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ग्वालियर

ग्वालियर में कांग्रेस के कार्यकारी शहर अध्यक्ष अमर सिंह माहौर ने अपने घर में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। घटना के वक्त वे घर में अकेले थे। दामाद केशव दुकान गए थे और बेटी कीर्ति यूनिवर्सिटी। बेटी जब घर लौटी, तो कमरा अंदर से बंद मिला। उसने अपने पति और अन्य रिश्तेदारों को फोन किया। सभी के आने पर दरवाजा तोड़ा गया। अंदर देखा गया कि अमर सिंह का शव फांसी पर लटका हुआ था। दामाद ने बताया कि अमर सिंह जमीन के नामांकन संबंधी फर्जी दस्तावेज तैयार करने के आरोप में दर्ज केस से परेशान थे। वे ज्यादातर समय घर पर ही रहते थे और फोन भी अक्सर बंद रखते थे।

बताया गया कि पान पत्ते की गोठ निवासी अमर सिंह पेशे से एडवोकेट थे। उनका कोई बेटा नहीं है। माधौगंज थाना प्रभारी प्रशांत शर्मा ने बताया कि मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। परिवार के लोग फिलहाल बयान देने की स्थिति में नहीं हैं। इसलिए यह स्पष्ट नहीं हो सका कि उन्होंने ऐसा कदम क्यों उठाया।

जमीन के फर्जी दस्तावेज बनवाने के लगे थे आरोप
पुलिस ने बताया कि 26 नवंबर को अदालत के आदेश पर पद्मपुर खेरिया निवासी धारा सिंह की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई थी। इस मामले में अमर सिंह के साथ प्रॉपर्टी डीलर संदीप सिंह चौहान को आरोपी बनाया गया था। बताया गया है कि संदीप ने करीब 12 बीघा जमीन के नामांकन दस्तावेज नोटरी अमर सिंह के माध्यम से तैयार कराए थे। धारा सिंह का आरोप था कि दस्तावेज फर्जी थे। इस मामले में अमर सिंह को हाईकोर्ट से एक लाख रुपए की सशर्त अग्रिम जमानत मिली थी।

छात्र जीवन से राजनीति से जुड़े
अमर सिंह 1976-78 में माधव महाविद्यालय छात्र संघ में पदाधिकारी बने। इसके बाद ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन से जुड़कर छात्र राजनीति की। फिर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता ली। 1984 में माधवराव सिंधिया की मुरार में प्रचार सभा के दौरान उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ली। वे संगठन में लगातार सक्रिय रहे। ग्वालियर विकास प्राधिकरण (जीडीए) के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने बीड़ी श्रमिकों के लिए 1 रुपए की किश्त पर 18 आवासों का आवंटन कराया था, जिससे वे चर्चा में आए थे।

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