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अबतक पाकिस्तान की हरकतों की वजह से भारत ने 11 बार उसे खुलकर मुंहतोड़ जवाब दिया

नई दिल्ली पाकिस्तान के साथ भारत का तनाव उसकी पैदाइश के साथ से ही चल रहा है। अबतक पाकिस्तान की हरकतों की वजह से भारत ने इस दौरान कम से कम 11 बार उसे खुलकर मुंहतोड़ जवाब दिया है। अभी ऑपरेशन सिंदूर की वजह से पाकिस्तान की दुनिया भर में भद पिट रही है। हर मिलिट्री ऑपरेशनों ने भारत की सैन्य ताकत का लोहा मनवाया है और पाकिस्तान को नाक रगड़ने को मजबूर होना पड़ा है, लेकिन उसकी आदतें नहीं बदली हैं। बार-बार मुंह की खाने के बाद भी पाकिस्तान और उसकी फौज कुछ न कुछ ऐसा कर देता है, जिसकी वजह भारत को कार्रवाई करनी पड़ती है। 1. ऑपरेशन रिडल (1965) सबसे पहले बात करते हैं 'ऑपरेशन रिडल' की। पहला मिलिट्री ऑपरेशन 1965 में किया गया। पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने की कोशिश की। उन्होंने 'ऑपरेशन जिब्राल्टर' और 'ग्रैंड स्लैम' नाम से हमले किए। इसके जवाब में भारत ने 'ऑपरेशन रिडल' शुरू किया। 6 सितंबर,1965 को भारतीय सेना ने लाहौर और कसूर पर हमला बोल दिया। भारत की इस कार्रवाई से पाकिस्तानी सेना हिल गई। 2. ऑपरेशन एब्लेज (1965) इसके बाद 'ऑपरेशन एब्लेज' हुआ। यह भी 1965 में ही हुआ था। यह एक तरह की सैन्य तैयारी थी। भारतीय सेना ने पश्चिमी सीमा पर अपनी सेना की मौजूदगी बढ़ा दी। हालांकि, इसमें सीधा युद्ध नहीं हुआ, लेकिन यह युद्ध की तैयारी का एक अहम हिस्सा था। नतीजा: इन दोनों ऑपरेशनों के बाद सोवियत संघ (USSR) ने बीच में आकर ताशकंद समझौता कराया। 3. ऑपरेशन कैक्टस लिली (1971) 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान 'ऑपरेशन कैक्टस लिली' चलाया गया। भारतीय सेना और वायुसेना ने मिलकर मेघना नदी पार की। उन्होंने पाकिस्तानी ठिकानों को पीछे छोड़ते हुए ढाका की ओर बढ़ना शुरू कर दिया। 4. ऑपरेशन ट्राइडेंट (1971) 'ऑपरेशन ट्राइडेंट' में भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर दो बार हमला किया। पहला हमला 4-5 दिसंबर को हुआ। भारतीय सेना पूर्वी और पश्चिमी दोनों मोर्चों पर पाकिस्तानी फौज के नाक में दम कर रही थी। 5.ऑपरेशन पाइथन (1971) ऑपरेशन ट्राइडेंट के बाद 'ऑपरेशन पाइथन' हुआ। एक के बाद इन तीनों हमलों से पाकिस्तान बिखर गया और उसके नौसैनिक ढांचे को काफी नुकसान पहुंचा। ऑपरेशन पाइथन में पहली बार एंटी-शिप मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया। नतीजा: इन तीन ऑपरेशनों का नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तान हार गया और बांग्लादेश नाम का एक नया देश बना। 6. ऑपरेशन मेघदूत (1984) सियाचिन में पाकिस्तान की हरकतों को रोकने के लिए भारत ने अप्रैल 1984 में 'ऑपरेशन मेघदूत' शुरू किया। भारतीय वायुसेना की मदद से सैनिकों को दुनिया की सबसे ऊंची युद्ध भूमि पर पहुंचाया गया। उन्होंने महत्वपूर्ण चोटियों पर कब्जा कर लिया। नतीजा: ऑपरेशन मेघदूत से भारत को सामरिक बढ़त मिली और भारत आज भी वहां लाभ की स्थिति में है। 7. ऑपरेशन विजय (1999) मई 1999 में पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कारगिल की चोटियों चोरी-चोरी पर कब्जा कर लिया। भारत ने 'ऑपरेशन विजय' चलाकर इन इलाकों को वापस अपने कब्जे में ले लिया। यह ऑपरेशन भारतीय सेना की ताकत और बलिदान का प्रतीक है। 8. ऑपरेशन सफेद सागर (1999) 'ऑपरेशन सफेद सागर' भी कारगिल युद्ध के दौरान ही हुआ। यह भारतीय वायुसेना का ऑपरेशन था। इसमें कारगिल की पहाड़ियों में पाकिस्तान की चौकियों और ठिकानों पर हवाई हमले किए गए। 1971 के बाद यह पहली बार था, जब इतने बड़े पैमाने पर वायुसेना का इस्तेमाल किया गया। नतीजा: इन दोनों मिलिट्री ऑपरेशन में पाकिस्तानी फौज को भारतीय सेना और वायुसेना ने बुरी तरह से पीटा और वे पीछे हटने को मजबूर हुए। 9. सर्जिकल स्ट्राइक (2016) उरी हमले के बाद भारत ने 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक की। भारत की स्पेशल फोर्सेज ने पाकिस्तान अधिकृत जम्मू कश्मीर (PoJK) में आतंकी ठिकानों पर हमला किया। यह पहली बार था, जब भारत ने खुलकर पाकिस्तानी कब्जे वाले इलाके में अपनी सैन्य कार्रवाई की घोषणा की। नतीजा: पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया में संदेश गया कि आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत अब भारत दुश्मन के घर में घुसकर मारने लगा है। 10. ऑपरेशन बंदर (2019) पुलवामा हमले के बाद भारत ने 26 फरवरी, 2019 को 'ऑपरेशन बंदर' को अंजाम दिया। इसके तहत पाकिस्तान के करीब 80 किलोमीटर भीतर घुसकर बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैंपों पर एयर स्ट्राइक किया गया। 1971 के बाद यह पहली बार था, जब भारत ने नियंत्रण रेखा (LoC) के पार अपनी वायुसेना का इस्तेमाल किया। नतीजा: भारत ने पूरी दुनिया को संकेत दे दिया कि 'नया भारत' अब अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए हर तरह के मिलिट्री ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए तैयार है। 11. ऑपरेशन सिंदूर (2025) भारत ने 6 और 7 अप्रैल, 2025 की दरमियानी रात पाकिस्तान और इसके कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर (PoJK) के 9 आतंकी ठिकानों पर हमला किया। इसे ऑपरेशन सिंदूर का नाम दिया गया। इसमें भारत ने अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) या नियंत्रण रेखा (LoC) का उल्लंघन नहीं किया और मिसाइल, ड्रोन और अन्य बमों का इस्तेमाल करके दहशतगर्दी कैंपों में तबाही मचा दी। नतीजा: पहली बार पाकिस्तान खुद मान रहा है कि भारत ने किस तरह से मिलिट्री ऑपरेशन को अंजाम दिया है। इसमें अंतरराष्ट्रीय सीमा से 100 किलोमीटर दूर बहावलपुर तक में आतंकी इंफ्रास्ट्रक्चर ध्वस्त हुए हैं और जैश-ए-मोहम्मद का सरगना अजहर मसूद खुद मान रहा है कि उसके परिवार के 10 लोगों समेत कुल 14 लोग मारे गए हैं। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret … Read more

दुनिया पर निर्भर नहीं, भारत के पास गोला बारूद का खजाना-रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

नई दिल्ली  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने  सर्वदलीय बैठक में बताया कि भारत के पास पर्याप्त गोला-बारूद है। रक्षा मंत्री ने कहा कि देश के पास पर्याप्त गोला-बारूद है। सरकारी कंपनियों ने गोला बारूद का उत्पादन बढ़ा दिया है और वे इसे और भी बढ़ा सकती हैं। सूत्रों ने बताया कि राजनाथ सिंह ने कहा कि प्राइवेट सेक्टर भी इसमें बड़ा योगदान दे रहा है। भारत का रक्षा क्षेत्र अब तेजी से आगे बढ़ रहा है। सरकार ने पिछले साल ही 1.45 लाख करोड़ रुपये की बड़ी सैन्य खरीद परियोजनाओं को मंजूरी दी थी। इसका मकसद देश में ही रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देना है। इस वजह से, कई सरकारी रक्षा कंपनियां (PSU) गोला बारूद का उत्पादन कर रही हैं। बोफोर्स के गोले बहुत महंगे खरीदे गए थे आज देश में ही गोला-बारूद बनाया जा रहा है, लेकिन करगिल युद्ध के दौरान जब गोला-बारूद कम पड़ने लगे तो उस समय की सरकार को कई दूसरे देशों से महंगे गोला-बारूद खरीदने पड़े थे। यह भी कहा जाता है कि उस दौरान कुछ मित्र देशों ने भी गोला-बारूद देने के लिए भारत सरकार तय कीमत से कहीं ज्यादा पैसे लिए थे। तैयारी बहुत पहले से ही थी सरकार देश में ही उत्पादन को बढ़ावा दे रही है और रक्षा क्षेत्र को आधुनिक बना रही है। इससे उम्मीद है कि ये PSU कंपनियां आने वाले समय में अच्छा मुनाफा कमाएंगी, साथ ही सुरक्षा के मोर्चे पर देश को मजबूत भी बनाएंगी। आसान लहजा में कहें तो सरकार रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने के लिए कई कदम उठा रही है। इससे HAL, BEL, BDL, MDL और GRSE जैसी कंपनियों को फायदा होगा। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक एंटिक स्टॉक ब्रोकिंग ने पांच ऐसी कंपनियों को चुना है जिनमें विकास की अच्छी संभावना है। ये कंपनियां हैं: हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL), मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL), और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE)। ये पांचों कंपनियां भारत के लिए पांच तरह के हथियार बना रही हैं बिल्कुल वैसे ही जैसे महर्षि दधीचि की हड्डियों का उपयोग देवराज इंद्र के वज्र, पिनाक धनुष, सारंग धनुष, और गांडीव धनुष बनाने में किया गया था। इन धनुषों और वज्र का इस्तेमाल देवताओं ने असुरों के खिलाफ युद्ध में किया था। 1. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) भारत की एक बड़ी एयरोस्पेस कंपनी है। HAL के पास FY24 तक 94,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर हैं। मतलब अगले 3.2 सालों तक कंपनी अच्छी कमाई करती रहेगी। HAL को Su-30 MKI विमान के लिए 240 एयरो इंजन का 26,000 करोड़ रुपये का ऑर्डर मिलने वाला था। इससे HAL का ऑर्डर बढ़कर 1.2 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। HAL को ALH (25), LUH (12), Su-30 (12), और RD-33 इंजन (80) के भी ऑर्डर मिलने वाले थे। 2. मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड रिपोर्ट के मुताबिक मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) के पास तीनों शिपयार्ड में सबसे ज्यादा ऑर्डर हैं। 14 अगस्त 2024 तक MDL के पास 40,400 करोड़ रुपये के ऑर्डर थे। इसमें P17A स्टील्थ फ्रिगेट और P15B डिस्ट्रॉयर के बड़े ऑर्डर शामिल हैं। अगले दो सालों में MDL सात जहाजों की डिलीवरी करने वाला है। सरकार नौसेना को मजबूत करने पर ध्यान दे रही है, जिससे MDL को फायदा होगा। नए खरीद प्रस्तावों से MDL के ऑर्डर और बढ़ सकते हैं। 3. गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) के पास अभी 25,230 करोड़ रुपये के ऑर्डर हैं। जून तिमाही में कंपनी को 3,610 करोड़ रुपये के नए ऑर्डर मिले। GRSE अभी अपने मौजूदा ऑर्डर को पूरा करने पर ध्यान दे रही है। इसमें अगली पीढ़ी के अपतटीय गश्ती जहाजों के ऑर्डर शामिल हैं। GRSE का काम समय पर चल रहा है। उम्मीद है कि FY26 और FY27 तक कंपनी को अपने ऑर्डर बुक का एक बड़ा हिस्सा मिल जाएगा। इससे GRSE का विकास जारी रहेगा। 4. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) को भी फायदा होगा। सरकार ने हाल ही में एयर डिफेंस फायर कंट्रोल रडार खरीदने की मंजूरी दी है। BEL ऐसे रडार बनाने में माहिर है। BEL इलेक्ट्रॉनिक्स और रडार सिस्टम के क्षेत्र में एक बड़ी कंपनी है। यह भारत के रक्षा क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। BEL के पास अच्छे ऑर्डर हैं और यह रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। इसलिए, BEL का विकास जारी रहेगा। 5. भारत डायनेमिक्स लिमिटेड भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) गोला-बारूद और मिसाइल सिस्टम बनाने वाली एक बड़ी कंपनी है। BDL को फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल्स (FRCV) प्रोजेक्ट से फायदा होगा। BDL के पास अच्छे ऑर्डर हैं और यह अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान दे रही है। इससे BDL आधुनिक रक्षा सिस्टम की बढ़ती मांग को पूरा कर पाएगी। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 62

सिंहस्थ 2028 को लेकर इंदौर में तैयारियां शुरू, अब एमआर-10 का रेलवे ओवर 8 लेन का होगा, 2026 तक काम पूरा करना होगा

इंदौर एमआर-10 का रेलवे ओवर ब्रिज 4 की जगह 8 लेन का होगा। इससे सिंहस्थ से पहले मार्ग पर बॉटल नेक की स्थिति खत्म हो जाएगी। 48.82 करोड़ में बनने वाले ओवर ब्रिज के लिए आइडीए ने टेंडर जारी कर दिया है। ठेकेदार कंपनी को वर्ष 2026 तक काम पूरा करना होगा।  सिंहस्थ 2028 को लेकर इंदौर में तैयारियां शुरू हो गई हैं। उज्जैन की ओर जाने वाली अहम सड़क एमआर-10 पर बने रेलवे ओवर ब्रिज पर बॉटल नेक की स्थिति रहती है, क्योंकि यहां रेलवे ओवर ब्रिज 4 लेन का है, जबकि बाकी सड़क 8 लेन की है। आइडीए ने यहां 8 लेन बनाने का प्रस्ताव रेलवे को भेजा था, जिसे हाल ही में रेलवे ने मंजूरी दी। आइडीए 15 दिन में ठेकेदार कंपनी का चयन कर लेगा। 18 माह में ठेकेदार कंपनी काम पूरा करेगी। 50 हजार वाहन रोज गुजरते हैं विजय नगर सहित शहर के पूर्वी क्षेत्र को एयरपोर्ट और उज्जैन रोड से जोड़ने में एमआर-10 सड़क अहम है। यहां 50 हजार से अधिक वाहन नियमित रूप से आते-जाते हैं। दो दशक पहले आइडीए ने रेलवे ओवर ब्रिज बनवाया था और 17 साल तक टोल लिया गया। उत्तरी हिस्से में बनेगा ब्रिज एमआर-10 के दक्षिणी हिस्से में मेट्रो ट्रेन का ट्रैक व स्टेशन बनाया गया है। 8 लेन रेलवे ओवर ब्रिज उत्तरी हिस्से में बनेगा। यानी लवकुश चौराहे से विजय नगर आने वाले रास्ते के बाईं तरफ होगा। मौजूदा मार्ग लवकुश चौराहे की ओर जाने वाला हो जाएगा। ये भी पढें – NH-44 पर बनेगी सर्विस रोड, नितिन गडकरी ने दिए निर्देश 27 लाख रुपए जमा कराई फीस रेलवे ट्रैक के ऊपर ब्रिज बनाने में कठिन काम रेलवे की मंजूरी होता है। कुछ महीने पहले आइडीए ने 27 लाख फीस जमा कराई। इस पर रेलवे ने जनरल अरेंजमेंट ड्राइंग को मंजूरी दी। इसकी लंबाई 713.5 मीटर, चौड़ाई 14.50 मीटर तो रेलवे के ऊपर का हिस्सा 18 मीटर रहेगा। रेलवे के ऊपर का हिस्सा रेलवे ही बनाता है। एमआर-10 के रेलवे ओवर ब्रिज को 8 लेन किया जा रहा है। वर्तमान के फोर लेन ओवर ब्रिज के साथ 4 लेन और बनाई जाएगी। इसका टेंडर जारी कर दिया है। 2026 के अंत तक ठेकेदार कंपनी को काम पूरा करना होगा। -आरपी अहिरवार, सीईओ, आइडीए Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 5

एस-400 मिसाइल सिस्टम को भारतीय वायुसेना के बेड़े में सबसे ताकतवर हथियार

नई दिल्ली भारत लगातार अपनी वायु रक्षा प्रणाली को मजबूत कर रहा है ताकि पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से उत्पन्न होने वाले हवाई खतरों का प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सके. भारतीय वायु रक्षा प्रणाली में उन्नत मिसाइल सिस्टम, रडार और कमांड सेंटर शामिल हैं, जो दुश्मन के विमानों, ड्रोन और मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम हैं. भारत के दो तरफ उसके दुश्मन हैं. दोनों के पास खतरनाक मिसाइलों का जखीरा है. ड्रोन्स हैं. अटैक हेलिकॉप्टर्स हैं. फाइटर जेट्स हैं. भारत की सुरक्षा का लेवल बहुत जटिल है. सीमाओं और जरूरी स्थानों की सुरक्षा के लिए सटीक एयर डिफेंस सिस्टम की जरूरत है, ताकि चीन या PAK के हवाई हमले को करारा जवाब दिया जा सके. इजरायल के आयरन डोम जैसी हथियार प्रणाली की जरूरत है. क्या भारत में ऐसी प्रणाली है. या नहीं. दोनों तरफ दुश्मन, दोनों के पास खतरनाक हथियार पाकिस्तान और चीन के पास के पास कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें हैं. लंबी दूरी के रॉकेट्स हैं. कुछ तो 300 किलोमीटर की रेंज से भी ज्यादा के हैं. ये भारतीय सीमा के पास के शहरों, कस्बों और गांवों के लिए खतरा है. इजरायल का आयरन डोम कम दूरी के रॉकेट्स, आर्टिलरी गोले और बैलिस्टिक मिसाइलों को आसमान में ही खत्म कर देता है. इसलिए भारत को भी ऐसे ही रक्षाकवच की जरूरत है. भारत की जो भौगोलिक स्थिति है. जिस तरह से उसके दुश्मन दो अलग-अलग लोकेशन पर मौजूद हैं, उसके हिसाब से भारत को बहुत बड़े पैमाने पर खतरों का सामना करना है. इन खतरों में बैलिस्टिक, क्रूज और हाइपरसोनिक मिसाइलों और हथियारों का खतरा है. इसलिए भारत को ज्यादा सटीक बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) सिस्टम चाहिए. जिसमें कई तरह के लेयर हों. कम दूरी से लेकर अंतरिक्ष तक हमला करने लायक मिसाइलें. कैसे-कैसे एयर डिफेंस सिस्टम हैं भारत के पास? भारत को अपने एयर डिफेंस सिस्टम को विदेशी डिफेंस सिस्टम के साथ मिलाकर तैनात करने होंगे. भारत के एयर डिफेंस सिस्टम को मल्टी लेयर बनाना होगा. जैसे- पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD), एडवांस्ड एयर डिफेंस (AAD) और तीसरा लॉन्ग रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (LRSAM). रूस से लिए गए S-400 एयर डिफेंस सिस्टम से खाली काम नहीं चलेगा. इसके अलावा भारत को अपने छोटे से लेकर बड़े एयर डिफेंस सिस्टम को आपस में जोड़कर रखना होगा. ताकि वो बेहतर तरीके और सामंजस्य के साथ काम कर सके. एक्स-राड और स्वाति रडार डीआरडीओ द्वारा विकसित उन्नत रडार सिस्टम. 300 किमी तक लक्ष्य का पता लगाना, स्टील्थ विमानों को ट्रैक करने की क्षमता. ये रडार पाकिस्तानी विमानों और मिसाइलों की गतिविधियों को शुरुआती चेतावनी के साथ ट्रैक कर सकते हैं, जिससे जवाबी कार्रवाई तुरंत हो सकती है. आइए जानते हैं कि भारत के पास कौन-कौन से एयर डिफेंस सिस्टम हैं… इंडियन बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस प्रोग्राम इस प्रोग्राम के तहत कई रेंज की बैलिस्टिक मिसाइलों से बचाव के लिए डिफेंस सिस्टम बनाया गया है. इसके लिए दो लेयर वाली इंटरसेप्टर मिसाइलें बनाई गईं. ये हैं- पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD), जिसकी मिसाइलें बेहद अधिक ऊंचाई पर जाकर दुश्मन टारगेट को बर्बाद कर सकती हैं. दूसरा है एडवांस्ड एयर डिफेंस (AAD), इसकी मिसाइलें कम ऊंचाई वाले टारगेट्स को मार गिराने के लिए बनाई गई हैं. ये मिसाइल सिस्टम 5 हजार किलोमीटर या उससे ज्यादा दूरी से आने वाली हवाई खतरों को हवा में ही खत्म कर देती हैं. क्योंकि भारत को हमेशा से पाकिस्तान और चीन की बैलिस्टिक मिसाइलों को खतरा बना हुआ है. PAD सिस्टम की मिसाइलों की रेंज 300 से 2000 किलोमीटर है. ये जमीन से 80 किलोमीटर ऊपर दुश्मन टारगेट को नष्ट कर सकते हैं. ये मिसाइलें 6174 km/hr की स्पीड से दुश्मन की तरफ बढ़ती हैं. इसमें पृथ्वी सीरीज की सभी मिसाइलें शामिल हैं. अगर एडवांस्ड एयर डिफेंस यानी AAD की बात करें तो इसकी मिसाइलें वायुमंडल के नीचे अधिकतम 30 किलोमीटर की ऊंचाई तक टारगेट को ध्वस्त कर सकती हैं. इनकी ऑपरेशनल रेंज 150 से 200 किलोमीटर है. ये मिसाइलें 5556 km/hr की स्पीड से दुश्मन की तरफ बढ़ती हैं. इंटरमीडिएट इंटरसेप्शन यानी S-400 एयर डिफेंस सिस्टम S-400 एक बार में एक साथ 72 मिसाइल छोड़ सकती है. इस एयर डिफेंस सिस्टम को कहीं मूव करना बहुत आसान है क्योंकि इसे 8X8 के ट्रक पर माउंट किया जा सकता है. माइनस 50 डिग्री से लेकर माइनस 70 डिग्री तक तापमान में काम करने में सक्षम इस मिसाइल को नष्ट कर पाना दुश्मन के लिए बहुत मुश्किल है. क्योंकि इसकी कोई फिक्स पोजिशन नहीं होती. इसलिए इसे आसानी से डिटेक्ट नहीं कर सकते.   S-400 मिसाइल सिस्टम में चार तरह की मिसाइलें होती हैं जिनकी रेंज 40, 100, 200, और 400 km तक होती है. यह सिस्टम 100 से लेकर 40 हजार फीट तक उड़ने वाले हर टारगेट को पहचान कर नष्ट कर सकता है.  एस-400 मिसाइल सिस्टम का राडार बहुत अत्याधुनिक और ताकतवर है. इसका रडार 600 km तक की रेंज में करीब 300 टारगेट ट्रैक कर सकता है. यह सिस्टम मिसाइल, एयरक्राफ्ट या फिर ड्रोन से हुए किसी भी तरह के हवाई हमले से निपटने में सक्षम है. शॉर्ट रेंज इंटरसेप्शन… आकाश, पिछोरा जैसी मिसाइलें पेचोरा मिसाइल सिस्टम सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है पेचोरा (Pechora). भारत के पास इसके 30 स्क्वॉड्रन्स हैं. जो अलग-अलग सीमाओं पर सुरक्षा के लिए तैनात हैं. इसके 12 वैरिएंट्स हैं, जिनका इस्तेमाल दुनियाभर के 31 देश कर रहे हैं. इसमें लगी मिसाइल 953 kg वजनी होती है. इसकी नाक पर 60 kg का फ्रैगमेंटेड हाई एक्सप्लोसिव हथियार लगाते हैं. इसके ऑपरेशनल रेंज 3.5 से 35 km है. अधिकतम 59 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकती है. इसकी स्पीड 3704 से 4322 km/hr की गति से उड़ती है. पेचोरा मिसाइल की सबसे खास बात है कम ऊंचाई पर उड़ते हुए टारगेट को खत्म करने की ताकत. इसका राडार 32 से 250 किलोमीटर तक की रेंज में दुश्मन पर नजर रखता है. मिसाइल थोड़ा पुराने टेक्नीक पर काम करती है, यानी रेडियो कमांड गाइडेंस सिस्टम पर. कोई भी अत्याधुनिक विमान सबकुछ बंद कर सकता है लेकिन वह अपना रेडियो बंद नहीं कर सकता. अगर दुश्मन का विमान, हेलिकॉप्टर रेडियो बंद नहीं कर पाएगा तो यह मिसाइल उसे ध्वस्त कर देगी. यहां तक कि छोटे-मोटे ड्रोन्स का भी … Read more

जल गंगा संवर्धन अभियान: 4 हजार 700 का मिला था लक्ष्य, बनाए 4 हजार 838

भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश पुराने जल स्त्रोतों को सहेजने, नया जीवन देने और किसानों को सिंचाई व पीने के लिए नलकूप, कुओं से पर्याप्त मात्रा में पानी मिले, इसके लिए राज्य सरकार द्वारा प्रदेश भर में जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया जा रहा है। प्रदेश के सभी जिलों में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) अंतर्गत खेत तालाब, कूप रिचार्ज पिट, सोख्ता गड्ढ़ा, बोरी बंधान सहित बारिश का पानी रोकने के लिए अन्य कार्य किए जा रहे हैं। इसके लिए सभी जिलों को लक्ष्य भी दिया गया है। खंडवा जिला प्रदेश का पहला ऐसा जिला बना है, जिसने कूप रिचार्ज पिट निर्माण में 100 फीसदी का लक्ष्य हासिल किया है। 4 हजार 700 का मिला था लक्ष्य, बनाए 4 हजार 838 जल गंगा संवर्धन अभियान अंतर्गत खंडवा जिले को 4 हजार 700 कूप रिचार्ज पिट बनाने का लक्ष्य मिला था, जिसे समय से पहले और लक्ष्य से अधिक पूरा कर लिया गया है। जिले में 4 हजार 838 कूप रिचार्ज पिट बनाए गए हैं। जिला पंचायत सीईओ खंडवा नागार्जुन बी. गौड़ा ने बताया कि कलेक्टर ऋषव गुप्ता के मार्गदर्शन में जिले में 15 हजार कूप रिचार्ज पिट बनाए जा रहे हैं, करीब 10 हजार का कार्य प्रगतिरत है। जल संचय, जन भागीदारी अभियान में देश में तीसरे नंबर पर है खंडवा जिला बारिश के पानी का संचयन करने के लिए भारत सरकार के केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा " जल संचय, जन भागीदारी अभियान राष्ट्रीय अभियान चलाया जा रहा है, इसमें देश के सभी जिलों में बारिश के पानी को एकत्र करने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग रिचार्ज पिट, स्टॉप डैम, सोख्ता गड्ढा सहित विभिन्न प्रकार के कार्य किए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश का खंड़वा जिला 7 मई की स्थिति में देश में तीसरे नंबर पर है। 30 मार्च 2025 से 30 जून 2025 तक चलेगा अभियान प्रदेश में बारिश के पानी को सहेजने, पुराने जल स्रातों को संवारने के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रदेशभर में 30 मार्च 2025 से 30 जून 2025 तक जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया जा रहा है। कूप रिजार्च पिट के फायदे कूप रिचार्ज पिट, जिसे रिचार्ज शाफ्ट या रिचार्ज पिट भी कहा जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य भू-जल स्तर को बढ़ावा देना है। बारिश का पानी जमीन के अंदर रिसने से भू-जल स्तर बढ़ता है। साथ ही कूप या नलकूपों के सूखने की संभावना भी कम रहती है। साथ ही सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता बनी रहती है।   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 15