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भोपाल
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में स्किन बैंक शुरू हो गई है। हमीदिया अस्पताल परिसर के कमला नेहरू अस्पताल की पहली मंजिल में बनी स्किन बैंक में जिंदा और मृत दोनों तरह के व्यक्ति अपनी त्वचा यानि स्किन दान कर सकते हैं। इस मामले पर डॉ. कविता एन. सिंह ने बताया कि विभिन्न हादसों और आग से झुलसे लोगों के इलाज के लिए त्वचा की आवश्यकता होती है। बर्न एंड प्लास्टिक डिपार्टमेंट द्वारा स्किन बैंक शुरू की गई है।

भोपाल के हमीदिया मेडिकल कॉलेज से पहले जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में पहले से ही स्किन बैंक संचालित है। डॉक्टर्स के अनुसार 30 प्रतिशत से 60 प्रतिशत से अधिक जलने वाले मरीजों की खुद की चमड़ी पूरी जल जाती है। उन्हें स्किन की जरूरत पड़ती है, लेकिन स्किन मिलने में दिक्कत होती है। अब यह बैंक उस कमी को पूरा करेगी। जिस तरह से लोग ऑर्गन, ब्लड, किडनी डोनेशन करते हैं, ठीक उसी तरह स्किन भी डोनेट की जा सकती है।
डीप फ्रीजन में डोनेट स्किन एक साल तक सुरक्षित

डोनेशन के बाद स्किन को डीप फ्रीजन में एक साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है। लाइव डोनर को 24 घंटे बाद छुट्‌टी भी दी जा सकती है। 15 दिन में डोनर की स्किन भी पूरी तरह हील हो जाती है। इसके अलावा मृत व्यक्ति के शरीर से भी स्किन ली जा सकती है। यह स्किन हाथ और पैरों से ली जाती है। मरने से 6 घंटे बाद तक स्किन ले सकते हैं। मृत्यु के बाद शव को प्रिजर्व कर दिया जाये तो 12 घंटे तक भी स्किन ली जा सकती है। एक व्यक्ति के स्किन डोनेशन से 20 से 25 मरीजों को लाभ मिल सकता है।

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