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वाराणसी
पुलिस भर्ती की ऑनलाइन परीक्षा में शामिल अभ्यर्थी द्वारा चार वर्ष पूर्व धोखाधड़ी कर दारोगा की नौकरी पाए जाने का मामला प्रकाश में आया है। अंगुष्ठ छाप (अंगूठा मिलान) के मिलान में पोल खुलने पर लखनऊ में दारोगा घनश्याम जायसवाल के खिलाफ धोखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं के केस दर्ज किया गया था। उक्त केस शुक्रवार को मिर्जामुराद थाना पर ट्रांसफर होकर आ गया हैं। केस की विवेचना अब मिर्जामुराद पुलिस करेंगी।

चार साल पहले आयोजित हुई थी परीक्षा
उत्तर-प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड, हुसैनगंज लखनऊ द्वारा बीते 3 दिसंबर 2021 को मिर्जामुराद स्थित काशी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी (केआईटी) में उपनिरीक्षक नागरिक पुलिस की सीधी भर्ती के लिए ऑनलाइन लिखित परीक्षा आयोजित की गई थी। गोरखपुर जिले के साहबगंज, टीचर कॉलोनी (पीपीगंज) निवासी घनश्याम जायसवाल भी अभ्यर्थी रहा। इसके बाद घनश्याम का चयन होने पर उसे नियमानुसार प्रशिक्षण पर भेजा गया। इस बीच उच्च न्यायालय में रिट दाखिल होने पर बोर्ड स्तर पर समिति गठित कर अंगुष्ठ छाप के मिलान की कार्रवाई शुरू हुई।

दो साल पहले अंगुष्ठ छाप का मिलान किया गया
13 अक्टूबर 2023 को अंगुष्ठ छाप का मिलान कराया गया। इसके बाद अंगुली चिह्न ब्यूरो, लखनऊ को जांच के लिए भेजा गया। जांच में परीक्षा के समय मिले मिलान से अंगुष्ठ का मिलान नहीं हुआ। जांच में पता चला कि ऑनलाइन परीक्षा में घनश्याम जायसवाल प्रतिभाग नहीं किया था।

पुलिस भर्ती बोर्ड के निरीक्षक सत्येंद्र कुमार की तहरीर पर हुसैनगंज थाना (लखनऊ) में बीते वर्ष 20 नवंबर को घनश्याम जायसवाल के खिलाफ उ.प्र. सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम समेत 419, 420, 467, 468, 471 के तहत केस दर्ज किया गया था। मिर्जामुराद थानाप्रभारी निरीक्षक सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि लखनऊ से ट्रांसफर होकर उक्त केस आया है, जिसकी विवेचना अब खजुरी चौकी प्रभारी अनिकेत श्रीवास्तव करेंगे।

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