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दमोह
देशभर की राजनीति में इन दिनों बंटेंगे तो कंटेंगे को लेकर सुर्खियां बनी हुई हैं। मप्र के सागर में सांवरे सरकार पंडित विपिन बिहारी ने कहा कि हमें जातियों में बांटने का षडयंत्र रचा जा रहा है। यह गंदी राजनीति है। हमने कलाम को हृदय से लगाया है, लेकिन कसाब को कभी स्वीकार नहीं करेंगे। कुंभ में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर उन्होंने कहा कि बागेश्वरधाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री की इस मांग का मैं समर्थन करता हूं। कुंभ में गैर सनातनियों का प्रवेश नहीं होना चाहिए।

आतकंवादी को स्वीकार नहीं किया जाएगा

दरअसल, बुंदेलखंड के प्रसिद्ध कथावाचक और सांवरे सरकार के नाम से प्रसिद्ध पंडित विपिन बिहारी महाराज ने दमोह के नरसिंह मंदिर परिसर में कथा से पूर्व मीडिया से बात की है। उन्होंने कहा कि कुंभ में गैर सनातनियों का प्रवेश नहीं देना चाहिए। बंटेंगे तो कंटेंगे के सवाल पर उनका स्पष्ट कहना है कि हमने कलाम को हृदय लगाया, लेकिन कसाब को कभी स्वीकार नहीं करेंगे। हमने रसखान को हृदय से लगाया, लेकिन किसी आतंकवादी को कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा।

हमारे अंदर जातिवाद का जहर घोला जा रहा

उन्होंने कहा कि यह तो निश्चित है कि हमारे भीतर जातिवाद का जहर घोला जा रहा है, यह बहुत गंदी सोच है, हमें कबीलों में बांटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि कथा में अलग-अलग जातियों के लोगों को हाथ उठवाए, फिर हिंदुओं के हाथ उठवाए तो सभी के हाथ उठ गए। उन्होंने कहा कि यही बात मैं कहना चाहता हूं। हमें एक होकर ही रहना होगा।

कुंभ में गैर सनातनियों का प्रवेश वर्जित होना चाहिए

पंडित विपिन बिहारी ने पूछा गया कि बागेश्वरधाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने मांग की है कि कुंभ में हिंदुओं के अलावा गैर सनातनियों का प्रवेश वर्जित होना चाहिए। मैं ही नहीं हर सनातनी और हिंदू व्यक्ति इस मांग का समर्थन करेगा।

हमने अपने-अपने भगवान और महापुरूष बांट लिए!

विपिन बिहारी महाराज ने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए कहा कि हम लोगों ने अपने-अपने भगवान बांट लिए, भक्त बांट लिए हैं। हर समाज का अपना भगवान और अपना भक्त है। हम समझते हैं कि हम संगठित हो रहे हैं लेकिन असल में हम बंट रहे हैं। जबकि हम सभी सनातन धर्मी हैं। हमें सनातन का झंडा उठाना चाहिए।

सनातन का 'बोर्ड' हर दिल में होना चाहिए

देश में सनातन बोर्ड बनाने की बात चल रही है, सनातन बोर्ड बन रहा है। मैं चाहता हूं कि सनातन का बोर्ड हर दिल में लग जाए। कौन नहीं चाहता अपने धर्म का विस्तार हो। बुंदेलखंडी में कथा को लेकर कहा कि कोई भी कथावाचक दूसरे प्रदेश में जाता है तो वह अपनी बोली को बोलकर खुद को सम्मानित करता है। हमारी बुंदेलखंडी में क्या परेशानी है। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंडी भाषा में अपनापन है। मैं चाहता हूं, विश्व के कोने-कोने में बुंदेलखंडी भाषा पहुंचनी चाहिए।

एकता और सद्भाव का ठेका क्या हिंदुओं ने ही ले रखा है?

उन्होंने कहा कि देश में हिन्दु-मुस्लिम और अन्य धर्मों में एकता का ठेका क्या केवल हिंदुओं के ही जिम्मे हैं। ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती है, दोनों हाथ से बजती हैं। लेकिन किसी आतंकवादी को हृदय से नहीं लगाएंगे। हम गुण के ग्राहक हैं, हम प्रेम के संदेशवाहक हैं, तुम हमसे जितना प्रेम करोगे, उससे दसगुना प्रेम हम वापस लौटाएंगे।

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