नई दिल्ली
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर है. पाकिस्तान को भारत की संभावित जवाबी कार्रवाई का अंदेशा है और इस वजह से वह सहमा हुआ है. वह कभी पहलगाम आतंकी हमले की तीसरे पक्ष से निष्पक्ष जांच करवाने और इसमें सहयोग करने, तो कभी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस मुद्दे को उठा रहा है. पाकिस्तान ने शुक्रवार को कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत के साथ तनाव बढ़ने पर उसे उचित समय पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने का अधिकार है.
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार अहमद ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह सबकुछ जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में हो रहा है. अहमद इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या पाकिस्तान जम्मू एवं कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने की योजना बना रहा है. इस हमले में 26 लोग मारे गए थे. पाकिस्तान वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का एक अस्थायी सदस्य है और जुलाई में 15 देशों वाली संयुक्त राष्ट्र संस्था की अध्यक्षता करेगा.
PAK को सता रहा भारत की जवाबी कार्रवाई का डर
उन्होंने कहा, 'यह स्पष्ट है कि पहलगाम में एक घटना हुई है, लेकिन अब जो स्थिति उत्पन्न हुई है उससे क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए वास्तविक खतरा है. हमारा मानना है कि सुरक्षा परिषद को वास्तव में ऐसा करने का अधिकार है. पाकिस्तान सहित परिषद के किसी भी सदस्य के लिए यह पूरी तरह उचित होगा कि वह सुरक्षा परिषद की बैठक और चर्चा का अनुरोध करे, ताकि इस गंभीर स्थिति पर विचार किया जा सके.'
अहमद ने कहा, 'हमने परिषद के सदस्यों के साथ इस पर चर्चा की है. हमने पिछले महीने की अध्यक्षता और इस महीने की अध्यक्षता के साथ इस पर चर्चा की है. हम स्थिति पर बहुत बारीकी से नजर रख रहे हैं और हमें उचित लगने पर बैठक बुलाने का अधिकार है.' पाकिस्तानी उच्चायुक्त ने अपने रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ की उस टिप्पणी के बारे में पीटीआई द्वारा पूछे गए सवाल का सीधे जवाब देने से परहेज किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान तीन दशक से अमेरिका और पश्चिमि देशों के लिए 'गंदा काम' करता रहा है.
पाकिस्तान तीन दशक से आतंकवाद को दे रहा पराश्रय
दरअसल, पहलगाम हमले के परिप्रेक्ष्य में स्काई न्यूज के एंकर यल्दा हाकिम ने ख्वाजा आसिफ से सवाल किया था, 'आप स्वीकार करते हैं कि पाकिस्तान का इन आतंकवादी संगठनों को समर्थन, प्रशिक्षण और वित्तपोषण देने का एक लंबा इतिहास रहा है?' इसके जवाब में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा था, 'आप जानते हैं कि हम संयुक्त राज्य अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए यह गंदा काम लगभग तीन दशकों से कर रहे हैं, और ब्रिटेन भी इसमें शामिल है.'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहलगाम आतंकी हमले के दो दिन बाद 24 अप्रैल को बिहार में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था, 'आतंकवादियों और आकाओं और इस हमले के साजिशकर्ताओं को उनकी कल्पना से भी कड़ी सजा देंगे. देश के दुश्मनों ने न केवल निहत्थे पर्यटकों को निशाना बनाया, बल्कि भारत की आत्मा पर हमला करने का दुस्साहस किया है.' गत 29 अप्रैल को एक उच्चस्तरीय बैठक में पीएम मोदी ने भारतीय सेना को खुली छूट दी थी और कहा था कि पहलगाम आतंकवादी हमले पर भारत की प्रतिक्रिया क्या होनी चाहिए इसका तरीका, लक्ष्य और समय सेना तय करे.
भारत को रोको, हमें बचाओ; UNSC में रोया पाकिस्तान तो अब चर्चा की तैयारी
भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से कश्मीर मुद्दे पर हस्तक्षेप करने और तनाव को कम कराने की गुहार लगाई है। पाकिस्तान के अमेरिका में राजदूत रिजवान सईद शेख ने चेतावनी दी कि "कोई भी गलत कदम या गलत अनुमान परमाणु संघर्ष की ओर ले जा सकता है।" शेख ने कश्मीर को "विश्व का सबसे खतरनाक परमाणु फ्लैशपॉइंट" करार देते हुए ट्रंप से इस मुद्दे पर निर्णायक भूमिका निभाने का आग्रह किया है।
Fox News Digital से बातचीत में शेख ने कश्मीर को "परमाणु फ्लैशपॉइंट" करार देते हुए कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप इस मुद्दे को हल करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा, "यह राष्ट्रपति ट्रंप की विरासत का एक अहम हिस्सा बन सकता है, यदि वे इस मसले को सतही उपायों से नहीं बल्कि कश्मीर विवाद जैसे मूल कारणों को संबोधित करके हल करें।"
राजदूत शेख ने भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की प्रतिक्रिया को "खतरनाक और भड़काऊ" बताया। उन्होंने कहा कि हमले के महज 10 मिनट बाद ही भारत की ओर से पाकिस्तान पर आरोप लगाए गए। उन्होंने कहा, "भारत ने आरोप लगाने में एक मिनट भी नहीं गंवाया और बिना किसी जांच के ही पाकिस्तान को दोषी ठहराया। हमने सबूत शेयर करने की मांग की और निष्पक्ष व पारदर्शी जांच में भाग लेने की पेशकश की, लेकिन हमें कोई जवाब नहीं मिला।"
"परमाणु युद्ध की संभावना को नजरअंदाज न करें"
पाकिस्तानी राजदूत को भारत की संभावित प्रतिक्रिया से डर लग रहा है। यही वजह है कि वे दूसरे देशों के आगे गुहार लगा रहे हैं कि भारत को रोका जाए। राजदूत ने कहा कि यह क्षेत्र 1.5 अरब से ज्यादा लोगों का घर है और इस तरह के युद्धोन्माद भरे बयानात क्षेत्र को एक बार फिर से "युद्ध की मानसिकता का बंधक" बना रहे हैं। पाकिस्तानी दूत ने गीदड भभकी देते हुए कहा कि "कोई भी गलतफहमी या गलत निर्णय, परमाणु युद्ध में बदल सकता है – जो इस घनी आबादी वाले क्षेत्र के लिए विनाशकारी होगा।"
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के लिए बहने वाली नदियों के जल प्रवाह को एकतरफा रोकने की धमकी, अंतरराष्ट्रीय संधियों का खुला उल्लंघन है। उन्होंने इंडस वॉटर ट्रीटी का हवाला देते हुए कहा, "यह संधि भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्धों के दौरान भी कायम रही, इसे तोड़ना अंतरराष्ट्रीय कानून की घोर अवहेलना है।" पहलगाम हमले के बाद भारत ने सिंधु जल समझौता निलंबित कर दिया है जिससे पाकिस्तान और भड़का नजर आ रहा है। भारत के इस कदम से पाकिस्तान को भारी चोट लगेगी।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से दखल की मांग
पाकिस्तानी दूत के बयानों में भारत की विदेश नीति से जलन साफ नजर आई। दरअसल भारत की मजबूत विदेश नीति के चलते ज्यादातर देश जम्मू-कश्मीर को भारत का हिस्सा मानते हैं और किसी भी तरह की बेतुकी बयानबाजी से बचते रहे हैं। लेकिन पाकिस्तान बार-बार दूसरे देशों से गुहार लगाता रहा है। शेख ने कहा कि जब भी क्षेत्र में तनाव बढ़ा है, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने शुरू में ध्यान दिया, लेकिन स्थायी समाधान के बिना ही अपनी नजरें हटा लीं। उन्होंने कहा, "इस बार वैश्विक हालात को देखते हुए समय रहते ऐसा कदम उठाना चाहिए जो स्थायी शांति की दिशा में हो, न कि केवल अस्थायी समाधान हो।" दुनिया जानती है कि पाकिस्तान आतकंवाद का सबसे पड़ा पनाहगार रहा है। लेकिन पाक दूत ने कहा कि पिछले दो दशकों में पाकिस्तान ने आतंकवादी हमलों में 70,000 से 90,000 लोगों को खोया है।
पहलगाम हमले ने बढ़ाया तनाव
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें अधिकांश हिंदू पर्यटक थे। इसने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। भारत ने इस हमले के लिए आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान को जिम्मेदार नहीं ठहराया है, लेकिन भारतीय खुफिया एजेंसियों का मानना है कि इसमें पाकिस्तानी नागरिक शामिल थे। इस हमले के बाद भारत ने सख्त रुख अपनाते हुए अपनी सेना को "पूरी ऑपरेशनल स्वतंत्रता" देने की बात कही है, जिससे पाकिस्तान में बेचैनी बढ़ गई है।

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