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नई दिल्ली
 विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने अक्टूबर महीने में भारतीय बाजार में भारी बिकवाली करते हुए 1,13,858 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। यह अब तक किसी एक महीने में की गई सबसे बड़ी बिकवाली है। हालांकि वे इस दौरान प्राइमरी मार्केट में सक्रिय खरीदार बने रहे। सेकंडरी मार्केट मे भारी बिकवाली के उलट उन्होंने प्राइमरी मार्केट में 19,842 करोड़ रुपये का निवेश किया। विदेशी निवेशक भारत में बेचो और चीन में खरीदो की नीति पर चल रहे थे। लेकिन चीन का बाजार एक बार फिर दबाव में लौटता दिख रहा है। चीनी शेयरों में तेजी कम हो रही है। हाल में शंघाई और हैंग सेंग सूचकांकों में गिरावट आई है।

एफपीआई के व्यवहार में इस तरह के विरोधाभास के बारे में जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वी के विजयकुमार ने कहा कि प्राइमरी मार्केट के इश्यू ज्यादातर उचित मूल्यांकन पर हैं, जबकि बेंचमार्क सूचकांक ऊंचे मूल्यांकन पर कारोबार कर रहे हैं। एफपीआई की लगातार बिकवाली से बेंचमार्क सूचकांकों में पीक से लगभग 8% की गिरावट आई है। एफपीआई आगे भी बिकवाली जारी रख सकते हैं जिससे बाजार में किसी भी संभावित तेजी पर रोक लग सकती है।

चीन की निकली हवा

लेकिन यह ट्रेंड देखने को मिला है वित्तीय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर एफपीआई की बिकवाली के बावजूद यह सेक्टर लचीला बना हुआ है। इससे साफ है कि भारतीय शेयरों का उचित मूल्यांकन हैं क्योंकि बिक्री घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) और व्यक्तिगत निवेशकों ने बिकवाली को एबजॉर्ब किया है। विदेशी निवेशक भारत से पैसा निकालकर चीन में लगा रहे थे। इसकी वजह यह थी कि चीन की सरकार ने भारी-भरकम पैकेज की घोषणा की थी। उसके बाद चीन के बाजारों में कुछ तेजी दिख रही थी।

लेकिन अब एक बार फिर चीन के बाजार में दबाव हावी होने लगा है। हाल के दिनों में शंघाई और हैंग सेंग इंडेक्स में गिरावट आई है। वैश्विक मोर्चे पर बाजार आने वाले सप्ताह में कुछ दिनों के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों पर प्रतिक्रिया देंगे। उसके बाद अमेरिकी में जीडीपी के आंकड़े, महंगाई और फेड के दर में कटौती जैसे बुनियादी कारक बाजार की चाल को प्रभावित करेंगे।

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