नई दिल्ली
देश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के रेगुलर कोर्सेज में छात्र छात्राओं को साल में दो बार एडमिशन लेने का मौका मिलेगा। यूजीसी ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को साल में दो मर्तबा एडमिशन लेने की अनुमति दे दी है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उच्च शिक्षा संस्थानों में शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से ही यह सुविधा शुरू हो जाएगी। कुमार ने बताया कि यह निर्णय 5 मई को आयोजित यूजीसी की बैठक के दौरान लिया गया था। वर्तमान में विश्वविद्यालय और कॉलेज हर साल जुलाई-अगस्त में रेगुलर कोर्सेज में छात्रों को एडमिशन देते हैं और भारत में सभी उच्च शिक्षा संस्थानों में जुलाई-अगस्त से सेशन शुरू होता है और मई-जून में समाप्त होता है।
पिछले साल, यूजीसी ने शैक्षणिक वर्ष के दौरान जनवरी और जुलाई में दो बार ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग (ओडीएल) और ऑनलाइन मोड में छात्रों को दाखिला देने की अनुमति दी थी। कुमार ने कहा कि पिछले वर्ष के फैसले का फायदा लगभग पांच लाख स्टूडेंट्स को मिला। उन्होंने एक साल का इंतजार नहीं कर पड़ा। उन्हें अकादमिक वर्ष के पूछ में ही अपने डिग्री कोर्स में शामिल होने में मदद मिली।
उन्होंने कहा, “यूजीसी द्वारा ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग (ओडीएल) और ऑनलाइन मोड के लिए एक वर्ष में दो बार एडमिशन लेने की अनुमति देने के बाद यूजीसी पोर्टल पर उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, जुलाई 2022 में कुल 19,73,056 छात्रों का एडमिशन हुआ और जनवरी 2023 में ओडीएल और ऑनलाइन कोर्सेज अतिरिक्त 4,28,854 छात्र शामिल हुए।” यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि इस शानदार रिजल्ट को देखते हुए काउंसिल ने रेगुलर कोर्सेज के लिए भी साल में दो बार एडमिशन (जनवरी-फरवरी और जुलाई -अगस्त) लिए जाने की अनुमति देने का निर्णय लिया है।
कुमार ने कहा, 'साल में दो बार यूनिवर्सिटी एडमिशन होने से उन स्टूडेंटस् को फायदा होगा जिनके 12वीं बोर्ड रिजल्ट देरी से घोषित हुए हैं या फिर हेल्थ या निजी समस्याओं के चलते वह एग्जाम में नहीं बैठ सका था। दो बार एडमिशन होने से इंडस्ट्री साल में दो बार कैंपस प्लेसमेंट के लिए आएगी, इससे संस्थान में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
कुमार ने कहा कि दुनिया भर के विश्वविद्यालय पहले से ही द्विवार्षिक (छह छह माह में) एडमिशन सिस्टम का पालन कर रहे हैं। यदि भारतीय उच्च शिक्षा संस्थान द्विवार्षिक एडमिशन प्रक्रिया को अपनाते हैं, तो हमारे उच्च शिक्षा संस्थान अपने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और छात्र आदान-प्रदान को बढ़ा सकते हैं। इससे हमारी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होगा, और हम वैश्विक शैक्षिक मानकों के अनुरूप होंगे।"
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