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भोपाल
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में एक अक्टूबर से बिल समाधान प्रणाली (इनवाइस मैनेजमेंट सिस्टम) लागू हो जाएगी। इससे व्यापारियों का काम बढ़ने वाला है। सामान खरीदने वाले व्यवसायी को अपने खरीदी बिलों को जीएसटी पोर्टल पर या तो स्वीकार या फिर रद (रिजेक्ट) करना पड़ेगा।

दोनों काम नहीं करने पर बिल लंबित हो जाएंगे। ऐसे में निर्धारित अवधि के बाद बिल अपने आप स्वीकार हो जाएंगे। इससे सामान खरीदने वाले व्यापारी को यह नुकसान हो सकता है कि जो सामान उसने खरीदा नहीं है उसका बिल भी स्वीकार हो जाए। ऐसा होने पर विभाग गड़बड़ी के आरोप में कार्रवाई कर देगा। अभी तक एक-एक बिल स्वीकार या रद नहीं करना पड़ता, जिससे काम का दबाव कम था।

क्या है आज से लागू 'विवाद से विश्वास' स्कीम

    आयकर में 'विवाद से विश्वास' स्कीम सहित कई नए प्रावधान मंगलवार से लागू होने जा रहे हैं। 'विवाद से विश्वास' पुराने बकाया के समाधान के लिए है।
    इसके अंतर्गत टैक्स के लंबित मामलों का निपटारा हो सकेगा। करदाता पुरानी मांगों को खत्म करने के लिए इसका लाभ उठा सकेंगे।

व्यापारियों के हित में

    एक अक्टूबर से कई बदलाव हो रहे हैं। कई व्यापारियों के हित में हैं। हालांकि, कुछ बदलाव से काम का दबाव बहुत अधिक बढ़ जाएगा। – मृदुल आर्य, अध्यक्ष, टैक्स ला बार एसोसिएशन भोपाल

यह बदलाव भी होंगे

    आयकर के टीडीएस के नियमों में भी बदलाव हो जाएंगे। जीवन बीमा से प्राप्त राशि एवं एजेंटों को दिए जाने वाले कमीशन पर पांच प्रतिशत के स्थान पर केवल दो प्रतिशत टीडीएस की कटौती होगी ।

    शेयरों की खरीदी बिक्री पर लगने वाले सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स को भी 0.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 0.2 प्रतिशत कर दिया गया है।

    एक नवंबर से जीएसटी में वर्ष 2017-18 से वर्ष 2019-20 तक की पुरानी ब्याज एवं अर्थदंड की मांगों को खत्म करने की योजना लागू हो जाएगी, जिसका व्यापारियों को लाभ मिलेगा।

 

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