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नई दिल्ली
कहानी एक ऐसी महिला की है, जिनका आधा शरीर चलना बंद हो चुका है। इतना सितम कम था कि उनका पति भी इलाज का बिल ज्यादा होने के बाद उन्हें अस्पताल में ही छोड़कर चला गया। अब नौबत यहां तक आ गई है कि अस्पताल ने उनके इलाज और देखभाल में असमर्थता जाहिर कर दी है। फिलहाल, मामला कोर्ट पहुंच गया है। मामला पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता का है।

पूरा मामला समझें
मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि महिला को पति ने सितंबर 2021 में अस्पताल में भर्ती कराया था। तब उन्हें सिर में चोट लगी थी। महिला की न्यूरोसर्जरी समेत कई सर्जरी हुईं। अंत में वह बच तो गईं, लेकिन शरीर ने उनका साथ देना बंद कर दिया। स्थिर हालत होने के बाद भी पति जयप्रकाश गुप्ता ने महिला को घर ले जाने से इनकार कर दिया।

क्या बोला पति
गुप्ता की तरफ से कोई जवाब नहीं मिले के बाद अस्पताल ने बीते साल मई में पश्चिम बंगाल क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट रेगुलेटरी कमीशन का रुख किया। इसके बाद अस्पताल ने अदालत में जाने का फैसला किया। अब जब कोर्ट में जस्टिस अमृता सिन्हा ने गुप्ता से कारण पूछा, तो उसने कहा कि वह एक दुकान चलाता था और उसके पास पत्नी का ख्याल रखने का साधन नहीं है। अस्पताल की तरफ से पेश हुए वकील का कहना है कि अस्पताल ने महिला का इलाज किया और कई सर्जरी की। साथ ही उनका 6 लाख रुपये का इंश्योरेंस काफी समय पहले खत्म हो चुका है। वकील का कहना था कि बकाया राशि 1 करोड़ रुपये है। वकील ने यह भी कहा है कि गुप्ता ने एक 'वैकल्पिक परिवार' शुरू कर लिया है।

जस्टिस सिन्हा ने एडवोकेट जनरल को 9 अप्रैल को पेश होने के निर्देश दिए हैं। साथ ही गुप्ता को भी हाजिर रहने के लिए कहा है। जस्टिस सिन्हा ने इस दौरान पारिवारिक मुद्दों पर कोई बात नहीं की। जबकि, सरकारी वकील ने कहा कि राज्यों के पास मुफ्त सेवाओं वाले शेल्टर होते हैं, लेकिन सरकारी शेल्टर के कर्मचारी बीमारी मरीजों के मामले में जानकार नहीं होते हैं।

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