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ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने रेलवे धौलपुर से बीना के बीच ट्रैक किनारे बाउंड्रीवाल बना रहा , अब गति होगी 160 किमी

भोपाल रेल प्रशासन ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने पर काम कर रहा है। आने वाले दिनों में वंदेभारत, शताब्दी व राजधानी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों की स्पीड 130 किमी प्रतिघंटा से बढ़कर 160 किमी होगी। इससे भोपाल व दिल्ली जाने वाले यात्रियों के 25 से 30 मिनट तक की बचत होगी। अभी दिल्ली से आगरा तक रेल ट्रैक की स्पीड 160 किमी प्रतिघंटा की है। यहां गतिमान एक्सप्रेस जैसी ट्रेन 160 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ रही है। वंदेभारत व शताब्दी एक्सप्रेस भी इसी स्पीड से इस सेक्शन में दौड़ रही है। धौलपुर से बीना तक 130 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेनें दौड़ रही हैं। ट्रेनों की स्पीड बाधित न इसके लिए बाउंड्रीवाल बन रही हाईस्पीड सहित एक्सप्रेस ट्रेनों की स्पीड बाधित न हो इसके लिए झांसी मंडल के अंतर्गत धौलपुर से बीना के बीच रेल ट्रैक किनारे बाउंड्रीवाल बनाने का काम चल रहा है जहां अब तक बाउंड्रीवाल नहीं बन सकी है। बताया जा रहा है लगभग 200 किमी रेल ट्रैक किनारे बाउंड्रीवाल नहीं है। जिसके चलते मवेशी ट्रेनों की चपेट में आ जाते हैं। इससे ट्रेनों की स्पीड बाधित होती है। ट्रैक पर लगाए जा रहे दिशा बदलने वाले स्विच झांसी मंडल ने रेलवे ट्रैक पर टीडब्ल्यूएस (थिक वेब स्विच) लगाने का काम शुरू कर दिया गया है। इसके लगने पर ट्रेनों की स्पीड के साथ सुरक्षा भी बढ़ेगी। साथ ही आने वाले दिनों में ट्रेनों की स्पीड 130 से बढ़कर 160 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार तक हो जाएगी। साथ ही लूप लाइन से गुजरने वाली ट्रेनों की स्पीड 30 किमी प्रतिघंटा से बढ़कर 50 किमी तक हो जाएगी। समय बचेगा: भारतीय रेल मिशन 160 किमी. प्रति घंटे पर कार्य कर रही है. वर्तमान में एलएचबी कोच वाली ट्रेनों की गति 110 किमी प्रति घंटा से बढ़ाकर 130 किमी प्रति घंटा कर दी गई है. वहीं, शताब्दी, वंदेभारत, गतिमान और राजधानी जैसी ट्रेनों की गति को 130 किमी प्रति घंटा से बढ़ाकर 160 किमी प्रति घंटा करने की योजना है. इसके लिए रेलवे ट्रैक को मजबूत और तकनीक को अपग्रेड कर रहा है. गति बढ़ने से दिल्ली और भोपाल जैसे प्रमुख गंतव्यों के यात्रियों का यात्रा समय 25 से 30 मिनट तक कम हो जाएगा. ट्रैफिक नहीं रोकना होगा: वर्तमान में रेल दुर्घटना या अन्य आपात स्थितियों में यातायात को रोकना पड़ता है, लेकिन तीसरी लाइन के शुरू होने से ट्रेनों को इस अतिरिक्त लाइन पर डायवर्ट किया जा सकेगा, जिससे यातायात बाधित नहीं होगा. ओवर ट्रैफिक में कमी: तीसरी लाइन ओवर ट्रैफिक की समस्या को दूर करेगी। फिलहाल, एक ट्रेन रुकने पर पीछे की ट्रेनों को भी रोकना पड़ता है। नई लाइन बनने से ऐसी परिस्थितियों में ट्रेनों को डायवर्ट करके सुचारू रूप से चलाया जा सकेगा। यात्री ट्रेनों की स्‍पीड बढ़ेगी: तीसरी लाइन पर मालगाड़ियों का संचालन होने से यात्री ट्रेनों के संचालन में अधिक गति और पंक्‍चुलिटी होगी. बढ़ेगी ट्रेनों की रफ्तार, 130 से बढ़ाकर 160 किलोमीटर प्रतिघंटा गति करने का है लक्ष्य 412 किलोमीटर रेलवे ट्रैक पर चल रहा काम : बिहार, झारखंड व उत्तर प्रदेश राज्य में पूर्व मध्य रेल क्षेत्राधिकार के लगभग 412 किलोमीटर लंबे ग्रैंड कॉर्ड रेलवे ट्रैक पर काम चल रहा है. प्रधानखंटा से पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन तक 412 किलोमीटर में से 231 किलोमीटर रेलवे ट्रैक की फेंसिंग का कार्य पूरा हो चुका है. पंडित दीन दयाल उपाध्याय मंडल में 200 किलोमीटर में से 110 किलोमीटर रेलवे ट्रैक फेंसिंग का कार्य प्री-फैब्रिकेटेड सीमेंटेड स्लैब लगाकर पूरा किया जा चुका है. शेष 90 किलोमीटर का कार्य क्रैस बैरियर लगाकर शीघ्र ही पूरा कर लिया जायेगा. धनबाद रेल मंडल में आने वाले 175 किलोमीटर ग्रैंड कॉर्ड रेलखंड में सें 25 किलोमीटर लंबे घाट सेक्शन छोड़कर शेष 150 किलोमीटर रेलवे ट्रैक की फेंसिंग की जानी है. इनमें से अब तक 121 किलोमीटर का कार्य प्री-फैब्रिकेटेड सीमेंटेड स्लैब लगाकर पूरा हो चुका है. बाकी बचे 29 किलोमीटर का कार्य क्रैस बैरियर लगाकर अगस्त 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य है. कई ट्रेनों को मिलेगा हाई स्पीड ट्रेन का दर्जा : गोमो. रेल पटरी के दोनों ओर फेंसिंग का कार्य पूरा होते ही ग्रैंड कॉर्ड सेक्शन पर कई ट्रेनों की रफ्तार बढ़ जायेगी. वहीं कई ट्रेनों को हाई स्पीड ट्रेन का दर्जा मिल जायेगा. जानकारी के अनुसार ग्रैंड कॉर्ड रेलखंड पर चलने वाली राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस तथा दुरंतो एक्सप्रेस को पहले हाई स्पीड का दर्जा प्राप्त था. इसे चलाने के लिए दो लोको पायलट मेल को डयूटी पर लगाया जाता था. रेलवे ने करीब डेढ़ से दो साल पहले उक्त ट्रेनों से हाई स्पीड ट्रेन का दर्जा छीन लिया. इस कारण इन ट्रेनों में अब एक लोको पायलट मेल के साथ एक सहायक लोको पायलट को डयूटी पर लगाया जा रहा है. क्योंकि रेलवे अब 130 किमी/घंटा से अधिक रफ्तार से चलने वाली ट्रेन को ही हाई स्पीड ट्रेन मान रहा है. रेल पटरी के दोनों ओर फेंसिंग कार्य पूरा होते ही ग्रैंड कॉर्ड सेक्शन पर चलने वाली राजधानी एक्सप्रेस समेत कई ट्रेनों का रफ्तार बढ़ा कर हाई स्पीड ट्रेन का दर्जा दे दिया जायेगा. मालूम हो कि झांसी की ओर राजधानी एक्सप्रेस 140 किमी/घंटे के रफ्तार से फर्राटे भर रही है.   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 60

श्रीमद् भगवद गीता एक अनूठा आध्यात्मिक मार्गदर्शी ग्रंथ है, भगवद् गीता जिसका प्रभाव पूरी दुनिया में फैल चुका है

भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्यप्रदेश में सांस्कृतिक पुनरुद्धार और आध्यात्मिक नवजागरण के लिए अनूठे प्रयासों की श्रृंखला शुरू की है। इसी कड़ी में राज्य सरकार द्वारा 11 दिसम्बर को गीता जयंती के अवसर पर सभी जिला मुख्यालयों में गीता जयंती महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस विशेष अवसर पर यह जानना आवश्यक होगा कि श्रीमद् भगवद गीता एक अनूठा आध्यात्मिक मार्गदर्शी ग्रंथ है, भगवद् गीता जिसका प्रभाव पूरी दुनिया में फैल चुका है। भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य वचनों में सम्पूर्ण जीवन की व्याख्या है। संसार की समस्याओं और मनुष्य की व्यथाओं का समाधान है। “गीता” की महिमा का शाब्दिक वर्णन करना कठिन काम है। पाठकों के सुलभ संदर्भ के लिए श्रीमद् भगवद् गीता पर विश्व के महापुरुषों, महान वैज्ञानिकों, विद्वजनों और दार्शनिकों के विचारों का संकलन प्रस्तुत किया गया है। “भगवान श्रीकृष्ण की कही हुई श्रीमद् भगवद् गीता के समान छोटे वपु (काया, शरीर) में इतना विपुल ज्ञानपूर्ण कोई दूसरा ग्रंथ नहीं है’’- महामना पं. मदनमोहन मालवीय। “जब कभी संदेह मुझे घेरते हैं और मेरे चेहरे पर निराशा छाने लगती है; मैं क्षितिज पर गीता रूपी एक ही उम्मीद की किरण देखता हूं। इसमें मुझे अवश्य ही एक छन्द मिल जाता है, जो मुझे सांत्वना देता है। तब मैं कष्टों के बीच मुस्कुराने लगता हूँ’’- महात्मा गांधीजी। “गीता हमारे ग्रंथों में एक अत्यन्त तेजस्वी और निर्मल हीरा है’’- लोकमान्य बालगंगाधर तिलक। मशहूर जर्मन कवि, उपन्यासकार और पेंटर हरमन हेस के जीवन पर भी गीता का विशेष प्रभाव था। उनकी कालजयी रचना 'सिद्धार्थ' में यह स्पष्ट होता है। उनका कहना था 'गीता की सबसे अच्छी विशेषता यह है कि यह जीवन के सही मायनों को पूरी वास्तविकता के साथ सामने रखती है।' उन्नीसवीं सदी के मशहूर दर्शनशास्त्री और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अल्बर्ट श्विट्ज़र मानते थे – 'श्रीमद भगवद् गीता मनुष्य के जीवन पर बहुत गहरा असर डालती है। यह कर्मों के माध्यम से ईश्वर प्राप्ति का संदेश देती है।' स्विस मनोवैज्ञानिक कार्ल जुंग को विश्लेषणात्मक मनोविज्ञान के लिए जाना जाता है। वे न सिर्फ मनोविज्ञान बल्कि दर्शन, साहित्य और धार्मिक अध्ययन में भी विशेषज्ञता रखते थे। उनका मानना था कि “मनुष्य को उल्टे वृक्ष के रूप में प्रदर्शन की अवधारणा बहुत पहले से ही मौजूद थी, जिसे बाद में सामने लाया गया। अपने वक्तव्यों में कही गई प्लेटो की वह बात कि “मनुष्य सांसारिक नहीं बल्कि स्वर्गीय पौधा है, जो ब्रह्माण्ड से सिंचित होता है। यह वैदिक अवधारणा है और गीता के 15वें अध्याय में इसे स्पष्ट तौर पर कहा गया है।“ उन्नीसवीं सदी के ही मशहूर अंग्रेजी साहित्यकार आल्डस हक्सले ने कहा था – “मनुष्य में मानव मूल्यों की समझ पैदा करने के लिए गीता सर्वाधिक व्यवस्थित ग्रंथ है। शाश्वत दर्शन के विषय में यह अब तक की सबसे स्पष्ट और व्यापक प्रस्तुति है। यह सिर्फ भारत के लिए नहीं है बल्कि इसका जुड़ाव पूरी मानवता से है।’’ उन्नीसवीं सदी के विख्यात अमेरिकी निबंधकार और साहित्यिक हस्ती इमर्सन के जीवन पर गीता का बड़ा प्रभाव था। उनका मानना था, “श्रीमद भगवद् गीता के साथ मेरा दिन शानदार बीता। यह अपने तरह की पहली पुस्तक है। यह किसी और समय और परिस्थितियों में लिखी गई, लेकिन यह हमारे आज के सवालों और समस्याओं के भी जवाब पूरी स्पष्टता के साथ देती है।“ ऑस्ट्रियाई दार्शनिक और साहित्यकार रुडॉल्फ स्टीनर के जीवन को गीता ने व्यापक रूप से प्रभावित किया था। उनका मानना था कि भगवद् गीता जैसी अप्रतिम रचना को समझने के लिए बस हमें स्वयं को उसके साथ लय बिठाने की जरूरत है।' मशहूर अमेरिकी दार्शनिक और साहित्यकार हेनरी डेविड थोरो पर गीता का प्रभाव उनके साहित्य और सामाजिक कार्यों में परिलक्षित होता है। वे कहते थे कि "प्राचीन भारत की सभी स्मरणीय वस्तुओं में गीता से श्रेष्ठ कोई भी दूसरी वस्तु नहीं है। गीता में वर्णित ज्ञान ऐसा उत्तम व सर्वकालिक है, जिसकी उपयोगिता कभी भी कम नहीं हो सकती।" भारतीय मनीषियों के अलावा कई विदेशी विद्वानों ने भी गीता के महत्व को समझा और अपने जीवन में इसके सिद्धांतों को लागू किया। यह महान पवित्र ग्रंथ गीता का ही असर था कि ईसाई मत मानने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री मिस्टर पियर ट्रूडो गीता पढ़कर भारत आये। उन्होंने कहा था कि जीवन की शाम हो जाए और देह को दफनाया जाए, उससे पहले अज्ञानता को दफनाना जरूरी है। ओपेनहाइमर : भगवद् गीता से कैसे प्रभावित हुए? बीबीसी ने समकालीन इतिहास पर अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने परमाणु बम विकसित करने में अग्रणी भूमिका निभाई थी, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध की दिशा बदल दी थी। ओपेनहाइमर ने संस्कृत भाषा सीखी और श्रीमद् भगवद गीता को अपनी पसंदीदा पुस्तकों में से एक माना। जब द क्रिश्चियन सेंचुरी के संपादकों ने उनसे पूछा कि वे कौन सी किताबें हैं, जिन्होंने उनके दार्शनिक दृष्टिकोण को सबसे ज्यादा प्रभावित किया, तो चार्ल्स बौडेलेयर की पुस्तक "लेस फ्लेर्स डू माल" को पहला और “भगवद गीता’’ को दूसरा स्थान मिला। सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी ओपेनहाइमर को बर्कले में संस्कृत के प्रोफेसर आर्थर डब्ल्यू राइडर ने संस्कृत से परिचित कराया था। उसके बाद उन्हें गीता से परिचित कराया गया था। जुलाई 1945 में न्यू मैक्सिको के रेगिस्तान में पहले परमाणु बम के विस्फोट से दो दिन पहले रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने  गीता  का एक श्लोक सुनाया। इतिहास बदलने वाली घटना से कुछ घंटे पहले, "परमाणु बम के जनक" ने संस्कृत से अनुवादित एक श्लोक को पढ़कर अपना तनाव दूर किया, जिसका हिंदी अनुवाद इस प्रकार है – "युद्ध में, जंगल में, पहाड़ों की चोटी पर अन्धकारमय महान सागर पर, भालों और बाणों के बीच, नींद में, उलझन में, शर्म की गहराई में, मनुष्य द्वारा पहले किये गए अच्छे कर्म ही उसकी रक्षा करते हैं।“ श्रीमद् भगवद् गीता ने पश्चिम की दुनिया को गहरा प्रभावित किया है। गीता दर्शन को जानने के बाद पश्चिम के विद्वानों ने गीता के जीवन दर्शन को अपनाने के लिए अपनी बौद्धिक ऊर्जा लगा दी। दरअसल वे किसी वैज्ञानिक उपलब्धि की खोज में नहीं थे। वे इससे भी आगे विकारों से रहित मानव मन और आत्मिक शांति की खोज में थे। इसका समाधान उन्होंने श्रीमद् भगवद् गीता में पाया। इन विद्वानों में दार्शनिक इमैन्युअल कांड (1724-1804), हर्डर (1744-1805) फिटश (1762-1814), हीगल (1770-1831), श्लेगल (1772-1829) शिलर (1759-1805) … Read more

ज्वालामुखी से फिलीपींस में तबाही, राख के गुबार और गर्म लावे के साथ बढ़ा खतरा, 87 हजार लोगों का रेस्क्यू

मनीला मध्य फिलीपींस के कानलॉन ज्वालामुखी में भीषण विस्फोट हुआ। इस विस्फोट से आसमान में तीन किलोमीटर ऊपर तक राख का गुबार फैल गया। वहीं, फिलिपीन इंस्टीट्यूट ऑफ वॉल्कैनोलॉजी एंड सीस्मोलॉजी (PHIVOLCS) ने बताया कि ये ज्वालामुखी अभी और विस्फोट कर सकता है। इस विस्फोट के तुरंत बाद स्थानीय प्रशासन हरकत में आई और हुए आसपास के गांवों को खाली कराने का आदेश देते हुए राहत-बचाव कार्य शुरु करवाया। बता दें, नेग्रोस द्वीप पर स्थित कानलॉन ज्वालामुखी समुद्र तल से 2,400 मीटर (लगभग 8,000 फीट) की ऊंचाई पर है। यह फिलीपींस के 24 सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है। बताया जा रहा है कि यह ज्वालामुखी पहले भी कई बार फट चुका है। जिसके वजह से यहां बसे गांवों के लिए यह हमेशा खतरे का संकेत रहा है। विस्फोट के बाद निकला धुआं का गुबार इस विस्फोट के बाद फिलीपीन इंस्टीट्यूट ऑफ वॉल्केनोलॉजी एंड सीस्मोलॉजी (PHIVOLCS) ने एक बयान जारी किया। जिसके अनुसार, विस्फोट सोमवार को दोपहर 3:03 बजे (स्थानीय समयानुसार) हुआ। फिलिपींस के सिविल डिफेंस ऑफिस ने 87 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम शुरू कर दिया है। वहीं, इस विस्फोट के दौरान ज्वालामुखी से निकलने वाला धुआं 3,000 मीटर (लगभग 10,000 फीट) की ऊंचाई तक पहुंच गया। विशेषज्ञों ने इस विस्फोट को 'मैग्मैटिक इरप्शन' करार दिया है। जो आगे और भी ज्यादा विस्फोटक हो सकता है। वहीं, थर्मल और एक्सरे कैमरा मॉनिटर्स की मानें तो गर्म लावा और पत्थर का घनत्व बहुत ज्यादा है। पहाड़ की चोटी से भारी मात्रा में गर्म राख और कीचड़ निकल कर आ रहा है। जो सैकड़ों फीट प्रति सेकेंड की गति से नीचे आ रहा है। पहले भी फटा कानलॉन ज्वालामुखी इससे पहले सितंबर में भी कानलॉन ज्वालामुखी ने हजारों टन जहरीली गैसों का उत्सर्जन किया था। जिसके कारण सैकड़ों लोगों को वहां से हटाया गया था। हालांकि तब कोई बड़ा विस्फोट नहीं हुआ था। लेकिन इस घटना ने प्रशासन को ज्वालामुखी के खतरे के प्रति सतर्क कर दिया था।  अभी शांत नहीं हुआ है ज्वालामुखी, फिर फट सकता है PHIVOLCS के अनुसार यह ज्वालामुखी अभी शांत नहीं हुआ है. भविष्य में किसी भी समय फट सकता है. यह ज्वालामुखी देश के दो दर्जन सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है. यह नेग्रोस ऑक्सीडेंटल और नेग्रोस ओरिएंटल प्रांत के बीच मौजूद है. इससे पहले यह इस साल 3 जून को फटा था. उससे पहले दिसंबर 2017 में. हर दिन महसूस हो रहे हैं 5 से 26 भूकंप के झटके पिछले विस्फोट के बाद इलाके में बहुत दिनों तक लोग वापस नहीं आए थे. ये रुक-रुक कर फट रहा था. तबसे लगातार इसमें से जहरीली गैसें और गर्म राख निकल रही थी. खासतौर से 19 अक्तूबर के बाद से. इस पहाड़ के आसपास के इलाकों में हर दिन 5 से 26 बार भूकंप के झटके महसूस हो रहे हैं. तीसरे लेवल का अलर्ट जारी, लोगों को हटा रहे फिलहाल इस ज्वालामुखी की वजह से आसपास के इलाकों में तीसरे लेवल का अलर्ट जारी किया गया है. यानी एक हफ्ते के अंदर इसमें फिर से बड़ा विस्फोट होने की पूरी आशंका है. अगला स्केल चौथे स्तर का अलर्ट होगा. यानी लगातार होने वाला विस्फोट और सबसे सीरियस टाइप होता है पांचवें स्तर का अलर्ट. यानी किसी भी घंटे या दिन में इसका विस्फोट हो सकता है. Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 37

अब जौनपुर की अटाला मस्जिद पर विवाद, धर्म-इतिहास से जुड़ी हैं हिंदू-मुस्लिम पक्ष के दावों की जड़ें, फैसला 16 दिसम्बर को होगा

जौनपुर  जौनपुर की अटाला मस्जिद का सर्वे कब और कैसे कराया जाएगा इसका फैसला अब 16 दिसम्बर को होगा। कोर्ट में आज मंगलवार को सुनवाई के दौरान सीनियर डिवीज़न कोर्ट ने अगली तारीख तय की है। हिन्दू पक्ष फोर्स के साथ मस्जिद के सर्वे की मांग कर रहा था।। मुस्लिम पक्ष इसका विरोध कर रहा है। स्वराज वाहिनी असोसिएशन ने कोर्ट में याचिका दायर की थी जौनपुर की अटाला मस्जिद पूर्व में अटला देवी का मंदिर हुआ करता था। इसे तोड़ कर मंदिर स्थापित की गई है। इसमें हिन्दू पक्ष को पूजा की इजाजत दी जाए। इस प्रकरण को लेकर मंगलवार को सीनियर डिवीज़न कोर्ट में सुनवाई होनी थी। कोर्ट ने अटाला मस्जिद के सर्वे पर 16 दिसम्बर की तारीख मुक़र्रर की है। इस दिन यह फैसला होगा कि सर्वे करने अमीन जाएगा या फोर्स के साथ सर्वे होगा। 'मीडिया ट्रायल करा रहा हिन्दू पक्ष' मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष के अधिवक्ता पर आरोप लगाते कोर्ट में कहा कि हिंदू पक्ष के द्वारा मीडिया ट्रायल कराया जा रहा है। इस पर हिंदू पक्ष के अधिवक्ता राम सिंह ने बताया कि मडिया स्वतंत्र है। उसके कार्य में कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकते है। 'फोर्स के साथ हो अटाला मस्जिद का सर्वे' कोर्ट में सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष ने अटाला मस्जिद के सर्वे की बात दोहराई है। सर्वे को लेकर याचिका में मांग की गई है कि पर्याप्त पुलिस बल व अमीन के साथ मौके का सर्वे का कराया जाय। अब तक यह कुछ हुआ कोर्ट में पूर्व में अटाला मस्जिद प्रकरण को लेकर वक्फ अटाला मस्जिद ने सिविल जज सुधा शर्मा की कोर्ट प्रार्थना पत्र दिया और कहा था कि वादी स्वराज वाहिनी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुमार मिश्रा का दावा पोषणीय नहीं है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद वक्फ अटाला मस्जिद का प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया और विपक्षी गण को जवाबदेही, अमीन की रिपोर्ट, अस्थाई निषेधाज्ञा पर आपत्ति की सुनवाई के लिए 16 नवंबर तिथि नियत की। इसके पूर्व जिला जज वाणी रंजन अग्रवाल ने विपक्षी की निगरानी निरस्त कर आदेश दिया था कि वादी पक्ष वाद दाखिल कर सकता है। वाद पोषणीय है या नहीं, या कोर्ट को क्षेत्राधिकार है या नहीं, इन बिंदुओं को वक्फ सचिव संबंधित कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। जिस पर विपक्षी ने संबंधित सिविल जज कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया जिसे कोर्ट ने निरस्त कर दिया। क्या है विवाद दरअसल, स्वराज वाहिनी संगठन ने जौनपुर जिला कोर्ट में मुकदमा दाखिल कर दावा किया है कि मंदिर को तोड़कर अटाला मस्जिद बनवाई गई जिस जगह मस्जिद है, वहां पहले अटला देवी का मंदिर था। हिंदू पक्ष का दावा है कि अटला मंदिर का निर्माण 1155 ई. में राजा विजय चंद्र ने कराया लेकिन फिरोजशाह तुगलक के भाई बरबक ने 1364 ई. में इस मंदिर को तोड़ दिया। फिर इस जगह पर 1377 ई. में अटाला मस्जिद बनवाई गई। संगठन की मांग है कि मस्जिद का सर्वे होने चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके। अगस्त में भी टीम गई थी अटाला मस्जिद बता दें कि दो अगस्त को भी कोर्ट कमिश्नर की टीम कार्यवाही के लिए अटाला मस्जिद गई थी लेकिन मस्जिद के दरवाजे बंद थे, इसलिए कार्यवाही हो नहीं पाई और टीम को वापस आना पड़ा। हिंदू पक्ष के वकील ने कहा कि हमने मस्जिद का सर्वे कराने की मांग की थी। कोर्ट ने हमारी मांग मान ली है। अब अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी। मुस्लिम पक्ष के लोग न्यायालय में सहयोग करने की बात तो करते हैं लेकिन मौके पर उनका सहयोग दिखाई नहीं देता। मुस्लिम पक्ष का दावा – अटाला मस्जिद में 1476 से नमाज वहीं, मुस्लिम पक्ष हिंदू समुदाय के दावों को खारिज कर रहा है। मुस्लिम पक्ष का दावा है कि अटाला मस्जिद में 1476 से नमाज होती आई है। अटाला मस्जिद पर विवाद सरकार ने शुरू किया। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि अटाला मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर को तोड़कर नहीं हुआ है। मुस्लिम पक्ष ने सर्वे की मांग का विरोध किया था। दरअसल, ढांचे की बाहरी दीवारों पर ऐसी कलाकृतियां मौजूद हैं जो किसी आम तौर पर इस्लामिक संरचना में नहीं पाई जातीं। इस तरह की आकृतियां देवी-देविताओं से जुड़े मंदिरों में मिलती हैं। हिंदू पक्ष के वकील राम सिंह ने कहा कि कोर्ट ने आज कोई फैसला नहीं दिया है। केवल मामले की सुनवाई हुई है। आदेश 16 दिसंबर के लिए सुरक्षित रखा गया है।   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 16

यूरोपीय एजेंसी का दावा इतिहास का सबसे गर्म साल बना 2024

लंदन यूनियन कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (C3S) ने खुलासा किया है कि साल 2024 इतिहास का सबसे गर्म साल रहा है. इस साल गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. ऐसी ही गर्मी की आशंका अगले साल के लिए भी है. यह खुलासा क्लाइमेट चेंज को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा 300 बिलियन डॉलर्स की डील के दो हफ्ते बाद हुआ है. C3S ने कहा है कि जनवरी से नवंबर तक औसत वैश्विक तापमान (Average Global Temperature) प्री-इंडस्ट्रियल एरा यानी 1850 से 1900 की तुलना में डेढ़ डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा है. इससे पहले सबसे गर्म साल का रिकॉर्ड 2023 के नाम था. साल 2024 में पूरी दुनिया और ज्यादा गर्म हो गई. इटली और दक्षिणी अमेरिका में भयानक सूखा रहा. नेपाल, सूडान और यूरोप में बाढ़ आई. मेक्सिको, माली, सऊदी अरब में हीटवेव्स की वजह से हजारों लोग मारे गए. अमेरिका और फिलिपींस में खतरनाक साइक्लोन ने तबाही मचाई. वैज्ञानिकों की स्टडी ने यह बात स्पष्ट तौर पर कही है कि ये सब इंसानों द्वारा किए जा रहे जलवायु परिवर्तन का नतीजा है. इस साल नवंबर महीना भी रहा गर्म इस साल का नवंबर महीना पिछले साल के नवंबर महीने के बाद दूसरा सबसे गर्म महीना था. कॉपरनिकस क्लाइमेट रिसर्चर जुलियन निकोलस ने कहा कि हमारी दुनिया लगातार गर्मी के नए रिकॉर्ड तोड़ रही है. वैश्विक तापमान लगातार बढ़ रहा है. अगले कुछ महीनों में यह स्थिति और भी ज्यादा बिगड़ सकती है. खत्म करना होगा CO2 का उत्सर्जन लगातार जीवाश्मन ईंधन जलाने की वजह से जो कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन हो रहा है, उसकी वजह से ही तापमान बढ़ रहा है. इस उत्सर्जन को जीरो करना जरूरी है. नहीं तो पूरी दुनिया तंदूर की तरह जलने लगेगी. कई देशों ने यह भरोसा दिलाया है कि वो इसे कम करेंगे, इसके बावजूद इस साल CO2 उत्सर्जन रिकॉर्ड स्तर पर रहा. अगले साल पर रहेगी सबकी नजर इंपीरियल कॉलेज लंदन के वैज्ञानिक फ्रेडरिक ओट्टो ने कहा कि वैज्ञानिक इस समय ला नीना पर भी नजर रख रहे हैं. क्योंकि इससे अगले साल तापमान कम हो सकता है. इसकी वजह से समंदर की गर्मी कम होगी. वो ठंडे होंगे. इस साल अल-नीनो की वजह से गर्मी बढ़ी थी. अगले साल तापमान में थोड़ी गिरावट आने की संभावना है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि राहत मिलेगी. अगले साल भी हीटवेव, सूखा, जंगली आग और साइक्लोन जैसी घटनाएं देखने को मिलेंगी. कई देशों में हीटवेव से हजारों की मौत इससे पूर्व 2023 इतिहास का सबसे गर्म वर्ष दर्ज किया गया था। जबकि नवंबर 2023 के बाद नवंबर 2024 इतिहास का सर्वाधिक गर्म माह दर्ज किया गया। इस वर्ष मौसम के चरम पर पहुंचने की कई घटनाएं देखने को मिलीं। इनमें इटली और दक्षिण अमेरिकी में गंभीर सूखा, नेपाल, सूडान और यूरोप में जानलेवा बाढ़, मेक्सिको, माली और सऊदी अरब में हीटवेव से हजारों की मौत के साथ ही अमेरिका और फिलीपींस में विनाशकारी चक्रवात जैसे मौसम के गंभीर दुष्परिणाम शामिल हैं। विज्ञानियों ने इन सभी प्राकृतिक आपदाओं के पीछे मानव की भूमिका बताई है। भारत के मौसम विभाग के मुताबिक, 1901 के बाद से भारत के लिए यह दूसरा सबसे गर्म नवंबर रहा है। इश दौरान औसत अधिकतम तापमान 29.37 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो कि सामान्य से 0.62 डिग्री सेल्सियस ज्यादा है।   2024 में जनवरी से नवंबर तक की बात करें तो औसत वैश्विक तापमान 1991-2020 के तापमान से करीब 0.72 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा है। वहीं, जनवरी-नवंबर 2023 के मुकाबले इस साल इसी दौर में तापमान 0.14 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा।   1.50 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने की संभावना   यूरोपीय एजेंसी के वैज्ञानिकों ने कहा कि 2023 का तापमान पूर्व-औद्योगिक काल के स्तर से 1.48 डिग्री सेल्सियस अधिक था, इसलिए यह भी लगभग निश्चित है कि 2024 का वार्षिक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक होगा।     Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 19