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नयी दिल्ली
सिडनी, मेलबर्न और कैनबरा शहरों में आयोजित प्रशिक्षण शिविरों में प्रशिक्षित ऑस्ट्रेलियाई खो खो टीम ने अगले महीने होने वाले विश्वकप के लिए कमर कस ली हैं। ऑस्ट्रेलियाई लोग खो-खो को ‘को-को’ कहते हैं। इसके लिए बस कुछ सटीक उच्चारण ( गूगलिंग) और सिडनी, मेलबर्न और कैनबरा शहरों में प्रशिक्षण सत्र आयोजित किये जाने के बाद इस खेल को लोगों ने बहुत पसंद किया। अब ऑस्ट्रेलियाई टीम 13 से 19 जनवरी 2025 के बीच दिल्ली में होने वाले पहले विश्व कप का हिस्सा बनने के लिए कमर कस रहे हैं।

ऑस्ट्रेलिया इस टूर्नामेंट में पुरुष और महिला दोनों श्रेणियों में भाग ले रहा है। 15 खिलाड़ियों वाली प्रत्येक टीम में कुछ भारतीयों के अलावा, ऑस्ट्रेलियाई मूल के छह पुरुष और आठ महिला खिलाड़ी हैं।

टीम के एक सदस्य गस डॉडल ने भारत आने और इतिहास का हिस्सा बनने पर खुशी और उत्साह व्यक्त करते हुए कहा, “एक महान खेल राष्ट्र के रूप में ऑस्ट्रेलिया का प्रतिनिधित्व करना सम्मान की बात है। हम हमेशा ऐसे खेलों को आजमाने के लिए तैयार रहते हैं जिन्हें हमने पहले नहीं खेला है और मेरे लिए यह एक अद्भुत अवसर है कि मैं ऑस्ट्रेलिया के खेल मूल्यों जैसे निष्पक्ष खेल, प्रतिस्पर्धा और दृढ़ता को विश्व कप में ला पाऊं। मैंने पाया है कि यह बहुत तेज और कठिन खेल है। साथ ही, यह बहुत मजेदार है और इस करण मैं इस ग्लोबल स्पर्धा में खेलने के लिए बहुत उत्साहित हूं।”

उन्होंने कहा, “हमें खेल प्रेमियों से बहुत समर्थन मिल रहा है। वे सभी यह जानकर बहुत उत्साहित हैं कि ऑस्ट्रेलिया की टीम विश्व कप में है। जो लोग खो-खो के बारे में जानते हैं, उनके लिए यह बहुत बढ़िया है और जो लोग इस खेल के बारे में जान रहे हैं, वे सभी यह जानकर बहुत उत्साहित और गौरवान्वित हैं कि ऑस्ट्रेलिया की टीम है।” एक दशक से भी अधिक समय से टीम जुड़े अभिन्न अंग ओजस कुलकर्णी कहा, “इस सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण खेल में भाग लेने के सामाजिक और भावनात्मक लाभ शारीरिक स्वास्थ्य से कहीं बढ़कर हैं। यह समावेशिता, विविधता के प्रति सम्मान और विभिन्न समुदायों के बीच आपसी समझ को बढ़ावा देता है।”

 

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