Fear of scam of more than one thousand crore rupees, officials collecting documents
इंदौर नगर निगम में हुए घोटाले के एक हजार करोड़ रुपये से अधिक होने की आशंका जताई जा रही है। इसको लेकर पूर्व महापौर गोपीकृष्ण नेमा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। इधर, निगम अधिकारी विशेष दल द्वारा गठित जांच द्वारा मांगे गए दस्तावेज जुटा रहे हैं।
इंदौर। फर्जी फाइलों और बिलों के जरिए निगम में हुए सवा सौ करोड़ के घोटाले का आकार लगातार बढ़ रहा है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक गोपीकृष्ण नेमा ने इस घोटाले के एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा बड़े होने की आशंका व्यक्त की है।
मुख्यमंत्री को लिखे चार पेज के पत्र में नेमा ने कहा है कि अपने अनुभव के आधार पर मैं यह कह सकता हूं कि यह घोटाला जितना सीधा दिख रहा है उतना है नहीं। पुराने हिसाब की जांच की जाए तो यह एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा बड़ा निकलेगा और इसमें कई पुराने अधिकारी भी जांच के दायरे में आएंगे। नेमा ने मुख्यमंत्री से इस मामले की बारीकी से जांच की मांग की है।
इधर नगर निगम के अधिकारी विशेष जांच दल द्वारा मांगी गए दस्तावेज जुटाने में लग गए हैं। निगमायुक्त ने सभी अधिकारियों से कहा है कि वे चाहे गए दस्तावेज और जानकारी जल्द से जल्द विशेष जांच दल को उपलब्ध करवा दें।
16 अप्रैल को दर्ज हुई एफआईआर
यह घोटाला उस वक्त चर्चा में आया जब 16 अप्रैल को नगर निगम के ड्रेनेज विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर सुनील गुप्ता की रिपोर्ट पर एमजी रोड पुलिस ने पांच फर्मों और उनके संचालकों पर एफआईआर दर्ज की थी। आरंभिक रूप में यह जानकारी सामने आई थी कि इन फर्मों ने लेखा विभाग में ड्रेनेज काम के 20 फर्जी बिल प्रस्तुत किए हैं और ये फर्में 28 करोड़ रुपये का भुगतान प्राप्त करने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन जांच के दौरान पता चला कि निगम से इन फर्मों को इन 20 फर्जी बिलों का तीन करोड़ 20 लाख रुपये का भुगतान हो भी चुका है।
लगातार बढ़ रहा आंकड़ा
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी घोटाले का आकार भी बढ़ता गया। नगर निगम के अधिकारी भी स्वीकार कर रहे हैं कि फर्मों ने करीब 107 करोड़ रुपये के फर्जी बिल प्रस्तुत किए थे और इसके उन्हें 81 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान हो भी चुका है। हालांकि यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है।