भोपाल
मध्य प्रदेश में टाइगर रिजर्व और नेशनल पार्क के बाद अब 3 कंजर्वेशन रिजर्व बनाए जाने की तैयारी की जा रही है. इन कंजर्वेशन रिजर्व के बाद वाइल्डलाइफ कॉरिडोर का रास्ता भी खुल जाएगा. कंजर्वेशन रिजर्व के लिए वन विभाग राज्य शासन को प्रस्ताव तैयार कर मंजूरी के लिए भेज चुका है. कंजर्वेशन रिजर्व बनाए जाने से स्थानीय लोगों को बड़ी राहत मिलेगी. रिजर्व क्षेत्र में आने वाले ग्रामीणों को विस्थापित नहीं किया जाएगा, बल्कि इनकी मदद से ही कंजर्वेशन रिजर्व में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए काम होगा.
मध्य प्रदेश में तीन कंजर्वेशन रिजर्व बनेंगे
मध्य प्रदेश में 3 कंजर्वेशन रिजर्व बनाए जाने की तैयारी चल रही है. यह कंजर्वेशन रिजर्व प्रदेश के बैतूल, राघोगढ़ और बालाघाट में बनाया जाएगा. बैतूल में कंजर्वेशन रिजर्व बनने से वाइल्डलाइफ कॉरिडोर तैयार हो जाएगा. क्योंकि बैतूल जिले के एक तरफ नर्मदापुरम जिले में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व है, जबकि दूसरी तरह महाराष्ट्र के अमरावती जिले में मलेघाट टाइगर रिजर्व.
इसी तरह बालाघाट में एक कंजर्वेशन रिजर्व बनाए जाने की तैयारी है. इसके बनने से डूंगरगढ़ रिजर्व फॉरेस्ट और कान्हा नेशनल पार्क के बीच कॉरिडोर तैयार हो जाएगा. इसी तरह राघोगढ़ के पास भी कंजर्वेशन रिवर्ज बनाया जाएगा. प्रधान मुख्य वन संरक्षक शुभरंजन सेन के मुताबिक "कंजर्वेशन रिजर्व बनाए जाने के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है. इसकी मंजूरी के बाद प्रक्रिया शुरू की जाएगी."
अभ्यारण्य से कैसे अलग होता है कंजर्वेशन रिजर्व
जब किसी वनक्षेत्र को अभ्यारण्य घोषित किया जाता है तो उसमें किसी भी तरह की मानव गतिविधियों की अनुमति नहीं होती. ऐसे में इन क्षेत्रों के गांवों को भी विस्थापित किया जाता है. इसमें में स्थानीय समुदायों की नाराजगी भी सामने आती है, क्योंकि ये लोग जंगल में रहकर खेती करते हैं और जंगल पर ही निर्भर रहते हैं.
वहीं, कंजर्वेशन रिजर्व ऐसा किसी 2 टाइगर रिजर्व या अभ्यारण्य के बीच का हिस्सा होता है, जिसमें गांव के लोग रहते हैं. इसके आसपास के वन क्षेत्र में कंजर्वेशन रिजर्व बनाया जाता है. इसका संचालन स्थानीय लोगों की समिति और वन विभाग द्वारा किया जाता है. इसमें स्थानीय लोगों को कई तरह के छूट के प्रावधान भी होते हैं.
तमिलनाडु में बना पहला कंजर्वेशन रिजर्व
वन्यजीवन संरक्षण संशोधन अधिनियम 2002 में कंजर्वेशन रिजर्व बनाए जाने का प्रावधान किया गया और कंजर्वेशन रिजर्व को कानूनी मान्यता दी गई. इसके बाद देश में पहला कंजर्वेशन रिजर्व 14 फरवरी 2005 को तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले में स्थिति तिरुप्पदईमारथुर संरक्षण रिजर्व बनाया गया. इस 7 एकड़ क्षेत्र में कई संरक्षित पक्षियों की प्रजातियां हैं. जिसकी स्थानीय रहवासी और वन विभाग मिलकर देखरेख करते हैं. इसके बाद वर्ष 2012 में राजस्थान में जवाई बांध वनों को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया.

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