिक्ष में रहने का शरीर पर कितना असर अंतरिक्ष में लंबी अवधि तक रहना मानव शरीर पर कई प्रभाव डालता है। ऐसा इसलिए क्योंकि मानव शरीर पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण के तहत काम करने के लिए विकसित हुआ है। अंतरिक्ष में रहते हुए हड्डियों की घनत्व में कमी आती है, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। इसके अलावा, शरीर के मांसपेशियां भी घट जाती हैं। वहां वजन का बोझ नहीं होता। दिल, जिगर और आंखों जैसे अन्य अंगों में भी परिवर्तन होते हैं। हालांकि, अधिकांश बदलाव पृथ्वी पर लौटने के बाद और गुरुत्वाकर्षण में पुनः प्रशिक्षण लेने के बाद होते हैं। सुनीता विलियम्स का अंतरिक्ष यात्रा का अनुभव सुनीता विलियम्स एक अनुभवी अंतरिक्ष यात्री हैं और यह उनका तीसरा अंतरिक्ष मिशन है। अब तक उन्होंने अपने मिशनों के दौरान कुल 517 दिन से अधिक समय अंतरिक्ष में बिताया है। एक समय था जब उन्होंने सबसे अधिक समय तक अंतरिक्ष वॉक करने का रिकॉर्ड बनाया था। उन्होंने 51 घंटे से अधिक का समय अंतरिक्ष में बिताया था। जून से फंसी हैं सुनीता विलियम्स सुनीता विलियम्स जून में बोइंग स्टारलाइनर के माध्यम से ISS में पहुंचीं। यह मिशन पहले 7 से 10 दिन का निर्धारित किया गया था। लेकिन बोइंग स्टारलाइनर में सुरक्षा संबंधित तकनीकी खराबियों के कारण, उनका मिशन फरवरी 2025 तक बढ़ा दिया गया था। अब नासा ने सुनीता की वापसी के लिए अगले साल मार्च या अप्रैल की तारीख तय की है। नासा और स्पेसएक्स ने आगामी क्रू हैंडओवर के प्रबंधन के लिए कई विकल्पों पर विचार किया, जिसमें दूसरे ड्रैगन अंतरिक्ष यान का उपयोग और मैनिफेस्ट समायोजन शामिल थे। इसके बाद टीम ने निर्णय लिया कि मार्च के अंत में क्रू-10 लॉन्च करना सबसे अच्छा विकल्प है, ताकि नासा की आवश्यकताएं और 2025 के लिए अंतरिक्ष स्टेशन के उद्देश्यों को पूरा किया जा सके। अफवाहों का खंडन कुछ अफवाहें थीं कि सुनीता विलियम्स का वजन घट चुका है और वह अस्वस्थ हैं, लेकिन नासा ने इन अफवाहों का खंडन किया। सुनीता ने खुद बताया कि वह अंतरिक्ष स्टेशन पर विशेष उपकरणों का उपयोग करके वजन प्रशिक्षण कर रही हैं। इसके अलावा एक पूर्व मिशन के दौरान उन्होंने ISS पर अंतरिक्ष मैराथन भी दौड़ी थी। अंतरिक्ष स्टेशन पर क्रिसमस का जश्न अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर इस सप्ताह क्रिसमस का उत्सव मनाया गया, जिसमें नासा के अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बटच विलमोर ने एक अनोखा अंदाज अपनाया। क्रिसमस से पहले इन दोनों ने संता का रूप धारण किया और अंतरिक्ष में रहते हुए छुट्टियों के जश्न का आनंद लिया। क्रिसमस के मौके पर ISS पर उपहार भी पहुंचाए गए। सोमवार को स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान के माध्यम से अंतरिक्ष स्टेशन पर उपहार और अन्य आपूर्ति भेजी गईं। इनमें क्रिसमस के तोहफे और त्योहारों से जुड़ी अन्य सामग्री भी शामिल थी, जिससे ISS पर रह रहे अंतरिक्ष यात्री इस विशेष समय का जश्न मना सके। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 30

सुनीता ने खुद बताया अपना हाल, कहा-मेरा वजन कम हो रहा है, स्पेस स्टेशन में बिगड़ी तबीयत

नई दिल्ली भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स जून से ही अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में फंसी हुई हैं। बीते दिनों उनकी कुछ तस्वीरें सामने आईं जिनमें वह काफी पतली नजर आ रही थीं। इसे देखकर उनकी सेहत को लेकर लोगों को चिंता होने लगी। हालांकि, अब परेशान होने की जरूरत नहीं है। न्यू इंग्लैंड स्पोर्ट्स नेटवर्क (NESN) को दिए इंटरव्यू में उन्होंने खुद ही सारी बातें साफ कर दी हैं। सुनीता ने कहा, 'मुझे लगता है कि मेरा शरीर थोड़ा बदल गया है मगर वजन उतना ही है। ये बातें अफवाह हैं कि मेरा वजन कम हो रहा है। मैं बताना चाहती हूं कि मेरा वजन उतना ही है जितना यहां आने पर था।' सुनीता विलियम्स ने कहा कि माइक्रोग्रैविटी के चलते उनके शरीर में कुछ बदलाव हुए हैं। ऐसी स्थिति में शारीरिक तरल पदार्थ ऊपर की ओर बढ़ने लगते हैं। इससे अक्सर अंतरिक्ष यात्रियों के चेहरे फूल जाते हैं और उनके शरीर के निचले हिस्से दुबले दिखाई देने लगते हैं। लंबे समय तक चलने वाले अंतरिक्ष अभियानों का हिस्सा बनने की कुछ अनूठी चुनौतियां हैं। उन्होंने इसे समझाते हुए कहा, 'यह ठीक उसी तरह है जैसे आपका शरीर पर्यावरण के साथ तालमेल बिठाता है।' भारहीन वातावरण में रहने के शारीरिक प्रभाव पड़ते हैं। इसका सामना करने के लिए खास तरह की फिटनेस डाइट लेनी होती है। सुनीता विलियम्स ने बताईं चुनौतियां अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने इंटरव्यू में कहा, 'मेरी जांघें थोड़ी बड़ी हैं। मेरा शरीर थोड़ा अलग मालूम होता है। हड्डियों के घनत्व को बनाए रखने के लिए हम बहुत सारे उपाय करते हैं, कूल्हों और पैरों पर विशेष ध्यान देना होता है।' अगर अंतरिक्ष स्टेश में सुनीता के वर्कआउट की बात करें तो इसमें साइकिल चलाना, ट्रेडमिल दौड़ना और खास उपकरणों से प्रशिक्षण शामिल हैं। मालूम हो कि माइक्रोग्रैविटी में अंतरिक्ष यात्री हर महीने 1-2% हड्डी का द्रव्यमान खो देते हैं। विशेष रूप से रीढ़, कूल्हों और पैरों जैसी वजन सहने वाली हड्डियों पर असर पड़ता है। सवालों के जवाब देते हुए विलियम्स ने यह स्वीकार किया कि अस्थि घनत्व को पूरी तरह से रोकना चुनौती जरूर है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 48

अंतरिक्ष में ‘फंसीं’ सुनीता विलियम्स के लिए बढ़ा खतरा, ISS में आ गईं दरारें

वाशिंगटन इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) को लेकर NASA भी टेंशन में आ गया है। आईएसएस में पिछले पांच साल से हल्का लीकेज जारी था। हालांकि अब पता चला है कि कम से कम 50 जगहों पर लीकेज की समस्या है। इसके अलावा आईएसएस में दरारें भी आ रही हैं। नाआस की एक जांच रिपोर्ट लीक हो गई जिसमें पता चला कि आईएसएस पर खतरा मंडरा रहा है। साथ ही सुनीता विलियम्स समेत यहां के अंतरिक्षयात्रियों की भी जान पर बनी हुई है। रूस ने पृथ्वी की कक्षा में घूमते लैब में माइक्रो वाइब्रेशन का भी दावा किया है। नासा का कहना है कि स्पेस स्टेशन से बड़ी मात्रा में हवा निकल रही है जो कि खतरे की घंटी है। हालांकि यहां लोगों की जान बचाने और इसका कोई समाधान निकालने की कोशिश की जा रही है। जानकारी के मुताबिक आईएसएस में पिछले पांच साल से लीकेज की समस्या है सबसे पहले लीकेज स्पेस स्टेशन में मौजूद यवेज्दा मॉड्यूल से शुरू हुई थी जो कि डॉकिंग पोर्ट तक जाने के लिए एक सुरंग है। इस हिस्सा का कंट्रोल रूस के हाथ में है। हालांकि इस समस्या को लेकर असली वजह क्या है, इसपर नासा और रूसी एजेंसी Roscomos के बीच अभी सहमति नहीं बन पाई है।सीएनएन के मुताबिक नासा के अंतरिक्षयात्री बॉब कैबाना ने कहा कि स्पेस एजेंसी ने इस लीकेज को लेकर चिंता जाहिर की है। कैबाना ने कहा कि लीकेज को रोकने के लिए ऑपरेशन चलाना कुछ समय के लिए राहत दिला सकता है लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है। अमेरिका का कहना है कि यह सुरक्षित नहीं है। सबसे पहले 2019 में लीकेज का पता चला था। इसके बाद अप्रैल 2024 से रोज 1.7 किलो की दर से हवा लीक होने लगी। आम तौर पर आईएसएस में सात से 10 अंतरिक्षयात्री रहते हैं । रूस के इंजीनियर्स ने माइक्रो वाइब्रेशन की बात कही है। इस खतरे को टालने के लिए नासा ने कुछ कदम उठाए हैं। इसके अलावा यहां मौजूद अंतरिक्षयात्रियों को भी अतिरिक्त सावधानी रखने की सलाह दी गई है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 33

सुनीता विलियम्स, बुच विल्मोर अमेरिकी चुनाव में अंतरिक्ष से मतदान करेँगे

न्यूयॉर्क  महीनों से अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स के अमेरिकी चुनाव तक धरती पर लौटने के आसार कम हैं। इसके बावजूद भी वह देश का नेता चुनने के लिए तैयार हैं। खबर है कि विलियम्स अंतरिक्ष से ही अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालेंगी। खास बात है कि अमेरिका में स्पेस से अंतरिक्ष यात्रियों के लिए वोटिंग की प्रथा साल 1997 से ही चली आ रही है। ISS यानी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की कमांडर विलियम्स स्पेस से ही मतदान के लिए तैयार हैं। वह धरती की सतह से अनुमानित 400 किमी की दूरी से वोटिंग में शामिल होंगी। वह स्पेस के मतदाताओं के एक सिलेक्ट ग्रुप में शामिल होंगी। इतिहास में सबसे पहले वोट डालने वाले अमेरिकी डेविड वुल्फ हैं। वहीं, हाल ही में यह उपलब्धि हासिल करने वाली केट रुबिन्स थीं। उन्होंने 2020 के चुनाव में वोट डाला था। स्पेस से कैसे वोट डालेंगी सुनीता विलियम्स जिस तरह से विदेश में बैठे अमेरिकी नागरिक मतदान में शामिल होते हैं, उससे मिलती-जुलती प्रक्रिया से विलियम्स भी गुजरेंगी। हालांकि, इसमें कई और बातें भी शामिल हैं। सबसे पहले उन्हें एब्सेंटी बैलेट हासिल करने के लिए फेडरल पोस्ट कार्ड एप्लिकेशन पूरी करनी होगी। इसे हासिल करने के बाद वह ISS के कंप्युटर सिस्टम पर इलेक्ट्रॉनिक बैलेट भरेंगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह वोटिंग प्रक्रिया नासा के SCaN यानी सोफिस्टिकेटेड स्पेस कम्युनिकेशन एंड नेविगेशन पर निर्भर है। विलियम्स का बैलेट एजेंसी के नियर स्पेस नेटवर्क के जरिए आगे बढ़ेगा। इसके बाद नासा के न्यू मैक्सिको स्थित व्हाइट सैंड्स टेस्ट फैसिलिटी ग्राउंड एंटेना तक पहुंचेगा। बाद में इसे ह्यूस्टन स्थित जॉनसन स्पेस सेंटर के मिशन कंट्रोल सेंटर भेजा जाएगा। ह्यूस्टन से एनक्रिप्टेड बैलेट काउंटी क्लर्क के पास भेजा जाएगा। खास बात है कि सिर्फ विलियम्स और काउंटी क्लर्क के पास ही मतपत्र तक पहुंच होगी। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 30

SpaceX के क्रू ड्रैगन मिशन के जरिए सुनीता को धरती पर लाया जाएगा, इसमें फरवरी 2025 तक का समय लग सकता है!

वाशिंगटन 5 जुलाई 2024… जब एक खराब कैप्सूल या स्पेसक्राफ्ट से किसी तरह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पहुंचे सुनीता विलियम्स और बैरी बुच विलमोर. आठ दिन रुकने का प्लान था. लेकिन बोईंग के स्टारलाइनर कैप्सूल, जिससे ऊपर गए थे, वही खराब हो गया. वैसे नासा कह रहा है कि सितंबर में उन्हें धरती पर लाने का प्रयास किया जाएगा. लेकिन हो सकता है कि 8 दिन की यात्रा 8 महीने में बदल जाए. अगले साल फरवरी में ये लोग नीचे आएं. अब छोटे-छोटे प्वाइंट्स में समझिए पूरी कहानी… देरी क्यों हुई… सुनीता विलियम्स की वापसी में देरी हुई है बोईंग स्टारलाइनर में आई हीलियम लीक और थ्रस्टर्स की दिक्कत की वजह से. जल्द वापसी कब… सबकुछ सही रहा तो विलियम और विलमोर दोनों ही सितंबर में धरती पर वापस लाए जा सकते हैं. लेकिन नासा ने तारीख नहीं बताई है. इमरजेंसी प्लान क्या है…  अगर स्टारलाइनर सही नहीं होता है तो SpaceX के क्रू ड्रैगन मिशन के जरिए दोनों को धरती पर लाया जाएगा. लेकिन इसमें फरवरी 2025 तक का समय लग सकता है. अभी क्या स्थिति है… सुनीता और विलमोर दोनों ही स्पेस स्टेशन पर मौजूद हैं. स्वस्थ हैं. रिसर्च कर रहे हैं. बाकी एस्ट्रोनॉट्स की अलग-अलग कामों में मदद कर रहे हैं. क्या स्पेस स्टेशन में इतनी जगह है कि दोनों छह महीने और बिता सकें? सुनीता और बुच विलमोर को किसी बात का खतरा नहीं है. ये दोनों आराम से अगले छह महीने तक स्पेस स्टेशन पर बिता सकते हैं. इस समय स्पेस स्टेशन पर सात एस्ट्रोनॉट्स मौजूद हैं. ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि एस्ट्रोनॉट्स को अपनी यात्रा बढ़ानी पड़ी है. हालांकि सुनीता की ये पहली अप्रत्याशित लंबा स्टे होगा स्टेशन पर. सितंबर में कैसे आएंगे सुनीता और विलमोर धरती पर? इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर एक स्पेसक्राफ्ट सितंबर में जाने वाला है. इसमें भारतीय एस्ट्रोनॉट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला समेत तीन और एस्ट्रोनॉट्स जाएंगे. ये लोग वहां 14 दिन रुकेंगे. एक्सिओम-4 मिशन के तहत स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के जरिए. पूरी संभावना है कि जब ये कैप्सूल वापस आए तो उसमें सुनीता और बुच धरती लौट आएं. आगे का प्लान नासा ने शेयर नहीं किया है. क्या स्पेस स्टेशन पर इतने लोग रह पाएंगे? स्पेस स्टेशन पर इस समय सात एस्ट्रोनॉट्स मौजूद हैं. इसमें सुनीता और विलमोर भी हैं. स्पेस स्टेशन इतना बड़ा है कि यह अभी और एस्ट्रोनॉट्स को संभाल सकता है. सितंबर में जब भारतीय एस्ट्रोनॉट ग्रुप कैप्टन शुक्ला के साथ तीन और लोग जाएंगे. उसे लेकर लोगों में चिंता है. पर डरने की जरूरत नहीं है. स्पेस स्टेशन में छह बेडरूम से ज्यादा की जगह है. इसमें छह स्लीपिंग क्वार्टर हैं. दो बाथरूम है. एक जिम है. जिस स्पेसक्राफ्ट से एस्ट्रोनॉट्स जाते हैं. वो इससे जुड़े रहते हैं. अधिक यात्री होने पर उसमें भी सोया जा सकता है. हाल ही में कार्गो सप्लाई गई है. ताकि एस्ट्रोनॉट्स को खाने-पीने की कमी न हो. सुनीता के लौटते समय स्पेसक्राफ्ट में स्टेशन का कचरा भी साथ आएगा. इसे वायुमंडल में छोड़ देते है, जो जलकर खत्म हो जाता है. पिछले हफ्ते ही नॉर्थरोप ग्रुम्मन का सिग्नस स्पेसक्राफ्ट स्पेस स्टेशन से जुड़ा है. यह अपने साथ 3700 किलोग्राम कार्गो लेकर गया है. जिसमें खाना समेत कई अन्य वस्तुएं भी हैं. इसे अभी तक खोला भी नहीं गया है. यह पैक्ड रखा है. ये जनवरी तक स्पेस स्टेशन पर रहेगा. इसके जरिए वापस नहीं ला सकते.   अंतरिक्ष में इतना लंबा समय बिताना ठीक रहता है क्या? अंतरिक्ष में 8 से 10 महीने बिताना अच्छी बात नहीं है. लेकिन कई एस्ट्रोनॉट्स इससे ज्यादा समय स्पेस स्टेशन पर बिता चुके हैं. सबसे ज्यादा दिन अंतरिक्ष में बिताने का रिकॉर्ड रूसी कॉस्मोनॉट वलेरी पोल्याकोव के पास है. वो 438 दिन मीर स्पेस स्टेशन पर रहे थे. जनवरी 1994 से मार्च 1995 तक. सुनीता और विलमोर इस बार करीब 250 दिन बिताकर स्पेस स्टेशन से वापस लौटेंगे. विलियम इससे पहले 2006 में 196 दिन बिता चुकी हैं. इतने दिन स्पेस में रुकने पर क्या होता है शरीर पर असर? लंबे समय के तक स्पेस स्टेशन पर रुकते ही नासा एस्ट्रोनॉट के शरीर पर पड़ने वाले असर की स्टडी करने लगता है. नासा का एक प्रोग्राम चल रहा है, जिसमें 3.5 महीने रुकने पर शरीर पर क्या असर होता है. आठ महीने रुकने पर और उससे ज्यादा रुकने पर. इस दौरान शरीर की मांसपेशियां कमजोर होती है. हड्डियों का घनत्व कम होता है. ज्यादा समय तक रुकने पर दिल संबंधी बीमारियों का भी खतरा रहता है.   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 48

18 अगस्त तक सुनीता विलियम्स की वापसी जरूरी, नासा 18 अगस्त को एक नया मिशन लॉन्च करने वाला है

वॉशिंगटन नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर स्पेस में फंसे हुए हैं। दोनों अंतरिक्ष यात्री बोइंग स्टारलाइनर की पहली उड़ान की टेस्टिंग के लिए रवाना हुए थे। लेकिन उनके अंतरिक्ष यान में खराबी आ गई, जिस कारण वह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में ही फंसे हैं। अब नासा के पास उनकी वापसी के लिए 11दिनों का समय है। न्यूयॉर्क टाइम्स में रिपोर्ट आई है कि नासा स्पेस स्टेशन में संभावित भीड़ पर नजर रख रहा है। दरअसल अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा 18 अगस्त को 'क्रू-9' मिशन लॉन्च करने वाला है। इस मिशन के जरिए चार अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशन स्पेस स्टेशन पर जाएंगे। हालांकि स्पेस स्टेशन का लक्ष्य एक समय में तीन से छह अंतरिक्ष यात्रियों को रखना है। एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक जब तक विलियम्स और विल्मोर सुरक्षित वापस नहीं आ जाते, तब तक मिशन में देरी हो सकती है या इसे रद्द किया जा सकता है। नासा अधिकारियों का कहना है कि अगस्त में बढ़ा हुआ ट्रैफिक देखा जाएगा। वहीं एक अन्य रिपोर्ट कहती है कि सकारात्मक और प्रगति के संकेद दिख रहे हैं। क्यों जरूरी है वापसी नासा के अंतरिक्ष संचालन मिशन निदेशालय के एसोसिएट प्रशासक केन बोवर्सॉक्स ने कहा, 'हमारे पास कभी इतने सारे वाहन और इतने विकल्प नहीं थे। यह हमारे जीवन को जटिल बना रहा है। लेकिन वास्तव में अच्छे तरीके से।' बोइंग स्टारलाइनर में लॉन्चिंग के बाद हीलियम लीक देखा था। साथ ही इसके कई थ्रस्टर्स ने काम करना बंद कर दिया। खराबियों के बावजूद भी यह दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में पहुंचाने में कामयाब रहा। वर्तमान में यह स्पेस स्टेशन के साथ जुड़ा हुआ है। नासा के लिए इसकी वापसी जरूरी है, तभी दूसरा अंतरिक्ष यान स्पेस स्टेशन के साथ जुड़ सकेगा। वापसी की नहीं तय हुई तारीख नासा में आईएसएस के प्रोग्राम मैनेजर डाना वीगेल ने कहा, 'हमारी योजना डॉकिंग पोर्ट को खाली करने की है। हमें स्टारलाइनर को पहले हटाना पड़ेगा।' सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर 6 जून से अंतरिक्ष में हैं। स्पेसक्राफ्ट में खराबी का पता लगाने के लिए जमीन पर नासा और बोइंग काम कर रहे हैं। लेकिन अभी भी दोनों की वापसी की तारीख तय नहीं हो पाई है। न्यूज एजेंसी एपी की रिपोर्ट के मुताबिक नासा के वाणिज्य क्रू कार्यक्रम मैनेजर स्टीव स्टीच ने कहा कि मिशन प्रबंधन वापसी की तारीख की घोषणा करने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा, 'लक्ष्य दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाना है। जब हम तैयार होंगे तब घर आएंगे। बैकअप के विकल्पों की समीक्षा हो रही है। नासा के पास हमेशा इमरजेंसी के विकल्प होते हैं।' Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 53