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UPI के बढ़ते चलन ने घटाई ATM की मांग, ग्रामीण इलाकों पर सबसे ज्यादा असर

मुंबई डिजिटल युग के इस दौर में, एक तरफ जहां कैशलेस ट्रांजेक्शन अपना तेजी से स्थान बना रही है और लोगों की रोमर्रा की जिंदगी को आसान बना रही है। वहीं दूसरी तरफ लोग अब कैश के साथ ही साथ एटीएम का प्रयोग कम कर रहे हैं। इस बदलाव के पीछे सबसे प्रमुख कारण UPI पेमेंट्स का उभार है। UPI यानी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस के माध्यम से लेन-देन आसान और तेज हो गया है, जिससे कैश निकासी की आवश्यकता में कमी आई है। देश में डिजिटल पेमेंट का चलन तेजी से बढ़ रहा है। जिसके चलते एटीएम के इस्तेमाल में गिरावट आई है। इससे जुड़ी हुई आरबीआई ने रिपोर्ट भी पब्लिश की है। भारत में ATM की संख्या में लगातार हो रही गिरावट RBI के ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार,देश में एटीएम की संख्या में भारी कमी आई है। भारत में ATM की संख्या सितंबर 2023 में 219,000 से घटकर सितंबर 2024 में 215,000 हो गई है। यह गिरावट मुख्य रूप से ऑफ-साइट ATM में कमी के कारण हुई है। ये ATM सितंबर 2022 में 97,072 से गिरकर सितंबर 2024 में 87,638 तक पहुंच गए। ATM की संख्या में कमी के कारण वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में बताया कि सरकारी बैंकों ने एटीएम बंद करने के लिए कई कारण बताए हैं। इनमें बैंकों का एकीकरण, एटीएम का कम इस्तेमाल, व्यावसायिक लाभ की कमी और एटीएम का स्थानांतरण शामिल हैं। बैंकर्स का कहना है कि डिजिटल भुगतान के बढ़ते चलन और यूपीआई के उभरने से नकदी का उपयोग कम हुआ है, जिससे एटीएम का संचालन अव्यावहारिक हो गया है। UPI का बढ़ता दबदबा पिछले नौ वर्षों में डिजिटल भुगतान और वित्तीय समावेशन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जन धन योजना, मोबाइल इंटरनेट और यूपीआई के प्रसार ने इस बदलाव को बढ़ावा दिया है। पिछले पांच वर्षों में यूपीआई लेनदेन में 25 गुना वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2018-19 में जहां 535 करोड़ यूपीआई लेनदेन हुए, वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 13,113 करोड़ हो गए। इस वित्त वर्ष (सितंबर तक) यूपीआई के जरिए 122 लाख करोड़ रुपए के 8,566 करोड़ से अधिक ट्रांजैक्शन दर्ज हुए हैं। डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ता कदम उपभोक्ता अब सब्जियों से लेकर ऑटो सवारी और महंगी खरीदारी तक के लिए यूपीआई का उपयोग कर रहे हैं। इस डिजिटल क्रांति ने भारत को नकदी से डिजिटल भुगतान की ओर तेजी से बढ़ाया है। क्यों कम हो रहे ATM मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, देश में पिछले काफी समय से डिजिटल पेमेंट पर जोर दिया जा रहा है। डिजिटल पेमेंट करना लोगों को काफी आसान भी लगता है, इसलिए कम समय में ही यह पूरे देश में काफी लोकप्रिय हो गया है। बैंकों के घटती एटीएम की संख्या में काफी बड़ा रोल यूपीआई का भी है। पिछले कुछ समय से एटीएम के पॉपुलैरिटी में काफी कमी आई है। लोगों तक एटीएम की पहुंच अभी भी कम है, रिपोर्ट्स के अनुसार, देश में प्रति 100,000 लोगों पर केवल 15 एटीएम हैं। RBI के नियमों का असर देश में नकदी अभी भी भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वित्त वर्ष 22 में 89% लेन-देन और सकल घरेलू उत्पाद का 12% हिस्सा नगद लेन देन का ही था। लेकिन एटीएम लेन-देन और इंटरचेंज शुल्क पर RBI के नियमों ने ATM पर अपना गहरा असर डाला है। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव डिजिटल भुगतान विशेष रूप से यूपीआई की बढ़ती लोकप्रियता और डिजिटल परिवर्तन पर रणनीतिक ध्यान केंद्रित करने से प्रेरित है। आइए सबसे पहले (Automated Teller Machine- ATM) के इतिहास पर एक नजर डालते हैं: भारत में पहला एटीएम साल 1987 में HSBC ने मुंबई में लगाया था. उसके अगले 10 वर्षों में यानी 1997 तक देश में करीब 1500 एटीएम खुले. अगर दुनिया में पहला ATM की बात करें तो 27 जून 1967 को लंदन के एनफील्ड में एक कैश मशीन का उपयोग किया गया था, जिसे दुनिया की पहली एटीएम के रूप में मान्यता प्राप्त है. इस ATM को बार्कलेज बैंक ने शुरू किया था. 80 के दशक के दौरान दुनिया के कई बड़े देशों में ATM मुख्यधारा में शामिल हो गए थे. इसके बाद साल 1997 में इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) ने 'स्वधन' नामक से पहला ज्वाइंट ATM नेटवर्क शुरू किया, जिसे इंडिया स्विच कंपनी (ISC) ने संचालित किया. हालांकि, यह 2003 में बंद हो गया. उसके बाद 2004 में नेशनल फाइनेंशियल स्विच (NFS) की स्थापना हुई, जो आज भारत का सबसे बड़ा ATM नेटवर्क है, जिसे नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) संचालित करता है. आज भारत में कुल इतने ATM जनवरी 2022 तक, NFS नेटवर्क के तहत भारत में 2,55,000 से अधिक ATM थे, जिसमें नकदी जमा मशीनें और रिसाइक्लर शामिल थे. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) और NPCI के आंकड़ों के आधार पर 2023 तक भारत में लगभग 2,60,000 से 2,70,000 ATM होने का अनुमान था. फिलहाल भारत में लगभग 2.8 से 3 लाख ATM होने की संभावना है. फिलहाल देश में एक लाख लोगों पर 15 ATM हैं.  ATM की संख्या और प्रभाव के आधार पर SBI सबसे बड़ा ऑपरेटर है, लेकिन कैश मैनेजमेंट में CMS का दबदबा है. भारत में अब तक कितने ATM बंद हो चुके हैं… RBI के आंकड़ों के अनुसार, भारत में ATM की संख्या सितंबर 2023 में 2,19,000 थी, जो सितंबर 2024 में घटकर 2,15,000 हो गई.  इसका मतलब ये है कि इस अवधि में करीब 4 हजार ATM बंद हुए. यही नहीं, साल 2017 के बाद से ही ATM की संख्या में बढ़ोतरी धीमी हो गई, और साल-दर-साल इसका दायरा बढ़ता गया है. खासकर 2022 के बाद से ऑफ-साइट ATM (बैंक परिसर से बाहर स्थित) की संख्या में लगातार गिरावट आई है. यह डिजिटल भुगतान (जैसे UPI) के बढ़ते उपयोग, ATM संचालन की उच्च लागत, और बैंक शाखाओं के विलय के कारण हो रहा है. क्यों बंद हो रहे हैं ATM? यानी सबकुछ ग्राहकों पर निर्भर करता है, अगर ATM का खूब उपयोग होगा तो फिर कारोबार घाटे में नहीं चलेगा, वहीं अगर एक ATM महीने में 300-500 लेनदेन करता है, तो यह घाटे में भी जा सकता है. ये कड़वा सच है, देश में ATM का उपयोग तेजी … Read more

बागेश्वर धाम में भारत का पहला हिन्दूग्राम, हिंदू गांव में मकानों की नहीं हो सकेगी खरीद-फरोख्त, गैर-हिंदुओं का प्रवेश वर्जित रहेगा

छतरपुर मध्य प्रदेश के छतरपुर में बागेश्वर धाम पीठ के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने 2 अप्रैल को हिंदू गांव की आधारशिला रखी. इसके साथ ही बागेश्वर धाम के निकट देश के पहले हिंदू गांव के निर्माण की तैयारियां आधिकारिक रूप से शुरू हो गई हैं, जो दो साल में बनकर तैयार हो जाएगा. इस गांव में रहने वालों की जीवनशैली वैदिक संस्कृति पर आधारित होगी. ​देश के पहले हिंदू गांव के स्थापना समारोह में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उर्फ बाबा बागेश्वर ने कहा कि हिंदू राष्ट्र की संकल्पना हिंदू घरों, हिंदू गांवों, हिंदू जिलों और हिंदू राज्यों की स्थापना के बाद ही पूरी होगी. योजना के अनुसार इस गांव में 1,000 परिवार रहेंगे और इसे बागेश्वर धाम परिसर में विकसित किया जाएगा. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि बागेश्वर धाम जनसेवा समिति हिंदू और सनातन धर्म के अनुयायियों वाले इस गांव के लिए भूमि उपलब्ध कराएगी और इसे दोबारा बेचा या खरीदा नहीं जा सकेगा. बाबा बागेश्वर ने कहा, 'इस भूमि पर भवन बनाए जाएंगे तथा वहां रहने वाले लोगों के लिए कुछ बुनियादी शर्तें तय की जाएंगी. महत्वपूर्ण बात यह है कि इस गांव में गैर-हिंदुओं का प्रवेश वर्जित रहेगा. हालांकि, सनातन धर्म में आस्था रखने वालों का स्वागत है. हिंदू गांव में घर एग्रीमेंट के आधार पर उपलब्ध कराए जाएंगे.' हिंदू गांव में मकानों की नहीं हो सकेगी खरीद-फरोख्त उन्होंने बताया कि हिंदू गांव की आधारशिला रखे जाने के पहले ही दिन दो व्यक्तियों ने अपनी सहमति दे दी है तथा भवन अधिग्रहण के लिए कागजी कार्रवाई पूरी कर ली है. बाबा बागेश्वर ने कहा कि हिंदू गांव में लोग जिस मकान में रहेंगे उसकी खरीद-फरोख्त का हक उन्हें नहीं मिलेगा. इसके पीछे की वजह यह है कि विधर्मी लोभ-लालच देकर किसी भी स्तर पर जाकर किसी भी कीमत पर मकान खरीदने के प्रयास करते हैं. अक्सर ऐसा देखने में भी आता है कि लालच में आकर लोग धर्मविरोधी ताकतों के सामने खुद को सरेंडर कर देते हैं. इसलिए बागेश्वर धाम का हिंदू ग्राम क्रय-विक्रय से प्रतिबंधित रहेगा. जहां सनातन मूल्य नहीं, वहां पीढ़ियां खराब हो जाती हैं इससे पहले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने एक वीडियो संदेश जारी किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि हिंदू राष्ट्र बनाने से पहले हर घर और हर गांव में हिंदू धर्मावलंबी बनाने का काम शुरू होगा. यह अभियान इसी महीने शुरू होगा. इस अभियान के लिए बागेश्वर धाम से टीमें रवाना हो चुकी हैं. उन्होंने कहा, 'जहां बारिश नहीं होती, वहां फसलें खराब हो जाती हैं. इसी तरह, जहां सनातन मूल्य मौजूद नहीं हैं, वहां पीढ़ियां खराब हो जाती हैं. हम धर्मनिष्ठ हिंदू बनाने के लिए काम करेंगे. प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक प्रधान नियुक्त किया जाएगा.' धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि इस वीडियो के माध्यम से देश में नई क्रांति खड़ी होने वाली है. हम उसकी घोषणा सार्वजनिक रूप से कर रहे हैं. उन्होंने कहा, 'हम कट्टर हिंदू बनाने का काम करेंगे. सभी ग्राम पंचायतों में एक-एक प्रभारी होगा, जो एक मंडल प्रभारी से जुड़ा होगा. 10 गांवों का एक मंडल बनाया जाएगा, यह जिला अध्यक्ष से जुड़ा होगा. सभी प्रभारियों को तीन-चार महीने में बागेश्वर धाम आकर बात करनी होगी. मंडल जहां काम कर रहे हैं, वहां कथाएं भी होंगी.'   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 9

बस्तर में सुरक्षाबल के जवानों की लगातार कार्रवाई से नक्सली संगठन खौफ, शाह की रणनीति का दिखा असर

रायपुर  छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ लगातार एक्शन हो रहे हैं। सुरक्षाबल के जवान नक्सलियों के गढ़ माने जाने वाले अबूझमाड़ में घुसकर कार्रवाई कर रहे हैं। जिसके बाद नक्सली खौफ में आ गए हैं। ऐसे में नक्सली संगठन की तरफ से शांति की पहल का एक लेटर जारी किया गया है। शांति की पहल को लेकर दावा किया जा रहा है कि नक्सली संगठन अब कमजोर हो गए हैं। केंद्र सरकार भी नक्सलवाद के खात्मे के लिए लगातार सपोर्ट कर रही है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह लगातार नक्सलवाद के खिलाफ रणनीति बना रहे हैं और उसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं। अमित शाह के डेडलाइन क्या है? छत्तीसगढ़ में नक्सवाद के खात्मे की कमान खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने हाथों में ले रखी है। अमित शाह लगातार नक्सल विरोधी अभियानों की समीक्षा कर रहे हैं और रणनीति भी बना रहे हैं। अमित शाह ने नक्सलवाद के खात्मे के लिए एक डेडलाइन तक की है। शाह ने 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद को खत्म करने की डेट तय की है। यह डेडलाइन तय होने के बाद सुरक्षाबल के जवान ताबड़तोड़ एक्शन कर रहे हैं। सेना की पहुंच उन इलाकों में हो गई है जहां कभी नक्सलियों की बिना इजाजत के कोई बाहरी व्यक्ति कदम नहीं रख सकता था। गृहमंत्री ने दिया है दो टूक जवाब नक्सली संगठन का एक लेटर सामने आया है। इस लेटर में उन्होंने कहा कि सरकार को युद्ध विराम की घोषणा करनी चाहिए। वह शांति से वार्तालाप करना चाहते हैं। हालांकि उन्होंने उसके लिए शर्त रखी है कि सरकार सेना की कार्रवाई रोके। नए इलाकों में बनाए गए कैंप को हटा दिया जाए। नक्सलियों की शर्त पर राज्य के गृहमंत्री विजय शर्मा दो दो टूक जवाब दे चुके हैं कि नक्सली संगठन हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटें उन्होंने कहा कि किसी भी शर्त पर बातचीत नहीं होगी। क्यों शांति चाहते हैं नक्सली नक्सलियों की शांति पहल को लेकर बस्तर के रहने वाले वरिष्ठ साहित्यकार रजीव रंजन ने नवभारत टाइम्स डॉट कॉम को बताया कि- ऐसा पहली बार हुआ है जब नक्सली इतने कमजोर हैं। जिस तरह से 2024 में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन हुए उसके बाद इस साल की शुरुआत में जवानों ने माओवादियों के बड़े कैडर को मार गिराया हो उससे वह खौफ में आ गए हैं। उन्होंने कहा कि यह शांति पहल नक्सलियों का एक ट्रैप है। इस ट्रैप का फायदा उठाकर वह अपने लिए समय की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह खुद को और अपने संगठन के टॉप लीडरों की बचाने की नक्सलियों की एक साजिश है। इस साजिश के जरिए नक्सली सरकार को शांतिवार्ता में उलझाकर जवानों की कार्रवाई रोकना चाहते हैं। वह जिस युद्ध विराम की बात कर रहे हैं वह खुद उन्हें करना चाहिए। सरेंडर करके सरकार की जो पुनर्वास नीति है उसका लाभ उठाना चाहिए। हथियारों और लीडरों की कमी उन्होंने कहा कि सुरक्षाबल के जवानों ने अबूझमाड के उन इलाकों में कैंप स्थापित कर लिए हैं जिन्हें नक्सली अपना सबसे सुरक्षित ठिकाना मानते थे। नक्सलियों के खिलाफ जवान लगातार कार्रवाई ही नहीं कर रहे हैं उनके हथियार और विस्फोटकों को भी जब्त कर रहे हैं जिससे संगठन के पास आधुनिक हथियारों की भी कमी हो गई है। ऐसे में वह शांति का ट्रैप बिछाने की कोशिश में हैं। वह अपने टॉप लीडरों को सुरक्षित स्थानों में पहुंचाना चाहते हैं। पहली बार ऐसा एक्शन उन्होंने कहा कि इससे पहले हम बस्तर में देखते थे कि सरकार और जवान शांति के लिए पहल करते थे। लेकिन इस बार उल्टा है। जवान और सरकार ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रहे हैं और नक्सली शांति की बात कर रहे हैं। वह भारी दबाव में हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को शांति पहल करनी चाहिए लेकिन बस्तर में जवानों की कार्रवाई तब तक नहीं ठहरनी चहिए जब तक की नक्सलवाद पूरी तरह से घुटने नहीं टेक देता है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 7

खुशखबरी! दिल्लीवालों का इंतजार खत्म होने जा रहा, आज से दिल्ली में आयुष्मान भारत योजना लागू

नई दिल्ली खुशखबरी! दिल्लीवालों का इंतजार खत्म होने जा रहा है। आज यानी शनिवार से दिल्ली में आयुष्मान भारत योजना लागू हो सकती है। दिल्ली सरकार ने इसकी तैयारी कर ली है। जानकारी के मुताबिक पहले चरण में एक लाख लोगों का दिल्ली में आयुष्मान कार्ड बनेगा। इसके बाद तेजी से इस योजना को आगे बढ़ाते हुए सभी पात्र दिल्ली वालों को इसमें शामिल कर लिया जाएगा। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच समझौते पत्र (MOU) साइन होने वाले हैं। इसके बाद 10 अप्रैल तक कम से कम 1 लाख लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाने का लक्ष्य है। बीजेपी ने दिल्ली में विधानसभा चुनावों से पहले ही ऐलान किया था कि सत्ता में आने के बाद इस योजना को लागू किया जाएगा। आयुष्मान योजना के तहत दिल्ली में 5 लाख + 5 लाख यानी 10 लाख रुपये का मेडिकल कवर मिलेगा। सबसे पहले किसके बनेंगे आयुष्मान कार्ड केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना गरीब व जरूरतमंद लोगों को बेहतर इलाज देने के लिए है। दिल्ली में भी इस योजना का लाभ इन्हीं लोगों को मिलेगा। जानकारी के मुताबिक जिन लोगों के पास अंत्योदय अन्न योजना (AAY) कार्ड है, उन्हीं के कार्ड पहले बनाए जाएंगे। इसके बाद बीपीएल कार्डधारकों के नंबर आएंगे। माना जा रहा है कि शुरुआत में एक लाख अंत्योदय कार्डधारकों को इस योजना का लाभ होने वाला है। आयुष्मान योजना के लिए बजट दिल्ली में आयुष्मान योजना लागू करने के लिए दिल्ली सरकार ने 2144 करोड़ रुपये का बजट पास किया हुआ है। आयुष्मान कार्ड बनवाने पर अन्य राज्यों में 5 लाख रुपये तक का मेडिकल कवर मिलता है। दिल्ली में यह मेडिकल कवर 10 लाख रुपये है। इसमें से 7 लाख का खर्च दिल्ली सरकार वहन करेगी। दिल्ली में कितनी तरह के राशन कार्ड दिल्ली में वर्तमान में दो तरह के राशन कार्ड बनते हैं। पहला: Priority Category या बीपीएल कार्ड, जो गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के बनते हैं। इन्हें PR कार्ड भी कहा जाता है। दूसरा अंत्योदय अन्न कार्ड यानी AAY कार्ड। ये कैटेगरी गरीबी रेखा के मामले में सबसे निचले पायदान पर मानी जाती है। इन्हें प्रति परिवार 35 किलो राशन हर महीने दिया जाता है। द‍िल्‍ली में क‍ितने AAY राशन कार्ड द‍िल्‍ली में 72,77,995 राशन कार्ड को मंजूरी म‍िली हुई है। केंद्र सरकार द्वारा तय संख्या के अनुसार दिल्ली में 1,56,800 AAY राशन कार्ड को मंजूरी मिली हुई है। ये कार्ड Poorest of Poor वर्ग में आने वाले सबसे गरीब वर्ग का ही बनता है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक जनवरी, 2025 में दिल्ली में AAY राशन कार्ड की संख्या महज 66,532 ही थी। अंत्योदय अन्न योजना राशन कार्ड के अंतर्गत प्रति परिवार 2 रुपये किलो के हिसाब से 25 किलो गेहूं और 3 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 10 किलो चावल मिलता है। इसके अलावा 13.50 रुपये किलो के हिसाब से 6 किलो चीनी मिलती है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 6

अगले कुछ सालों में सोने के दाम 38% तक गिरेंगे, भारत में 55,000 प्रति 10 ग्राम आएंगे भाव

नई दिल्ली  क्या कभी सोने की कीमत 55 हजार हो जाएगी। क्या सोने की कीमतों के लिहाज से वक्त 2 साल पीछे हो जाएगा, जब 2023 में 10 ग्राम सोने की कीमत तकरीबन यही थी…संभव हो ऐसा हो। एक अमेरिकी एनालिटिकल कंपनी ने तो कुछ ऐसा ही अनुमान लगाया है। मगर, ऐसा क्यों होगा, इसके पीछे क्या ईरान-अमेरिका, रूस-यूक्रेन युद्ध, बांग्लादेश में तख्तापलट या इजरायल-हमास जंग है, जिसके खत्म होने के आसार लगाए जा रहे हैं। आइए-समझते हैं। किसने की सोने पर ऐसी खुशी देने वाली भविष्णवाणी अमेरिकी कंपनी मॉर्निंगस्टार के विश्लेषक ने यह भविष्यवाणी की है कि अगले कुछ सालों में सोने के दाम 38% तक गिर सकते हैं। भारत में 24 कैरेट सोने का दाम लगभग 90,000 रुपये प्रति 10 ग्राम है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह $3,100 से ऊपर है। अगर सोने के दाम 40% गिरते हैं, तो भारत में यह लगभग 55,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक आ सकता है। सोने के दाम कब बढ़ जाते हैं और क्यों यह सुरक्षित निवेश सोने के दाम लगातार बढ़ ही रहे हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि दुनिया बीते कई सालों से युद्ध, महामारी, महंगाई और आर्थिक अनिश्चितता के चलते उतार-चढ़ाव से जूझ रही है। चूंकि, युद्ध या संघर्षों के दौरान सोना एक सुरक्षित निवेश माना जाता है। चीन के साथ अमेरिका का ट्रेड वॉर भी इसकी बड़ी वजह माना जा रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से सोने ने दिखाई अकड़ 2018 में यूक्रेन ने इस क्षेत्र पर रूस के कब्जे की घोषणा की। संघर्ष के इन पहले आठ वर्षों में नौसैनिक घटनाएं और साइबर युद्ध भी शामिल थे। 20 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन के कुछ हिस्सों पर आक्रमण किया और कब्जा कर लिया। इस युद्ध की शुरुआत वैसे तो 2014 में तब शुरू हुई थी, जब फरवरी 2014 में यूक्रेन के स्वायत्त गणराज्य क्रीमिया पर रूसी सैनिको ने गुप्त रूप से आक्रमण कर दिया था। इसके बाद से ही छिटपुट युद्ध चलता रहा है। 2022 में इसकी बाकायदा शुरुआत हो गई। तभी से एक और विश्वयुद्ध की आशंका के चलते सोने के भाव बढ़ते चले गए। 2023 में सोना करीब 55 हजार ही था, मगर बीते दो साल में यह दोगुने के करीब पहुंच चुका है। इजरायल-हमास युद्ध ने भी बढ़ाए सोने के भाव बीते कई सालों से इजरायल-हमास के बीच जारी युद्ध के दौरान सोने की चमक लगातार बढ़ती गई। बीते साल अक्टूबर तक सोना 76000 के पार निकल गया था। जो अब 90 हजार के पार पहुंच चुका है। बताया जा रहा है कि अगर यही हाल रहा तो इसकी कीमत इसी साल 1 लाख के पार हो जाएगी। बीते कुछ महीनों से इजरायल और हमास के बीच जंग और गहरी हो गई है। गाजा पट्टी को लेकर संघर्ष भी बढ़ गया है। अमेरिका-ईरान के बीच परमाणु युद्ध को लेकर टेंशन बीते कई महीनों से अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु प्रसार को लेकर भी टेंशन बढ़ रही है। ईरान के गुपचुप तरीके से यूरेनियम संवर्द्धन की खबरें आती रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान के पास इतनी परमाणु सामग्री जमा हो चुकी है कि वह मौका पाते ही बेहद कम समय में परमाणु हथियार बना लेगा, जो अमेरिका और उसके समर्थक देशों के लिए तबाही ला सकता है। इस बात को लेकर भी अमेरिकी शेयर बाजार कई बार टूटे हैं। मगर, उस वक्त भी सोने ने अंगद की तरह पांव जमा रखे थे। उसके भाव बढ़ते रहे हैं। इन वजहों से गिर सकते हैं सोने के भाव दरअसल, मॉर्निंगस्टार के एनालिस्ट का कहना है कि सोने का उत्पादन बढ़ गया है। 2024 की दूसरी तिमाही में सोने की खदानों को एक औंस पर $950 का मुनाफा हुआ। इसका मतलब है कि सोना निकालने वाली कंपनियों को फायदा हो रहा है। दुनिया भर में सोने का भंडार भी 9% बढ़कर 2,16,265 टन हो गया है। ऑस्ट्रेलिया में सोने का उत्पादन बढ़ गया है। साथ ही, पुराने सोने को पिघलाकर फिर से इस्तेमाल करने का चलन भी बढ़ गया है। क्या सोने की मांग कम होने से दाम गिरना संभव यह भी कहा जा रहा है कि दुनिया में सोने की मांग कम हो सकती है। पिछले साल केंद्रीय बैंकों ने 1,045 टन सोना खरीदा था। लेकिन अब वे शायद उतना सोना न खरीदें। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के एक सर्वे में पता चला है कि 71% केंद्रीय बैंक या तो अपना सोने का भंडार कम करेंगे या उसे उतना ही रखेंगे। इससे सोने के दाम में संभव है कि उतनी तेजी न आए, जितना आमतौर पर देखने को मिलती है। क्या सोने का बाजार का यह सैचुरेशन पीरियड यह भी कहा जा रहा है कि सोने का बाजार शायद अब चरम पर पहुंच गया है। 2024 में सोने के कारोबार में विलय और अधिग्रहण 32% बढ़ गए हैं। यह इस बात का संकेत है कि बाजार अब ऊपर जाने के बजाय नीचे आ सकता है। कुछ मामलों में लोग सोना खरीदने-बेचने के बजाया सोने में निवेश करना ज्यादा सुरक्षित मानते हैं। क्या रूस-यूक्रेन की जंग होगी खत्म, जिससे घटेगा सोना रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त कराने के लिए खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कमर कस ली है। वह दुनिया के दिग्गज राजनेताओं से इस बारे में मुलाकात और बात भी कर चुके हैं। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस युद्ध के खात्मे के लिए यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी बात कर चुके हैं। माना जा रहा है कि अगर ये कोशिशें जारी रहती हैं तो वह दिन दूर नहीं जब दोनों देशों के बीच युद्ध थम जाएगा। वैसे भी दोनों देश अब ज्यादा लड़ने के इच्छुक भी नहीं हैं। अगर ऐसा हुआ तो बाजार सुधरेगा और दुनिया में सोने की बेतहाशा खरीददारी भी थम सकती है। जब सोने की मांग घटेगी तो जाहिर है सोने की कीमतें भी गिर सकती हैं। क्या इजरायल-हमास जंग के भी खत्म होने के आसार है इजरायल और हमास के बीच वैसे तो जंग पूरी तरह से खत्म होने के आसार नहीं हैं। मगर, ये है कि ये संघर्ष कुछ समय के लिए थम सकता है। खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसे लेकर प्रयास कर रहे … Read more