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ढाका
सरकार, आवाम, अधिकारी, जज और अब सेना. बांग्लादेश में कोई भी सुरक्षित नहीं है. कई दिनों से जारी हिंसा अब बेकाबू हो गई है. इसी बीच सेना के जवानों पर भी हमले की खबर है. सेना की गाड़ी पर ये हमला गोपालगंज इलाके में हुआ. ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, इस घटना में सेना के जवानों, पत्रकारों और स्थानीय लोगों सहित 15 लोग घायल हो गए हैं. घायलों में दो को गोली लगी है. यह घटना शनिवार शाम करीब 4 बजे तब हुई जब अवामी लीग के हजारों कार्यकर्ता शेख हसीना की वापसी की मांग करते हुए सड़क पर थे.

जवानों ने प्रदर्शन से रोका तो कर दिया हमला

रिपोर्ट के अनुसार, हजारों की संख्या में अवामी लीग के नेता, कार्यकर्ता और स्थानीय लोग पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की देश में वापसी की मांग कर रहे थे. उन्होंने ढाका-खुलना राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया था. इसी बीच सेना की गाड़ी वहां पहुंची और उन्होंने प्रदर्शनकारियों से सड़क को खोलने और प्रदर्शन को खत्म करने की अपील की. लेकिन भीड़ ने उन पर ईंटें फेंकना शुरू कर दिया. बाद में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सेना के जवानों ने लाठियां भांजी.

इसके जवाब में प्रदर्शनकारियों ने सेना के वाहन में तोड़फोड़ की और उसे आग के हवाले कर दिया.गोपालगंज कैंप के लेफ्टिनेंट कर्नल मकसुदुर रहमान ने घटना की पुष्टि की और कहा कि करीब 3,000 से 4,000 लोगों ने इकट्ठा होकर सड़क जाम कर दी है. हमले में सेना के कई जवान घायल हुए हैं.गोपीनाथपुर संघ के पूर्व अध्यक्ष लच्छू शरीफ ने कहा कि सेना के सदस्यों ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए गोलीबारी की. एक बच्चे सहित दो लोगों को गोली मार दी गई. घटना में किसी की मौत नहीं हुई.

भारत-बांग्लादेश सीमा पर अलर्ट

पड़ोसी देश बांग्लादेश में अशांति के मद्देनजर असम पुलिस भारत-बांग्लादेश सीमा पर हाई अलर्ट पर है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी व्यक्ति अवैध रूप से राज्य में प्रवेश न कर सके. पुलिस महानिदेशक जी.पी. सिंह ने कहा कि केंद्र ने निर्देश जारी किया है कि किसी भी व्यक्ति को बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

हिंदुओं पर हो रहे हमले

बांग्लादेश में हिंदुओं को भी निशाना बनाया जा रहा है. कई मंदिरों को आग लगा दी गई है. इसी बीच अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने शनिवार को हिंसा प्रभावित अल्पसंख्यक समुदायों पर हमलों की निंदा की. उन्होंने अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को जघन्य बताया और सभी युवाओं से हिंदू, ईसाई, बौद्ध परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया. बांग्लादेश के दो हिंदू संगठनों- बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद और बांग्लादेश पूजा उद्यापन परिषद के अनुसार, 5 अगस्त को शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के पतन के बाद से बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को 53 जिलों में हमलों की कम-से-कम 205 घटनाओं का सामना करना पड़ा.

 

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