लखनऊ
गेहूं की सरकारी खरीद की धीमी रफ्तार से परेशान सरकार अब किसानों के घर पर दस्तक देगी। इसके लिए स्थायी केंद्रों के साथ मोबाइल क्रय केंद्र की सुविधा भी शुरू कर दी गई है। ये मोबाइल केंद्र गांव-गांव जाकर किसान से सीधी खरीद करेंगे। यह व्यवस्था विशेष तौर पर उन क्षेत्रों के लिए की जा रही है, जहां के स्थायी केंद्रों पर पूर्व के वर्षों में किसानों की आमद कम रही है।
17 जनवरी से शुरू हुई गेहूं खरीद
प्रदेश में गेहूूं खरीद की प्रक्रिया बीते 17 जनवरी से शुरू हुई है। 15 जून तक 2425 रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर होने वाली इस खरीद के लिए 6500 केंद्र बनाए जाने हैं, जिनमें से 5690 केंद्र का संचालन शुरू हो चुका है, परंतु खरीद की गति नहीं बढ़ रही है।
60 लाख टन गेहूं खरीद का रखा गया लक्ष्य
इस बार प्रदेश में 60 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा गया है और बुधवार शाम पांच बजे तक पूरे प्रदेश में सरकारी क्रय केंद्रों पर 2903 किसानों से 17.18 हजार मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हो सकी थी। वर्तमान स्थिति के हिसाब से लक्ष्य से बहुत पीछे रह जाने की आशंका खड़ी हो गई है।
मोबाइल क्रय केंद्रों का उपाय निकला
ऐसे में मोबाइल क्रय केंद्रों का उपाय आजमाया जा रहा है। इसके लिए डीएम से उनके जिलों के ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों को चिन्हित कराया जा रहा है, जहां गेहूं के भाव अपेक्षाकृत कम होते हैं या फिर जहां से स्थायी केंद्रों तक आने में किसानों को समस्या होती है।
किसानों से नहीं लिया जाएगा अतिरिक्त शुल्क
ऐसी जगहों पर गेहूं खरीद की मात्रा बढ़ाने के लिए डीएम अपने जिले में खोले गए क्रय केंद्रों में से किसी को भी मोबाइल क्रय केंद्र के रूप में अधिकृत कर सकते हैं। कुछ जिलों में इन मोबाइल केंद्राें की शुरुआत भी कर दी गई है। इनके माध्यम के खरीद के बाद उपज के परिवहन को लेकर किसानों से कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा।
खरीद की हो रही निगरानी
मोबाइल क्रय केंद्रों से गेहूं खरीद की निगरानी का जिम्मा संबंधित डीएम पर होगा। इन केंद्रोें और स्थायी केंद्रों में उपज की ढुलाई के लिए लगाए गए वाहनों में ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) लगाया गया है, जिसके माध्यम से उनकी ट्रैकिंग की जा रही है।

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