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इंदौर

प्रदेश सरकार ने मध्य प्रदेश मेट्रो पाॅलिटन एक्ट की मंजूरी दी है। अब महानगर विकास प्राधिकरण का गठन होगा। इसका सेटअप नए सिरे से होगा या इंदौर विकास प्राधिकरण को इसमे मर्ज किया जाएगा, यह तय नहीं है। राजनीतिक समीकरणों पर इस एक्ट का प्रभाव न पड़े। इस पर भी सरकार की नजर है।

नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि महानगर विकास प्राधिकरण समन्वय की भूमिका में रहेगा, इसके अधीन नगर निगम या विकास प्राधिकरण नहीं होंगे,हालांकि इसके गठन में भी अभी लंबा समय लगना है। इंदौर महानगर रीजन में पांच जिले धार, उज्जैन, देवास,इंदौर और शाजापुर जुड़ेंगे। पांचों जिलों की आबादी 60 लाख है। रीजन का प्लान 75 लाख की आबादी के हिसाब से होगा और इसका दायरा 9 हजार वर्ग किलोमीटर हो जाएगा।

नर्मदा पेयजल योजना का प्लान नए सिरे से बनेगा

अभी नर्मदा परियोजना अलग-अलग शहरों में बनी है। इंदौर में नर्मदा का चौथा चरण लाने की तैयारी की जा रही है। उज्जैन और देवास को भी नर्मदा- शिप्रा योजना से पानी मिल रहा है। महानगर रीजन बनने के बाद पेयजल की समग्र योजना तैयार हो सकती है। इसके लिए केंद्र से भी ज्यादा पैसा मिलेगा।

शिप्रा शुद्धिकरण योजना भी तीनों शहरों को मिलाकर

शिप्रा नदी तीन शहर इंदौर, देवास और उज्जैन से जुड़ी है। इंदौर की कान्ह नदी उज्जैन के पहले शिप्रा नदी में मिलती है। कान्ह नदी प्रदूषित नदी है। इस कारण शिप्रा का जल भी गंदा हो जाता है,जबकि देवास शहर के बड़े हिस्से को शिप्रा नदी से पानी सप्लाई होता है। सिंहस्थ के लिए इंदौर में अलग और उज्जैन के लिए अलग योजना बनती थी, लेकिन अब एक ही शुद्धिकरण प्लान बनेगा। इससे इंदौर से लेकर उज्जैन तक ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाएंगे।

जनप्रतिनिधि भी होंगे शामिल

कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि महानगर विकास प्राधिकरण के लिए तीन कमेटियां बनेगी। तीसरी कमेटी में जनप्रतिनिधि भी शामिल होंगे और उनकी स्वीकृति के बाद ही योजना को अमल में लाया जाएगा। एक्ट बनने के बाद अब महानगर प्राधिकरण का सेटअप तैयार किया जाएगा।

 

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