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ग्वालियर
 मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के ग्वालियर (Gwalior) में परिवार के सदस्यों के बीच खूनी संघर्ष देखने को मिला। सदस्यों के बीच हुए भीषण खून-खराबे में एक व्यक्ति की मौत हो गई है, जबकि अन्य तीन लोग घायल हो गए हैं। बताया जा रहा है कि लड़ाई की वजह 60 करोड़ रुपए की कीमत (Price of Rs 60 crores) वाली बेशकीमती जमीन (Precious land) है, जिसके बारे में पंचायत चलते समय विवाद बढ़ा और फिर खूनी रूख अख्तियार कर लिया।

दरअसल ग्वालियर के एक यादव परिवार और उनके नजदीकी रिश्तेदारों की मौजूदगी में पंचायत की बैठक हो रही थी। तभी दो भाइयों हुकुम सिंह और रामू यादव के बीच में विवाद बढ़ गया। इस बीच हुकुम सिंह ने परिवार की कुछ महिलाओं सहित रामू और दिनेश पर षडयंत्र करके हमला करने का आरोप लगाया। और फिर विवाद बढ़ता ही चला गया और गोलियां चलने तक की नौबत आ गई।

जब हम मृतक पुरुषोत्तम यादव के घर पहुंचे, तो वहां काफी संख्या में लोग जमा थे, क्योंकि कुछ ही देर में गोली लगने से मरने वाले युवक की बॉडी आने वाली थी। जिसके रिश्तेदार और गांव वाले अंतिम संस्कार की तैयारी में लगे थे। पूरे घर में गमगीन माहौल था। यहां महिलाएं रो-बिलख रही थीं।

पुरुषोत्तम यादव के घर के पास दो घर छोड़कर आरोपियों का घर है, जहां सन्नाटा पसरा हुआ था और घर के बाहर ताला लगा था। वहां के पुरुष, महिलाएं और बच्चे सभी घर छोड़कर भाग चुके हैं। वहीं, आरोपियों के घर के बाहर और पूरे गांव में भारी पुलिस बल तैनात है।

60 करोड़ की जमीन बनी खूनी संघर्ष की वजह करीब साढ़े 17 बीघा जमीन, जिसकी मौजूदा कीमत लगभग 60 करोड़ रुपए आंकी जा रही है, इसी के बंटवारे को लेकर विवाद हुआ। पंचायत के दौरान दोनों पक्षों के बीच कहासुनी इतनी बढ़ गई कि देखते ही देखते गोलियां चलने लगीं। पुलिस मामले की जांच कर रही है और आरोपियों की तलाश जारी है।

ऐसे समझिए पूरा मामला ग्वालियर के गिरवाई थाना क्षेत्र स्थित गोकुलपुरा में हुकुम सिंह यादव और उनके भाई पंचम सिंह यादव के बीच पुश्तैनी जमीन को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। यह जमीन 1989 में हुकुम सिंह के पिता मजबूत सिंह ने खरीदी थी। चूंकि हुकुम सिंह के छोटे भाई बालमुकुंद और बड़े भाई शिवचरण उस समय नाबालिग थे, इसलिए जमीन बड़े भाई पंचम सिंह यादव के नाम कर दी गई थी।

बाद में, हुकुम सिंह, बालमुकुंद और शिवचरण ने 2000 में कानूनी कार्रवाई कर जमीन अपने नाम करा ली। हालांकि, 2018 में पंचायत बैठी, जिसमें जमीन का एक हिस्सा पंचम सिंह, शिवचरण और बालमुकुंद को दिया गया, जबकि दूसरा हिस्सा पंचम सिंह की पत्नी कमला यादव और उनके बेटे रामू व रामबरन यादव के नाम हुआ।

लेकिन 2021 में कमला और उनके बेटों ने कथित रूप से फर्जी दस्तावेज तैयार कर पूरी जमीन अपने नाम करा ली। इसके बाद विवाद कोर्ट तक पहुंच गया, जहां 2021 में कोर्ट ने हुकुम सिंह के पक्ष में फैसला सुना दिया। बावजूद इसके, दूसरा पक्ष मानने को तैयार नहीं था। प्रशासनिक अधिकारी कई बार सुलह का प्रयास कर चुके थे, लेकिन समस्या का समाधान नहीं निकल पाया।

पंचायत में हथियारों के साथ पहुंचने पर दूसरे पक्ष ने की फायरिंग बुधवार को कुछ रिश्तेदारों ने दोनों पक्षों के बीच दुश्मनी खत्म करने के लिए पंचायत बुलाकर बातचीत कराने की पहल की थी। इस दौरान मजबूत सिंह के बड़े बेटे, पंचम सिंह की पत्नी कमला और उसका बेटा रामू यादव हथियारों के साथ वहां पहुंच गए।

इसके बाद कमला के बेटे रामबरन, रामू, रणवीर और दिनेश ने पिस्टल, माउजर और बंदूक से अपने चाचा हुकुम सिंह, शिवचरण, बालमुकुंद और चचेरे भाई पुरुषोत्तम पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। बचाव में हुकुम सिंह, शिवचरण, बालमुकुंद और पुरुषोत्तम ने भी जवाबी फायरिंग की।

इस गोलीबारी में हुकुम सिंह के पक्ष से उनके भाई बालमुकुंद सिंह यादव, पूर्व सरपंच शिवचरण सिंह यादव, भतीजा पुरुषोत्तम सिंह यादव और धीरज यादव गोली लगने से घायल हो गए। वहीं, कमला का बेटा रामबरन सिंह उर्फ रामू और दिनेश यादव भी घायल हुए।

चार थानों की पुलिस मौके पर पहुंची थी घटना की सूचना मिलते ही चार थानों की पुलिस मौके पर पहुंची और हालात को काबू में किया। सभी घायलों को ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने गोली लगने से घायल 25 वर्षीय पुरुषोत्तम सिंह यादव को मृत घोषित कर दिया। पुरुषोत्तम पूर्व सरपंच शिवचरण सिंह यादव का बेटा था।

पंचायत के जरिए मामले को सुलझाने का वादा किया था दिसंबर में पुलिस ने दोनों पक्षों के बीच बढ़ते विवाद को देखते हुए बाउंड ओवर की कार्रवाई की थी। इसमें दोनों पक्षों ने आपसी बातचीत और पंचायत के जरिए मामले को सुलझाने का वादा किया था। इसके बावजूद, पुलिस और प्रशासन ने एक बार फिर पंचायत कराने की कोशिश की। पुलिस और रिश्तेदारों ने 2 और 3 जनवरी को पंचायत आयोजित की थी, लेकिन उस समय दोनों परिवारों के बीच सहमति नहीं बन पाई।

खून के छींटे अब भी जमीन पर मौजूद जब भास्कर की टीम घटनास्थल की पड़ताल करने पहुंची, तो गिरवाई थाना प्रभारी अपनी टीम के साथ मौके की जांच कर रहे थे। घटना के बाद मृतक के खून के छींटे अब भी जमीन पर मौजूद थे, जिन्हें पुलिसकर्मी सबूत के तौर पर इकट्ठा कर रहे थे। जिस स्थान पर यह खूनी संघर्ष हुआ, वह जमीन पूर्व सरपंच शिवचरण यादव की बताई जा रही है। शिवचरण ने इस जमीन को क्रेशर संचालक को किराये पर दिया हुआ है।

सुरक्षा के लिए गांव में 30 पुलिसकर्मी तैनात गिरवाई थाना प्रभारी सुरेंद्र नाथ सिंह ने बताया कि घटना ठीक उसी स्थान पर हुई है, जहां दोनों पक्ष बातचीत कर रहे थे। पुलिस टीम घटनास्थल की दोबारा जांच करने पहुंची है। उन्होंने बताया कि मौके पर मौजूद लोगों से पूछताछ में पता चला कि तीन से चार राउंड फायर किए गए थे। पुलिस को घटनास्थल से खाली कारतूस भी मिले हैं। गांव में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए 25 से 30 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है।

 

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