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बांधवगढ़ में हाथियों की मौत पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार का डाॅ मोहन यादव पर कड़ा प्रहार

Leader of Opposition Umang Singhar took the government to task over the death of elephants in Bandhavgarh. Umang Singhar News: मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ में 10 हाथियों की मौत के मामले को लेकर विपक्ष के नेता उमंग सिंघार ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार इस घटना पर चुप क्यों है. मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ में 10 हाथियों की मौत के मामले को लेकर विपक्ष के नेता उमंग सिंघार ने निशाना साधा है. उन्होंने एमपी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार इस घटना पर चुप क्यों है, जबकि हम हाथियों की भगवान गणेश के रूप में पूजा करते हैं. सरकार को इस मामले में तत्काल संज्ञान लेना चाहिए. उमंग सिंघार ने कहा कि एक तरफ हम हाथियों की यानी गणेशजी की पूजा कर रहे हैं और दूसरी तरफ सरकार हाथियों की सुरक्षा नहीं कर पा रहे हैं और वहीं वन मंत्री वोट मांग रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि वन्य प्राणियों के साथ में आदिवासियों का गहरा नाता और ताना-बना है. इस घटना में आदिवासियों का कोई दोष नहीं है. जल जंगल जमीन आदिवासियों का अधिकार है और सरकार को आदिवासियों की सुरक्षा के साथ-साथ वन्य प्राणियों की भी सुरक्षा करनी चाहिए. करीब 4 साल से हाथी झारखंड और कर्नाटक से आते रहे हैं. इस बीच में क्या सरकार ने उन वन समितियां से कोई चर्चा की या उन आदिवासियों से चर्चा की या उनके साथ कोई बैठक की या हाथियों के विस्थापन की बात कही. हाथियों का किस तरह से विस्थापन करना है. उनकी सुरक्षा को लेकर सरकार ने किसी भी तरह की कोई प्लान नहीं बनाया. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार को तत्काल इस मामले में संज्ञान लेते हुए वन्य समितियों के साथ और आदिवासियों के साथ चर्चा करनी चाहिए. नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इल्जाम लगाते हुए कहा कि सरकार वन्य प्राणी और आदिवासी विरोधी सरकार है. सरकार को संज्ञान लेते हुए उन लोगों पर कार्रवाई करनी चाहिए फिर चाहे वह अधिकारी हो या उसका कुप्रबंध हो. इस मामले में आदिवासियों की कोई जिम्मेदार नहीं है. सामाजिक कार्यकर्ता अजय दुबे ने भी हाथियों की मौत पर सवाल खड़े किए हैं.उमरिया-बांधवगढ टाइगर रिजर्व के खितौली परिक्षेत्र के सलखनियां के जंगल में 10 हाथियों की मौत हुई है. 10 हाथियों की मौत के बाद बांधवगढ पार्क प्रबंधन अपनी इस गलती को छिपाने में जुटा है. किसानों की कोदो की फसल को मौत का जिम्मेदार मानते हुए फसल को नष्ट कराया. NTCA दिल्ली की टीम पूरे मामले की जांच कर रही है. हाथियों के पीएम रिपोर्ट आने के बाद खुलासा होगा. Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 98

अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत रायपुर- दुर्ग रेलवे स्टेशन का हो रहा कायाकल्प

रायपुर भारतीय रेल देश की लाइफ लाइन है। रेलवे लगातार यात्री सेवा को सुलभ करने के लिए नवीनतम तकनीक, सुविधाओं और बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाने पर काम कर रही है। वर्तमान में रेल मंत्रालय के महत्वाकांक्षी परियोजना के अंतर्गत यात्रियों को विश्वस्तरीय सुविधा प्रदान करने हेतु "अमृत भारत स्टेशन" योजना के अंतर्गत स्टेशनों का कायाकल्प किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे रायपुर मंडल के 15 स्टेशनों का अमृत भारत स्टेशन योजना के अंतर्गत कायाकल्प किया जा रहा है। (1) भाटापारा, (2) भिलाई पावर हाउस, (3) तिल्दा-नेवरा, (4) बिल्हा, (5) भिलाई, (6) बालोद, (7) दल्ली राजहरा, (8) भानुप्रतापपुर, (9) हथबंद, (10) सरोना, (11) मरोदा, (12) मंदिर हसौद, (13) उरकुरा, (14) निपनिया, (15) भिलाई नगर, रिडेवलपमेंट आॅफ मेजर स्टेशन में (1) रायपुर, (02) दुर्ग स्टेशनों का विकास किया जा रहा है। मेजर रिडेवलपमेंट किया जा रहा हैं।रायपुर स्टेशन का मेजर री डेवलपमेंट लगभग 482.48 करोड़ है। इन योजनाओ का मकसद आधुनिक सुविधाओं की उपलब्धता के साथ मौजूदा सुविधाओं के अपग्रेडेशन पर भी काम करना है। चरणबद्ध तरीके से इन कार्यों को पूर्ण किया जाएगा। इसी कड़ी में रायपुर रेलवे स्टेशन जो छत्तीसगढ़ का महत्वपूर्ण जिला एवं राजधानी होने के कारण महत्वपूर्ण स्टेशन है। व्यापारिक केंद्र एवं पर्यटन स्थल है जहाँ पर वर्ष भर पड़ोसी राज्य से यात्रियों का आना झ्रजाना लगा रहता है। इसी को ध्यान में रखकर रायपुर स्टेशन को विश्वस्तरीय सुविधाएं और यात्रियों को बेहतर यात्रा अनुभव प्रदान करने के लक्ष्य के साथ विकसित किया जा रहा है। रेलवे स्टेशन के आसपास अच्छी व्यवस्थाएं होने से आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा। रायपुर स्टेशन को यात्रियों के अनुकूल सर्वसुविधायुक्त बनाने हेतु भव्य प्रवेश एवं विकास द्वार, यात्रियों के आवागमन एवं निकास के लिए सुगम पथ ,10 टिकट बुकिंग विंडो, बेहतरीन प्लेटफार्म सरफेस, 300 किलोवाट पावर सोलर सोलर पैनल युक्त ऊर्जा संरक्षण, प्रत्येक प्लेटफार्म पर 26 कोच इंडिकेशन बोर्ड, 74 टॉयलेट, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, 6 मीटर चौड़े तीन फुट ओवर ब्रिज 40 वाटर कूलर 42 लिफ्ट, 3512 स्क्वायर मीटर पार्सल एरिया, 12075 स्क्वायर मीटर प्लेटफार्म शेल्टर, 10 यात्री आरक्षण सुविधा काउंटर, 16 एस्केलेटर लगाए जाने हैं। रिजर्व लॉज, मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्टेशन हब, कोनकोर्स एरिया, बस्तर छत्तीसगढ़ी आर्ट से सुसज्जित होगा रायपुर स्टेशन विश्व स्तरीय यात्री सुविधाओं से उन्नत होगा रायपुर स्टेशन। वर्तमान समय में रायपुर स्टेशन पर लगभग 50 हजार यात्रियों का आवागमन होता है। भविष्य में यात्रियों की संख्या और बढ़ाने को देखते हुए स्टेशन डेवलपमेंट में यात्री सुविधा उन्नत की जा रही है। ये सभी कार्य योजनाबद्ध तरीके से किए जाएंगे। रायपुर स्टेशन पर किए जा रहे पुनर्विकास कार्यों से यात्रियों के लिये आरामदायक व सुलभ यात्रा के साथ ही साथ उन्हें नया यात्रा अनुभव प्राप्त होगा तथा संस्कृति, पर्यटन और व्यापार में भी व्यापक विस्तार होगा। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे यात्री सुविधा एवं विकास के लिए प्रतिबद्ध है तथा भविष्य में भी उन्नत और आधुनिक यात्री सुविधा के कार्य जारी रहेंगे। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 45

पराली जलाने पर SC सख्त, पराली जलाने पर CQM से मांगा जवाब

लुधियाना बीते 24 सितंबर को सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पराली जलाने के मुद्दे पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से जवाब तलब किया कि पराली जलाना फिर से क्यों शुरू हो गया? सर्वोच्च न्यायालय ने पूछा कि ‘सीएक्यूएम एक्ट की धारा-14 के तहत जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कदम उठाया गया है।’ अदालत ने पंजाब और हरियाणा की सरकारों को भी फटकार लगाते हुए कहा कि दोनों राज्यों ने पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की है। दरअसल, सीएक्यूएम की धारा के तहत पराली जलाने पर अधिकारियों, कर्मचारियों को सजा का भी प्रावधान है। सवाल है कि क्या अकारण सर्वोच्च न्यायालय को पराली जलाने पर एक जिम्मेदार संस्थान को फटकार लगानी पड़ी! पंजाब में पराली जलाने के मामले आठ से 93 तक पहुंच गए क्या सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद पराली प्रबंधन विफल हो चुका है? क्या कृषक जन-मन अब भी पूरी तरह से पराली प्रबंधन पर पुरानी परिपाटी से चल रहा है? जाहिर है, कुछ न कुछ कुप्रबंधित जरूर है। सितंबर माह के आंकड़ों के मुताबिक पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश से पराली जलाने के कुल 75 मामले उजागर हो चुके हैं। हैरत की बात है कि 15-25 सितंबर के बीच पिछले वर्ष की तुलना में हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं पांच से ग्यारह फीसद तक बढ़ी हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष इसी अवधि में जहां हरियाणा में पराली जलाने के तेरह मामले पाए गए थे, इस बार बढ़ कर 70 हो गए। इसी तरह पंजाब में पराली जलाने के मामले आठ से 93 तक पहुंच गए। हरियाणा में करनाल, कुरुक्षेत्र और यमुनानगर सर्वाधिक प्रभावित जनपद हैं। वहां कुल 70 मामलों में 31 मामले पाए गए। इसी तरह पंजाब के कुल 93 मामलों में से 58 मामले तरनातरन, गुरुदासपुर और अमृतसर में पाए गए। अनवरत पराली दहन से बिगड़ती आबोहवा का खमियाजा प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से संपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र को भुगतना पड़ता है। सर्दियों के शुरुआती दौर में ही दम घुटने-सा लगता है। अभी बीते 24 सितंबर तक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सूचकांक 203 तक दर्ज किया गया। ऐसे हालात में सुप्रीम की फटकार स्वाभाविक है। पराली जलाने पर निगरानी के लिए हर वर्ष निगाह रखी जाती है ऐसा नहीं कि सरकार ने विगत वर्षों में पराली दहन को लेकर कुछ नहीं किया। पर शासन, प्रशासन, सरकारी संस्थाओं और पराली जलाने वाले किसानों के बीच संबंध में जरूर कुछ कमी रह जाती है। पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट के हवाले से केंद्र सरकार ने सूबे की सरकारों को पराली जलाने के दोषी किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का लाभ न देने का सख्त निर्देश दिया है। पराली जलाने पर निगरानी के लिए हर वर्ष 15 सितंबर तक ‘कंसोर्टियम फार रिसर्च आन एग्रो इकोसिस्टम मानिटरिंग ऐंड माडलिंग फ्राम स्पेस’ (क्रीम्स) द्वारा सेटेलाइट से निगाह रखी जाती है। इससे ‘गूगल लोकेशन’ के साथ पराली जलाने का पता लग जाता है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पराली जलाने पर दो एकड़ से कम क्षेत्र के लिए ढाई हजार रुपए, दो से पांच एकड़ क्षेत्र के लिए पांच हजार रुपए और पांच एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिए पंद्रह हजार रुपए तक अर्थदंड का प्रावधान किया है। दुबारा पराली जलाने पर संबंधित किसान के खिलाफ कारावास और अर्थदंड का भी प्रावधान है। इसी तरह धान काटने के यंत्र कंबाइन हार्वेस्टर में ‘स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम’ (एसएमएस) अनिवार्य कर दिया गया है। बिना एसएमएस वाले कंबाइन के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है। विगत वर्षों में विभिन्न सूबों में हजारों किसानों के विरुद्ध पराली जलाने पर एफआइआर भी दर्ज कराई गई है। पराली जलाने से मृदा में मौजूद अनेक लाभदायक सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं। एक अध्ययन के मुताबिक एक टन पराली जलने से मृदा में मौजूद 5.5 किलो ग्राम नाइट्रोजन, 2.3 किलो ग्राम फास्फोरस, 25 किलो ग्राम पोटैशियम, 1.2 किलो ग्राम सल्फर समेत अन्य उपयोगी पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान की रपट के मुताबिक उत्तर भारत के राज्यों में पराली जलाने के कारण तकरीबन दो लाख करोड़ रुपए की आर्थिक हानि होती है। एक अन्य जानकारी के मुताबिक दिल्ली में पराली प्रदूषण की वजह से ‘एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन’ (एआरआइ) ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले बच्चों और बुजुर्गों में ज्यादा होता है। प्रदूषण का स्तर उच्च होने के कारण दिल्ली वासियों की जीवन प्रत्याशा में लगभग साढ़े छह साल की कमी आई है। पराली जलने से कार्बन मोनो आक्साइड, कार्बन डाई आक्साइड, मीथेन, पाली सायक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन जैसी विषैली गैसें उत्सर्जित होती हैं। इन प्रदूषकों के प्रसार से ‘स्माग’ का एक मोटा आवरण निर्मित होता है, जिससे ब्रोंकाइटिस, तंत्रिका और हृदय संबंधी, यहां तक कि कैंसर जैसे रोगों का खतरा बढ़ जाता है। इस समस्या का समाधान केवल सरकारी तंत्र के भरोसे नहीं किया जा सकता है। इसके लिए किसानों को जागरूक बनाना होगा। किसान कम अवधि वाली धान की प्रजातियां लगाएं, जिससे पराली जलाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी, और अगली फसल के लिए पराली विघटन को पर्याप्त समय मिल जाए। पिछले वर्ष हरियाणा सरकार ने धान की सीधी बिजाई के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया था, जिससे 30 सितंबर तक वहां की मंडियों में आठ लाख टन धान बिकने आया था। इससे इतर, धान की कम अवधि वाली प्रजातियों, जैसे पीआर-126, पीबी 1509 आदि बोने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना चाहिए। ‘हैप्पी सीडर’ का प्रयोग किया जाए, जिसमें पराली का बंडल बनकर ऊपर आ जाता है, गेहूं की बुवाई हो जाती है और पराली का बंडल पलवार के रूप में खेत पर बिछ जाता है। इसके अलावा ‘पैलेटाइजेशन’ को अपनाया जा सकता है। इसमें पुआल को सुखाकर गुटिका के रूप में बदल दिया जाता है, उसे कोयले के साथ मिलाकर थर्मल पावर प्लांट और उद्योगों में ईंधन की तरह प्रयोग करते हैं। इससे एक ओर जहां कोयले की बचत होती है, वहीं दूसरी ओर कार्बन उत्सर्जन में कटौती होती है। ‘गौठान’ छत्तीसगढ़ का एक नवीन प्रयोग है। इसमें पांच एकड़ सरकारी भूमि में दान की गई पराली एकत्र कर गाय के गोबर और प्राकृतिक एंजाइम मिला कर जैविक खाद बनाई जाती है। पराली को ‘कंप्रेस्ड बायो गैस प्लांट’ (सीबीजीपी) में भेज दिया जाए तो ईंधन तैयार हो जाता है। दिल्ली के … Read more

भोपाल में बनेगा वंदे भारत के संचालन व मेंटेनेंस प्रशिक्षण का सेंटर, अभी प्रशिक्षण लेने भुसावल या उदयपुर जाना पड़ता है

भोपाल  भोपाल के निशातपुरा रेल कोच फैक्ट्री के पास पश्चिम मध्य रेलवे का पहला मल्टी डिसिप्लिनरी ट्रेनिंग सेंटर तैयार किया जा रहा है। खास बात यह है कि यहां वंदे भारत ट्रेनों के संचालन और मेंटेनेंस के प्रशिक्षण की आधुनिक लैब भी बनाई जा रही है। इसके बन जाने के बाद भोपाल वंदे भारत पर काम करने वाले देश भर के रेलवे कार्मिकों के प्रशिक्षण का बड़ा केंद्र बन जाएगा। बताया जा रहा है कि अभी पश्चिम मध्य रेलवे के लोको पायलट, गार्ड और स्टेशन मैनेजर आदि अधिकारी व कर्मचारियों का पेशेवर प्रशिक्षण भुसावल और उदयपुर में होता है। इसको अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए निशातपुरा में मल्टी डिसिप्लिनरी ट्रेनिंग सेंटर की परिकल्पना की गई थी। अब उसमें वंदे भारत जैसी अत्याधुनिक ट्रेन प्रणाली के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल भी जोड़ दिया गया है। तैयार होगी विशेष लैब यहां वंदे भारत लोको सिमुलेटर लैब को तैयार किया जा रहा है। इस लैब में वंदे भारत के लोको पायलट ट्रैक पर वास्तविक ट्रेन संचालन का अनुभव कर पाएंगे। इसमें उन्हें लोको पायलट केबिन से नियंत्रित होने वाली प्रणालियों के संचालन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके अलावा उन्हें कब, कहां कितनी गति रखनी है, किन परिस्थितियों में ब्रेक लगाना है, सिग्नल की प्रक्रिया आदि का प्रशिक्षण भी सिमुलेटर पर ही दिया जाएगा। इनका मिलेगा प्रशिक्षण ट्रेनिंग सेंटर में तकनीकी, सिग्नल, दूरसंचार, इंजीनियरिंग, लेखा, कार्मिक, भंडार, रेलों की विविध प्रणाली, यातायात विभाग से जुड़ा प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस केंद्र में देशभर से रेलवे अधिकारी.कर्मचारी प्रशिक्षण लेने आएंगे। केंद्र में ऐसी सुविधा होगी इस प्रशिक्षण केंद्र में 80 बिस्तरों वाला होस्टल, कैंटीन, प्रशासनिक भवन, पुस्तकालय, कंप्यूटर केंद्र, सभागार, चिकित्सा कक्ष जैसी सुविधाएं बनाई जा रही हैं। यह केंद्र अगले साल तक शुरू हो जाएगा। निशातपुरा के पास मल्टी डिसिप्लिनरी ट्रेनिंग सेंटर का निर्माण शुरू हो गया है। जल्द ही यहां रेलवे के अधिकारी व कर्मचारी को प्रशिक्षण की सुविधा मिलेगी। – सौरभ कटारिया, सीनियर डीसीएम, भोपाल रेल मंडल Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 33

कमला हैरिस ही बनेंगी अमेरिका की राष्ट्रपति? क्या सच साबित होगी एलन लिक्टमैन की भविष्यवाणी

वाशिंगटन अमेरिकी इतिहास में चुनावी परिणामों की सटीक भविष्यवाणी करने वाले प्रसिद्ध इतिहासकार एलन लिक्टमैन ने 2024 के राष्ट्रपति चुनाव को लेकर जो चौंकाने वाली भविष्यवाणी की है, सवाल यही है कि कया वह सच साबित होगी। दरअसल लिक्टमैन का कहना है कि इस बार राष्ट्रपति पद के लिए कमला हैरिस विजेता बनकर उभरेंगी। उनके अनुसार, भले ही डोनाल्ड ट्रंप की लोकप्रियता मजबूत हो, लेकिन कई प्रमुख कारक हैरिस के पक्ष में हैं। 1981 में लिक्टमैन और गणितज्ञ व्लादिमीर केलिस-बोरोक द्वारा विकसित द कीज टू द व्हाइट हाउस प्रणाली के आधार पर की गई यह भविष्यवाणी अमेरिकी राजनीति में चर्चा का विषय बन गई है। लिक्टमैन की द कीज टू द व्हाइट हाउस प्रणाली में 13 प्रमुख बिंदुओं के आधार पर विश्लेषण किया जाता है जो यह निर्धारित करते हैं कि कौन सी पार्टी चुनाव जीतने की स्थिति में है। इनमें कांग्रेस में पार्टी की स्थिति, अर्थव्यवस्था, घोटाले, सामाजिक अस्थिरता, और उम्मीदवार की व्यक्तिगत छवि जैसी बातें शामिल हैं। लिक्टमैन के अनुसार, इस बार के चुनाव में आठ प्रमुख कारक हैरिस के पक्ष में हैं। इस पद्धति ने 1984 से अब तक के दस में से नौ चुनाव परिणामों को सटीकता से भविष्यवाणी की है। हालांकि, इस बार राजनीतिक माहौल असामान्य रूप से चुनौतीपूर्ण है, खासकर जब देश में विभाजन और तनाव बढ़ा हुआ है। कमला हैरिस के पक्ष में अनुकूल कारक लिक्टमैन की भविष्यवाणी में आठ कारक ऐसे हैं, जो कमला हैरिस के पक्ष में माने जा रहे हैं। इनमें से कुछ प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं- अर्थव्यवस्था की स्थिति – लिक्टमैन के अनुसार, आर्थिक मोर्चे पर कुछ स्थिरता है, जिससे सत्तारूढ़ पार्टी को बढ़त मिल सकती है। सत्ता दल की लोकप्रियता – मौजूदा सरकार को लेकर जनता में सकारात्मक रुझान दिखाई दे रहा है। समर्थन में बढ़ोतरी – हैरिस के पक्ष में युवा और महिला मतदाताओं का समर्थन बढ़ रहा है, जिससे उनकी संभावनाएं मजबूत होती हैं। ट्रंप की प्रतिमा – डोनाल्ड ट्रंप की विवादित छवि और उनके कार्यकाल के कुछ फैसले भी हैरिस के पक्ष में जा सकते हैं। लिक्टमैन को आलोचना और धमकियों का करना पड़ रहा सामना भविष्यवाणी के बाद लिक्टमैन को अश्लील और धमकी भरे संदेश प्राप्त हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार उन्हें पहले से कहीं अधिक शत्रुता और आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। उनका कहना है कि 2024 का चुनाव असामान्य रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि समाज में ध्रुवीकरण और राजनीतिक अस्थिरता अपने चरम पर है। विदेश नीति का चुनावी प्रभाव लिक्टमैन ने कहा कि गाजा संघर्ष जैसे मुद्दों पर बाइडेन प्रशासन की भूमिका इस चुनाव में प्रमुख मुद्दा बन सकती है। यदि इस मामले पर अमेरिकी नीति में बड़ा बदलाव आता है, तो यह चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकता है। इसके बावजूद, लिक्टमैन का मानना है कि यह बदलाव ट्रंप की सत्ता में वापसी के लिए पर्याप्त नहीं होगा। क्या कहती है राजनीतिक विशेषज्ञों की राय? लिक्टमैन की भविष्यवाणी पर राजनीतिक विश्लेषकों ने भी अपनी राय दी है। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि कमला हैरिस का अमेरिकी राजनीति में प्रभाव बढ़ा है और उनके पक्ष में कई महत्वपूर्ण कारक हैं। लेकिन ट्रंप समर्थक विशेषज्ञ इस भविष्यवाणी से असहमत हैं और कहते हैं कि इस चुनाव में ट्रंप की वापसी की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। क्या होगा 2024 का ऐतिहासिक चुनाव परिणाम? यदि लिक्टमैन की यह भविष्यवाणी सही साबित होती है, तो कमला हैरिस अमेरिका की पहली अश्वेत महिला राष्ट्रपति बनेंगी, जिससे अमेरिकी राजनीति में एक ऐतिहासिक बदलाव आएगा। एलन लिक्टमैन की द कीज टू द व्हाइट हाउस प्रणाली अब तक ज्यादातर सटीक रही है, जिससे उनकी भविष्यवाणी पर लोगों का ध्यान स्वाभाविक है। क्या 2024 का यह चुनाव इस भविष्यवाणी को साकार करेगा और कमला हैरिस को अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में स्थापित करेगा? यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या लिक्टमैन की भविष्यवाणी एक बार फिर सही साबित होती है और अमेरिकी राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ आता है।     Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 34

मोदी सरकार की ELI योजना: 500 कंपनियों में युवाओं के लिए मौके

नई दिल्ली मोदी सरकार ने केंद्रीय बजट 2024 में एक नई योजना 'रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना' यानी 'ELI' लॉन्च की है। इस योजना का मकसद निर्माताओं और निर्यातकों को प्रोत्साहन देकर निर्यात को बढ़ावा देना है। सरकार का मानना है कि इससे भारतीय उत्पादों की मार्केट में अच्छी पकड़ बनेगी, घरेलू उद्योगों को मजबूती मिलेगी और विदेशी मुद्रा में भी बढ़ोतरी होगी। इस योजना को और बेहतर ढंग से लागू करने के लिए सरकार ने अलग-अलग मंत्रालयों को धन भी आवंटित किया है। कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय को 2,000 करोड़ रुपये दिए गए हैं ताकि 500 कंपनियों में युवाओं के लिए इंटर्नशिप के अवसर बढ़ाए जा सकें। इसी तरह, श्रम मंत्रालय को ELI से जुड़ी बाकी नीतियों को लागू करने के लिए 10,000 करोड़ रुपये मिले हैं। तीन अलग-अलग योजनाओं का समूह है ELI ELI योजना दरअसल तीन अलग-अलग योजनाओं का एक समूह है। पहली योजना के तहत सरकार नौकरी शुरू करने वाले कर्मचारियों को वेतन का एक हिस्सा देगी। दूसरी योजना का उद्देश्य मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार के नए अवसर पैदा करना है। तीसरी योजना के जरिए नियोक्ताओं को आर्थिक मदद मुहैया कराई जाएगी। वेतन सब्सिडी पहली योजना, जिसे 'वेतन सब्सिडी' का नाम दिया गया है, के तहत लगभग 1 करोड़ कर्मचारियों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य है। यह योजना दो साल तक चलेगी। इसमें उन नए कर्मचारियों को तीन किस्तों में 15,000 रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जाएगी जिनका मासिक वेतन 1 लाख रुपये तक है। दूसरी किस्त पाने के लिए उम्मीदवार को ऑनलाइन वित्तीय साक्षरता का एक कोर्स पूरा करना होगा। अगर नौकरी 12 महीने से पहले ही छूट जाती है तो कंपनी को सब्सिडी वापस करनी होगी। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार दूसरी योजना 'मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार' का उद्देश्य इस सेक्टर में काम करने वाले नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करना है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए नियोक्ताओं का ईपीएफओ में कम से कम तीन साल का ट्रैक रिकॉर्ड होना चाहिए। इसके अलावा, उन्हें कम से कम 50 गैर-ईपीएफओ कर्मचारियों या पिछले साल के ईपीएफओ कर्मचारियों की संख्या के 25 फीसदी (जो भी कम हो) को नौकरी पर रखना होगा। इस योजना के तहत सब्सिडी का भुगतान चार साल तक किया जाएगा और इसे कर्मचारी और नियोक्ता के बीच बराबर बांटा जाएगा। सब्सिडी की गणना वेतन के आधार पर होगी। नियोक्ता को सपोर्ट तीसरी योजना 'नियोक्ता को सपोर्ट' खास तौर पर उन नियोक्ताओं के लिए है जो अपने कर्मचारियों की संख्या बढ़ाते हैं। इसके तहत, नियोक्ताओं को ईपीएफओ नियोक्ता अंशदान पर हर महीने 3,000 रुपये तक का रिंबर्समेंट दो साल तक मिलेगा। हालांकि, इसके लिए कुछ शर्तें हैं। जिन नियोक्ताओं के पास 50 से कम कर्मचारी हैं, उन्हें कम से कम दो नए कर्मचारियों को नौकरी पर रखना होगा। जिनके पास 50 या उससे ज्यादा कर्मचारी हैं, उन्हें कम से कम पांच नए कर्मचारियों को नौकरी पर रखना होगा। अगर कोई कंपनी 1000 से ज्यादा नौकरियां पैदा करती है, तो रिबर्समेंट तिमाही आधार पर किया जाएगा। यह रिंबर्समेंट पिछली तिमाही के हिसाब से किया जाएगा। इसमें जो नियोक्ता 'दूसरी योजना' का लाभ ले रहे हैं, वे इस योजना का लाभ नहीं उठा सकते। हालांकि, जो पहली योजना, यानी 'स्कीम ए' का लाभ उठा रहे हैं, वे अतिरिक्त लाभ के रूप में इस योजना का फायदा उठा सकते हैं। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 42

कृषि सहकारी समितियां अब प्रदेश के गांवों में जन औषधि केंद्र भी चलाएंगी

भोपाल मध्य प्रदेश की ग्राम पंचायतों में कृषि साख सहकारी समितियां (बी-पैक्स) अब मेडिकल स्टोर यानी जन औषधि केंद्र भी चलाएंगी। यहां से ग्रामीणों को बाजार के मुकाबले सस्ती दरों पर कारगर जेनेरिक दवाएं उपलब्ध हो पाएंगी। इस प्रयोग से सहकारी समितियों को आय का नया स्रोत भी मिल जाएगा। सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ऐसे जन औषधि केंद्रों के संचालन के लिए प्रदेश की 275 समितियों का चयन किया गया। इनमें से 270 ने अपना औपचारिक आवेदन विभाग को कर दिया। इनमें से 55 समितियों को केंद्र संचालन का लाइसेंस जारी किया गया है। 24 समितियों में जन औषधि केंद्र शुरू भी करवा दिए गए हैं। बढ़ रहा जेनेरिक दवाओं का कारोबार मध्य प्रदेश में ऐसा प्रयोग पहली बार हो रहा है। उत्तर प्रदेश में कृषि साख सहकारी समितियां वर्ष 2023 में ही दवा कारोबार में उतर चुकी हैं। बता दें, मध्य प्रदेश में जन औषधि केंद्रों में व्यवसाय अच्छा हो रहा है। पिछले पांच वर्ष में यहां 44 करोड़ रुपये की जेनेरिक दवाएं बिकी हैं। फार्मा कंपनी से होगा अनुबंध नियमों के मुताबिक किसी दवा दुकान के संचालन के लिए फार्मासिस्ट होना अनिवार्य है। जिला उपायुक्त, सहकारिता छविकांत बाघमारे ने बताया कि कृषि साख सहकारी समितियों के जन औषधि केंद्र का संचालन करवाने के लिए फार्मा कंपनी से अनुबंध किया जाएगा। केंद्र सरकार को इसका प्रस्ताव जाना है। वर्तमान में सीहोर, धार सहित कुछ जिलों में समितियों ने स्थानीय स्तर पर फार्मासिस्ट नियुक्त कर दुकानों का संचालन शुरू किया है। किसानों को होगा सीधा फायदा कृषि साख सहकारी समितियों पर जन औषधि केंद्र खुलने का सबसे अधिक लाभ किसानों को मिलेगा। वे अपने घर के नजदीक सस्ती दवाइयां प्राप्त कर सकेंगे। वहीं समितियों के स्वावलंबी होने से भी किसानों को कर्ज और दूसरी सुविधाएं मिलने में आसानी हो जाएगी। साख समितियों को बहुउद्देशीय बनाने की कवायद सरकार बेहतर कार्य करने वाली सहकारी साख समितियों को बहु उद्देश्यीय और विविध व्यवसाय करने वाली समिति बनाने की कोशिश कर रही है। सहकारिता विभाग ने 4500 समितियों में से 2000 समितियों को इसके लिए चुना है। समितियां कर रही ये कारोबार आर्गेनिक उत्पादों का व्यवसाय करने के 1,454 समितियों ने आवेदन किया है। इन समितियों के यहां आर्गेनिक बीज तैयार करने के लिए जगह भी उपलब्ध है। इस तरह की ज्यादातर समितियां आदिवासी क्षेत्रों में किसानों के साथ मिलकर काम करेंगी। समितियों को निर्यात कारोबार से जोड़ने का भी प्रस्ताव है। इन समितियों की प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कराई गई है। नेशनल एक्सपोर्ट कोऑपरेटिव सोसायटी की सदस्यता के लिए 1,700 समितियों से आवेदन कराया गया है। प्रदेश की कई कृषि साख सहकारी समितियों को अलग-अलग काम करने के लिए कहा गया है। अभी इन समितियों को जन औषधि केंद्र संचालित करने के लिए लाइसेंस दिए जा रहे हैं। -मनोज कुमार सरियाम, पंजीयक सहकारी संस्थाएं, मध्य प्रदेश Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 54